इन 20 अभिनेताओं से दर्शकों ने खूब किया प्यार, इन्हें मौका मिला तो परदे पर विलेन बनकर मचाया हाहाकार

हिंदी सिनेमा के बादशाह शाहरुख खान को रोमांस किंग के नाम से भी जाना जाता है। वजह साफ है। आपने शाहरुख को पर्दे पर काजोल के सामने एक टांग झुकाकर, बाहें फैलाकर प्यार का इजहार करते देखा होगा। और, देखा होगा अपने से लगभग आधी उम्र की अभिनेत्रियों के साथ इश्क फरमाते हुए। लेकिन जरा सोचिए, यही शाहरुख खान परदे पर माधुरी दीक्षित जैसी खूबसूरत अभिनेत्री को लातों की ठोकर मार मारकर लहूलुहान कर दे तो आपको कैसा लगेगा? जी हां! शाहरुख ने ऐसा ही किया है। और इसके लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है। आइए, आज हम आपको बताते हिंदी सिनेमा के उन अभिनेताओं के बारे में जो वैसे तो हीरो के तौर पर खूब हिट हुए, लेकिन जिन्होंने विलेन बनकर भी पर्दे पर कम उत्पात नहीं मचाया। उनके इन किरदारों को मिली गालियां ही उनकी असली तालियां हैं।

कलाकार : अशोक कुमार फिल्म : जेवेल थीफ (1967)
सबसे पहले हम बात करते हैं एक ऐसे विलेन की जिसका काम लोगों को चोट पहुंचाना नहीं बल्कि सिर्फ चोरी करना है। जैसा कि फिल्म के नाम से पता चलता है, यह चोर ज्वेलरी चोरी करने का शौकीन है जो अलग-अलग तिकड़म लगाकर चोरियां करता है। पुलिस उसे पकड़ने की लाख कोशिश करती है लेकिन नाकाम रहती है। वह चोर इतना शातिर होता है की अंत में जब पकड़ा भी जाता है तो भी वह अपनी पहचान बता कर लोगों को गुमराह कर देता है। यह चोर और कोई नहीं बल्कि खुद छह दशक तक सिनेमा में अपनी छाप छोड़ने वाले अभिनेता अशोक कुमार थे। हर किरदार में जिस तरह उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है, ठीक उसी तरह इस फिल्म के किरदार में भी वह अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे।
कलाकार : अमिताभ बच्चन फिल्म : परवाना (1971)
अमिताभ बच्चन को हिंदी सिनेमा में पिछली सदी के महानायक के रूप में जाना जाता है। इसमें कोई शक नहीं है कि उन्हें अब तक जो भी किरदार दिया गया हो, उन्होंने वह किरदार पूरी शिद्दत से निभाया है। लगभग पांच दशक लंबे करियर में अमिताभ को ऐसे मौके भी मिले जब उन्होंने पर्दे पर एक विलेन का किरदार भी निभाया। जब अमिताभ 1971 में आई फिल्म 'परवाना' में पहली बार पर्दे पर एक खलनायक के रूप में आए, उस वक्त अमिताभ को बहुत ही कम लोग जानते थे। एक अभिनेता के रूप में वह लगातार संघर्ष ही कर रहे थे। ऐसे में खलनायक बनो या नायक बनो, लोगों पर कुछ भी असर नहीं पड़ता। लेकिन जब वह एंग्री यंग मैन बनकर उभरे, तो लोगों ने उनके विलेन के किरदार के असर को भी महसूस किया। इसके बाद तो वर्ष 2002 में आई विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म 'आंखें' और इसी साल आई संजय गुप्ता की 'कांटे' में भी अमिताभ बच्चन के किरदारों का अलग रंग लोगों ने देखा।
कलाकार : शत्रुघन सिन्हा फिल्म : बॉम्बे टू गोआ (1972)
