भावपूर्ण अश्विन ने यह भी कहा कि 29 अप्रैल को इरफान के अचानक हुए निधन से वह खुद को धोखा दिए जाने जैसा महसूस करते हैं।
अश्विन ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि इरफान को भुगतान करने जितना उनके पास बजट नहीं था। उन्होंने इरफान से फिल्म को अपना समर्थन देने का अनुरोध किया।
आईएएनएस से बात करते हुए अश्विन ने कहा, "मैंने इरफान भाई को दिमाग में रखकर 'रोड टू लद्दाख' लिखा। मुझे उनके साथ की जरूरत थी और उन्होंने अपनी स्वेच्छा से ऐसा किया। मुझे याद है जब लद्दाख के लिए रवाना होने से पहले हम दिल्ली में थे, उस शाम भाई एक दुर्घटना का शिकार हो गए। उनकी कलाई में चोट आई। ऐसे में उनके पास पीछे हटने के लिए तमाम चिकित्सकीय कारण थे क्योंकि मैं उन्हें उनके इस काम के पैसे नहीं दे रहा था, लेकिन उन्होंने कहा, मैंने तुमसे वादा किया है, मैं अपना वचन निभाउंगा। मैं उनको जितना जानने लगा, उनके प्रति मेरी श्रद्धा उतनी ही बढ़ती गई।"
अश्विन ने आगे कहा, "उन्हें उस वक्त नहीं पता था कि उन्हें ऊंचाई से परेशानी है, लद्दाख पहुंचने के बाद हमें इस बारे में पता चला। वह बीमार थे, कलाई में चोट लगी थी, खराब मौसम के बीच हम सभी के साथ वह टेंट में रह रहे थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और निरंतर हमें अपना समर्थन दिया।"
--आईएएनएस