आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति या मेडिकल साइंस नहीं है। यह स्वस्थ जीवन जीने की एक कला है, जिसे सीख लिया तो ऐसा जीवन जीना भी संभव है कि कभी किसी डॉक्टर या अस्पताल की तरफ देखना ही ना पड़े। इसके अनुसार बताए गए खान-पान के नियम अपनाने पर एक खुशहाल और बीमारी रहित जीवन संभव है। आइए, जानते हैं कि आर्युवेद के अनुसार, हमारा खान-पान कैसा होना चाहिए...
क्या और कब खाएं?
आयुर्वेद कहता है कि जब आपको भूख लगे तभी खाना खाना चाहिए। गैर जरूरी मंचिंग और ओवर इटिंग से हमेशा बचना चाहिए। तीनों समय का भोजन नियमित रूप से और नियत समय पर करना चाहिए। अगर इस बीच आपको भूख लगे तो फ्रूट्स और सलाद जैसे ऑप्शन अपनाने चाहिए।
बहुत फायदा है इसका
सिर्फ भूख लगने पर ही खाना खाने के कई फायदे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, जब हम भूख लगने पर ही खाना खाते हैं तो हमारे शरीर में हैपी हॉर्मोंस का स्तर बढ़ता है और हमारा मूड अच्छा रहता है। सिर्फ भूखा होने पर खाना खाने से उस खाने का पाचन अच्छी तरह होता है और हमारा शरीर मजबूत बनता है।
बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
आयुर्वेद के अनुसार, खान-पान के नियम अपनाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। इससे हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणु हमारे शरीर को जल्दी से हानि नहीं पहुंचा पाते हैं और हम कम बीमार पड़ते हैं।
बढ़ जाती है सुंदरता
हम सभी आकर्षक दिखने के लिए क्या तरीके और ट्रीटमेंट नहीं अपनाते हैं... लेकिन अगर सिर्फ आयुर्वेद के अनुसार खान-पान शुरू कर दिया जाए तो सुंदर त्वचा और आकर्षक शरीर बिना किसी मेहनत के बनाया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर होता है असर
अगर हम दिन के तीनों प्रहर में सही समय पर ताजा भोजन लेते हैं तो हमारी मानसिक सेहत पर इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमारी यादाश्त अच्छी बनती है और गुस्से पर कंट्रोल बढ़ता है। बेचैनी, चिंता और घबराहट जैसी समस्याएं हमसे कोसों दूर रहती हैं।
इस समय खाएं अधिक
आयुर्वेद के नियम के अनुसार, हमें भूख से अधिक खाना नहीं खाना चाहिए। जितनी भूख है, उससे थोड़ा-सा कम ही खाएं। ताकि पाचन दुरुस्त बना रहे। लेकिन अगर आपको कभी कुछ ज्यादा मात्रा में खाने का मन है तो इसे दोपहर के समय खाएं। जबकि सुबह और शाम को हल्का भोजन लें। यानी आपका लंच ब्रेकफास्ट और डिनर से हेवी हो चलेगा।