हिंदी सिनेमा मैं शॉट गन नाम से मशहूर अभिनेता शत्रुघन सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत ही नकारात्मक किरदारों से की थी। दरअसल उनका चेहरा कटे फटे निशानों और बड़ी बड़ी मूछों से भरा हुआ था। इस वजह से उनका रूप देखकर उन्हें शुरुआत में विलेन के किरदार ही दिए जाते थे। हालांकि बाद में उन्होंने अपने काम से लोगों का अपने प्रति नजरिया बदल दिया। यह फिल्म शत्रुघ्न की उन कुछ फिल्मों में से एक है जिनमें उन्हें एक विलेन के रूप में देखा गया। शत्रुघ्न इसी साल एक पारिवारिक ड्रामा फिल्म 'भाई हो तो ऐसा' में भी विलेन के रूप में नजर आए।
कलाकार : विनोद खन्ना फिल्म : पत्थर और पायल (1974)
हिंदी सिनेमा के शानदार अभिनेता विनोद खन्ना ने इस इंडस्ट्री को अपनी जिंदगी के लगभग पांच दशक दिए। इस दौरान उन्होंने फिल्मों में हर तरह के किरदार करके लोगों को अपने हुनर का परिचय दिया। कुछ फिल्मों में वह नकारात्मक किरदारों में भी नजर आए, जिसमें से यह फिल्म एक है। इस फिल्म के हीरो धर्मेंद्र हैं। यह दूसरा मौका था जब विनोद खन्ना धर्मेंद्र के सामने विलेन के किरदार में नजर आए। इससे पहले वह 1971 की फिल्म 'मेरा गांव मेरा देश' में भी एक डकैत का किरदार निभा चुके थे।
कलाकार : शशि कपूर फिल्म : क्लर्क (1989)
बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता शशि कपूर ने अपनी जिंदगी में ज्यादातर सकारात्मक किरदार ही किए है। हालांकि कुछ फिल्में ऐसी भी रहीं जिनमें उन्होंने एक विलेन का किरदार भी निभाया है। एक बाल कलाकार के रूप में हिंदी सिनेमा में अपना कदम रखने वाले शशि कपूर ने सिनेमा को अपनी जिंदगी का पांच दशक से ज्यादा का समय दिया है। वर्ष 1989 में उन्होंने एक नहीं बल्कि दो फिल्मों में एक साथ नकारात्मक किरदार निभाया। मनोज कुमार के लेखन, निर्देशन और निर्माण में बनी इस फिल्म के अलावा वह शिबू मित्रा के निर्देशन में बनी फिल्म 'मेरी जबान' में भी विलेन के रूप में ही देखे गए। हालांकि ये दोनों ही फिल्में कुछ खास असर नहीं छोड़ पाईं।
कलाकार : नाना पाटेकर फिल्म : अंगार (1992)
नाना पाटेकर हिंदी सिनेमा के उन कुछ गिने-चुने कलाकारों में से हैं जिन्हें कोई भी किरदार दिया जाए, वह उसे अपने अंदर बटोर लेते हैं। जहां एक ओर नाना को 'तिरंगा' और 'क्रांतिवीर' जैसी फिल्मों में एक क्रांतिकारी के रूप में देखा गया वहीं नाना पाटेकर ने 'अंगार' और 'अपहरण' जैसी फिल्मों में विलेन बनकर लोगों के मुंह से अपने लिए गालियां भी निकलवाई हैं। नाना की तो डायलॉग डिलीवरी भी ऐसी है कि जब वह सकारात्मक किरदार में भी होते हैं तो लोग कभी-कभी उनके उस रूप से भी डर जाते हैं। इस हिसाब से जब वह विलेन बनकर पर्दे पर आए होंगे तो लोगों की क्या हालत हुई होगी? इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं।
कलाकार : शाहरुख खान फिल्म : बाजीगर (1993)
शाहरुख ने 1992 में ऋषि कपूर के साथ 'दीवाना' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की तो उस वक्त वह लगातार दर्शकों की नजर में एक रोमांटिक हीरो के रूप में समझे जाने लगे। चमत्कार, राजू बन गया जेंटलमैन जैसी कुछ रोमांटिक फिल्में ही कीं। फिर उनकी करियर में वह पहला मौका आया जब उन्होंने अब्बास मस्तान के निर्देशन में आई फिल्म 'बाजीगर' में हीरो और विलेन दोनों का ही किरदार निभाया। इस फिल्म में उनकी परिस्थिति को लोगों ने थोड़ा समझा भी। लेकिन, जब वह 'डर' और 'अंजाम' में पूरी तरह नकारात्मक किरदार में नजर आए तो यह उनका एकदम नया ही रूप था। लोगों के लिए विश्वास कर पाना मुश्किल था कि जो आदमी हीरोइन के साथ प्यार मोहब्बत भरे गीत गाया करता है, वह ऐसे काम भी कर सकता है।
