गर्भवती सफूरा जरगर की ट्रोलिंग पर चुप उसका पति रीढ़ विहीन तो नहीं?

सफूरा जरगर (Safoora Zargar) के ऊपर हो रही ट्रोलिंग (Trolling) जेंट्री से ना तो मैं ताल्लुक रखती हूं. ना घटिया गलीज ओर भद्दी भाषा का इस्तेमाल करते लोगों से मुझे कोई सरोकार है. शादी हुए बिना बच्चा पैदा करना या ना करना उनका बेहद ही निजी मामला है. अपने को सेक्युलर बताने वाली कुछ वेब साइट्स जैसे प्रिंट ओर क्विंट को अगर टटोल कर देखा जाए तो उन्होंने पिंक जोड़े में सफुरा की शादी की फोटो छापी है जो पुष्टि करती है वो शादी शुदा हैं. ऐसा उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स में भी छापा है बाकी फोटोज का एक्सेस है लेकिन इस वक़्त वो "विथहॉल्ड" करना बेहतर समझते हैं. सफुरा के पति( यदि रिपोर्ट कि मानें) कहते हैं कि वो सामने नहीं आना चाहते ओर 'Anonymous' रहना चाहते हैं हालांकि उन्होंने कोर्ट में बेल एप्लिकेशन लगाई है ओर कहा है उन्हें न्याय की उम्मीद है. क्या ये कोई काउंटर narrative है या कोई गहरा राज़ जो ये वेबसाइट्स वाले दबा रहे हैं.

अपने पति के साथ सफूरा जरगर जिन्हें अपने होने वाले बच्चे को लेकर एक से एक भद्दी बातें सुननी पड़ रही हैं
मीडिया ट्रायल के इस दौर में ये कौन सी वजह है जो सफुरा के पति को छुपाया जा रहा है ओर समाज की आग में अकेली ये झुलस रही है? आज जिस तरह से सफुरा ओर होने वाले बच्चे को जायज़, नाजायज कहा जा रहा है, जहां इतनी समाज की पुरातन सोच होने के बावजूद भी सफुरा की बहन ओर उनका परिवार उनको सपोर्ट कर रहा है, ऐसी कौन सी वजह है कि ये सो कॉल्ड हसबैंड सामने आकर एक मुहिम नहीं चालू कर रहा है?
ये कैसी मर्दानगी है कि बीवी के चरित्र के ऊपर उठ रहे सवालों को सिर्फ एक बयान से चुप करा सकने वाला मुंह में दही जमाए बैठा है? सवाल ये नहीं है कि सफुरा बिना शादी के मां कैसे बनी, सवाल उस आदमी से भी होना चाहिए कि स्पर्म देते समय उसकी भी उतनी ही ज़िम्मेदारी थी जो आज इस महिला को अकेले उठाने पड़ रही है.
रही बात सबा नकवी या जेबा वारसी के ट्वीट की कि बेचारी प्रेगनेंट सफुरा को सोलिटरी कन्फाइनमेंट में रखा जा रहा है, तो उनको ये भी मालूम होना चाहिए था कि प्रोपोगंडा करने से पहले समझ लें कि जेल में किसी भी नए मुलाइजा को पहले क्वारांटाइन किया जा रहा है.
प्रेगनेंट महिलाएं जेल में असंख्य हैं ओर सफुरा कोई एक्सेप्शन नहीं हैं. उनको गायनेकोलॉजिस्ट की सुविधा से लेकर, हर वो एसेंशियल सप्लीमेंट दिया जा रहा है जो जेल में बंद प्रेगनेंट महिलाओं को प्रिसन मैनुअल 2016 के हिसाब से दिया जाता है. ये प्रेग्नेंसी का बहाना बना कर विक्टिम कार्ड खेलना जायज़ नहीं है. सफुरा किसी भी आम under trial प्रिजनर महिला की तरह हैं.
बेल का ग्राउंड प्रेग्नेंसी होना या ना होना जज डिसाइड करेगा लेकिन धृतराष्ट्र बनकर गलत को सही ओर सही को गलत ना कहें. बाकी मुझे बेहद तकलीफ है हर उस ट्वीट से को सफुरा को चरित्रहीन या बच्चे को नाजायज औलाद कह रहा है.
जय हो कोरोना, जहां जेब से सौ रु गायब हो जाते थे, वहां सड़क पर बीस हजार पड़े मिलना क्या है?
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अपने बच्चे पर पैनी निगाह रखिये, फ़िलहाल ये वक़्त की ज़रुरत है!

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