कलाकार : मिथुन चक्रवर्ती फिल्म : जल्लाद (1995)
सड़क से उठकर सिनेमा के आसमान में छा जाने वाले कलाकार मिथुन चक्रवर्ती का करियर अभिनेताओं के लिए एक सबक है। उन्होंने जितनी शिद्दत से एक हीरो बनकर लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी, उन्होंने उतनी ही शिद्दत से एक विलेन बन कर भी दर्शकों को चौंका दिया। इस फिल्म में हीरो भी वही हैं और विलेन भी वही हैं। यह तो अकाट्य सत्य है कि जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है। इस फिल्म में भी जीत तो सच्चाई की ही हुई लेकिन हीरो पर विलेन पूरी तरह हावी होता नजर आया। इसके लिए मिथुन को बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया।
कलाकार : काजोल फिल्म : गुप्त (1997)
जो काम शाहरुख खान ने फिल्म 'अंजाम' में किया, वही काम काजोल ने भी इस फिल्म में का दिखाया। शक्ल से भोली और मासूम दिखने वाली काजोल ने इस फिल्म में वह अवतार धरा जिसे देखकर उस वक्त के लिए लोगों को उनसे नफरत हो गई। यह पहला ही मौका था जब काजोल एक कातिल बनकर पर्दे पर नजर आईं। उन्होंने इस किरदार को कुछ इस तरह निभाया की फिल्मफेयर को उन्हें बेस्ट विलेन के पुरस्कार से सुशोभित करना पड़ा।
कलाकार : सुनील शेट्टी फिल्म : धड़कन (2000)
सुनील शेट्टी की छवि हिंदी सिनेमा में एक एक्शन हीरो की रही है। उन्होंने अक्षय कुमार के साथ मिलकर कई शानदार फिल्मों में बेहतरीन काम किया है। फिल्म 'धड़कन' में वह देव बनकर अंजली से प्यार करते हुए नजर आए लेकिन इस प्यार के अलावा उनमें कोई भी चीज सकारात्मक नहीं दिखी। प्यार में अंधे होकर उन्हें अंजली के पिता की बेज्जती करने में भी बिल्कुल हिचक नहीं होती है। खैर, यह सिर्फ एक किरदार था जिसको भली-भांति निभाने के लिए उन्हें बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया। यह सुनील शेट्टी का पहला मौका था लेकिन आखिरी नहीं। उन्होंने इसके बाद शाहरुख खान की फिल्म 'मैं हूं ना' में भी विलेन का किरदार निभाया है
कलाकार : अक्षय कुमार फिल्म : अजनबी (2001)
अक्षय कुमार की वर्तमान छवि एक देशभक्त की है। फिल्मों में भी वह अपने किरदारों से यह साबित कर रहे हैं कि वह भारत माता के बच्चे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह भारत में रहकर ही किया है। फिल्मों में अक्षय कुमार की एंट्री एक एक्शन हीरो के रूप में ही हुई है। लेकिन, वर्ष 2001 में आई अब्बास मस्तान के निर्देशन वाली फिल्म 'अजनबी' में वह एक विलेन के रूप में भी नजर आए। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया।
कलाकार : इरफान खान फिल्म : हासिल (2003)
अभिनेता इरफान खान को उनके शानदार अभिनय के लिए ही पूरी दुनिना ने जाना और पहचाना। अपने पूरे फिल्मी करियर में जितने भी किरदार किए वह सब एक दूसरे से भिन्न और अनोखे थे। 2003 में आई इस फिल्म में इरफान एक विलेन के किरदार में भी नजर आए। जैसे कि वह हर किरदार को अपनी जिंदगी की तरह जीते थे, वैसे ही उन्होंने इस फिल्म में भी एक विलेन के किरदार को जिया। फिल्म में शानदार अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया।
कलाकार : प्रियंका चोपड़ा फिल्म : एतराज (2004)
प्रियंका चोपड़ा को हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत किए कुछ ही दिन बीते थे कि उन्हें अब्बास मस्तान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में एक विलेन का किरदार मिल गया। फिल्म में उनका किरदार सोनिया रॉय का रहा जो पैसे के लालच में अपने से दोगुनी उम्र के आदमी रंजीत रॉय से शादी कर लेती है। लेकिन जवान होने की वजह से उनका दिल राज मल्होत्रा पर आ जाता है और यहीं से शुरू होता है उसकी बेरहमी दिखाने का सिलसिला। विलेन के रूप में शानदार अभिनय करने के लिए प्रियंका को बेस्ट परफॉर्मेंस इन नेगेटिव रोल के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया।
कलाकार : जॉन अब्राहम फिल्म : धूम (2004)
फोर्स, सत्यमेव जयते, परमाणु जैसी कुछ देशभक्ति पर आधारित फिल्में देकर जॉन अब्राहम भी अपने करियर को एक अलग दिशा में मोड़ने में लगे हुए हैं। जॉन अब्राहम एक मॉडल रहे। उसके बाद उन्होंने फिल्मों में एंट्री की। फिल्म 'जिस्म' से शुरुआत करके वह साया, पाप, लकीर जैसी कुछ असफल फिल्मों का भी हिस्सा रहे। फिर उन्हें धूम फ्रेंचाइजी की पहली फिल्म में विलेन का किरदार निभाने का मौका मिला। 2004 में आई इस फिल्म में जॉन अपने करियर का सबसे अच्छा अभिनय करते हुए नजर आए। एक विलेन के रूप में बेहतरीन काम करने के लिए उन्हें बेस्ट परफॉर्मेंस इन नेगेटिव रोल की श्रेणी में फिल्मफेयर अवार्ड के लिए भी नामित किया गया।
कलाकार : अजय देवगन फिल्म : खाकी (2004)
अजय देवगन ने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत एक एक्शन हीरो के रूप में की है। उनको यह हुनर उनके पिता से विरासत में ही मिला है। वह फिल्मों में सदा हीरो बनकर ही दिखे। लेकिन, वर्ष 2004 में राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी फिल्म 'खाकी' में उनका एक नया अवतार नजर आया। यहां वह खलनायक के रूप में नजर आए। उनका यह रूप बहुत खतरनाक था। उनके इस रूप को देखकर दर्शक भौचक्के रह गए थे। इससे पहले अजय फिल्म दीवानगी में भी खतरनाक विलेन का किरदार निभा चुके थे। इसके लिए उन्हें बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया है।
कलाकार : ऋतिक रोशन फिल्म : धूम 2 (2006)
ऋतिक रोशन दिखने में इतने हैंडसम और स्वीट हैं कि आप कहेंगे कि वह तो क्या ही विलेन बनेंगे। लेकिन उन्होंने भी वर्ष 2006 में संजय गढ़वी के निर्देशन में बनी फिल्म 'धूम 2' में विलेन का किरदार निभाया है। यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी धूम फ्रेंचाइजी की इस फिल्म का यह विलेन किसी को मारता पीटता या चोट पहुंचाता नजर नहीं आता। इसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ नायाब चीजों को चुराने पर रहता है। मतलब यह कि यह विलेन एक चोर है। उनकी चोरियों का अंदाज दर्शकों को भी काफी पसंद आया और याद आई वह फिल्म भी जिसका जिक्र इस आलेख में हमने सबसे पहले किया।
कलाकार : ऋषि कपूर फिल्म : अग्निपथ (2012)
ऋषि कपूर की छवि हिंदी सिनेमा में शुरुआत से ही एक चॉकलेटी बॉय की रही। लेकिन, उनकी जिंदगी में विलेन बनने मौका तब आया जब करण मल्होत्रा ने 2012 में मुकुल एस आनंद की 1990 में आई फिल्म 'अग्निपथ' का उसी नाम से रीमेक बनाया। इस फिल्म में एक नया किरदार रउफ लाला ईजाद किया गया। हालांकि इस किरदार को ऋषि कपूर करना नहीं चाहते थे लेकिन फिर भी फिल्म निर्माताओं के एक महीने तक आग्रह करने पर वह राजी हो गए। जब यह किरदार पर्दे पर निखर कर आया तब लोगों को अंदाजा हुआ कि जब एक चॉकलेटी बॉय एक विलेन का रूप धारण करता है तो वह कितनी नफरत पैदा करवा सकता है।
कलाकार : संजय दत्त फिल्म : अग्निपथ (2012)
संजय दत्त का करियर शुरुआत से ही एक एक्शन हीरो के रूप में रहा। जब उन्होंने बीच-बीच में 'खलनायक' जैसी फिल्मों में थोड़े डार्क शेड वाले किरदार किए तो दर्शकों के मन में कहीं ना कहीं उनको लेकर एक बेहतरीन विलेन बनने की क्षमताएं भी नजर आई ही होंगी। फिर संजय दत्त पूरी तरह से विलन बनकर करण मल्होत्रा की 2012 में आई फिल्म 'अग्निपथ' में ही नजर आए। यहां उन्होंने एक खूंखार विलेन कांचा चीना का किरदार निभाया है। इस फिल्म को देखने के बाद जब लोगों से पूछा गया कि आपने फिल्म क्यों देखी? तो उनका जवाब यही था कि वह सिर्फ कांचा चीना को देखना चाहते थे। यह किरदार वाकई बहुत प्रभावशाली था और संजय ने उसके उसी बेहतरी से निभाया भी।
कलाकार : आमिर खान फिल्म : धूम 3 (2013)
आमिर खान को तो दुनिया मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से जानती है। वह शुरुआत से ही अपनी फिल्मों में परफेक्शन लाने की कोशिश करते रहे हैं। जब इन्हें फिल्म 'रंगीला' के लिए फिल्मफेयर अवार्ड नहीं मिला तो इन्होंने फिल्मफेयर अवार्ड समारोह में सम्मिलित होना ही बंद कर दिया। क्योंकि उन्हें लग गया था कि यहां उनके हुनर की कद्र नहीं है। उन्होंने शुरुआत से किसी फिल्म में विलेन का किरदार नहीं किया। लेकिन धूम फ्रेंचाइजी की तीसरी किस्त में आमिर एक विलेन बनकर नजर आए। साल 2013 में आई यह फिल्म समीक्षकों को पसंद नहीं आई लेकिन दर्शकों के पागलपन ने फिल्म की शानदार कमाई करवाई।
कलाकार : सैफ अली खान फिल्म : तानाजी- द अनसंग वॉरियर (2020)
हिंदी सिनेमा में छोटे नवाब के नाम से मशहूर रहे सैफ अली खान ने भी अजय देवगन के निर्माण में बनी फिल्म 'तानाजी : द अनसंग वॉरियर' में विलेन का किरदार निभाया है। इसी साल की शुरुआत में ओम राउत के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सैफ अली खान ने उदय भान सिंह राठौर का किरदार निभाया है। लगातार एक दर्जन फ्लॉप देने के बाद सैफ ने इस फिल्म में अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों को चौंका दिया। इसके अलावा उन्होंने अजय देवगन और विवेक ऑबेरॉय के साथ फिल्म ओंकारा में में भी विलेन के रूप में शानदार अभिनय किया था और बेस्ट विलेन का फिल्मफेयर अवार्ड जीता था।

अन्य समाचार