इसी बीच सरकार ने ग्रीन और ऑरेंज और रेड जॉन समेत कुछ इलाकों में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी है नतीजा यह हुआ कि पहले ही दिन शराब की बिक्री ने रिकॉर्ड कायम कर दिया देश भर में शराब की दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली यहां तक की सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई इस दौरान शराब के दीवानों को काबू करने के लिए हर जगह पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
पहले दिन की जोरदार बिक्री को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अचानक से एक फैसला ले लिया उन्होंने राजधानी में शराब के मूल्य को 70% तक बढ़ा दिया और दूसरे दिन उस फैसले को लागू भी कर दिया लेकिन इस पीने वालों पर कोई खास असर देखने को मिला नहीं है शराब दूसरे दिन भी काफी बिकी दिल्ली में शराब के दाम बढ़ जाने के बाद कुछ लोगों ने पड़ोसी राज्य यूपी से शराब लेने लाने की नाकाम कोशिश की लेकिन ऐसा ना हो सका क्योंकि राज्यों के बॉर्डर सील है और वहां काफी सख्ती है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर कोई लॉक डाउन में शराब की तस्करी करें या दूसरे राज्य से खरीद कर लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है दरअसल भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है उसी के अनुसार वहां कानून भी है लेकिन आम तौर पर शराब तस्करी के मामलों में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है जिसमें तस्करी से संबंधी मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत मामला दर्ज किया जाता है शराब की बिक्री अधिकांश राज्यों को सबसे ज्यादा राजस्व देती है इसलिएआबकारी विभाग काफी अहम माना जाता है।
हर राज्य में शराब के दाम वहां की आबकारी नीति के तहत निर्धारित किए जाते हैं यही वजह है कि राज्य में शराब सस्ती मिलती है तो कई राज्यों में महंगी ऐसे में शराब की तस्करी के मामले में अक्सर सामने आते रहते हैं ऐसे मामलों में कार्यवाही करने के लिए आबकारी अधिनियम का इस्तेमाल होता है यूपी आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यदि लॉक डाउन के दौरान कोई व्यक्ति अन्य राज्य से शराब लेकर आता है तो उसके खिलाफ इस अधिनियम 60 के तहत कार्रवाई की जाएगी चाहे उसके पास बोतल एक ही क्यों ना हो।
आबकारी अधिकारी के अनुसार पहले आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत आने वाले जमानती अपराध की श्रेणी में आती थी इसका सीधा फायदा शराब माफियाओ को मिलता था इसी परेशानी को देखते हुए अधिनियम में संशोधन की जरूरत महसूस की गई सरकार ने वर्ष 2018 में इस पर अहम फैसला किया और आबकारी अधिनियम की धारा 60 को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में बदल दिया गया।
अब ऐसे मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा के साथ-साथ आईपीसी की धारा 272 - 273 भी लगती है पहले आबकारी अधिनियम में ज्यादा सख्ती नहीं थी लेकिन साल 2018 में किए गए संशोधन के बाद धारा 60 के तहत पकड़े गए आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई अब तस्करी की शराब के साथ पकड़े जाने पर जमानत बड़ी मुश्किल है ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है साथ ही अधिकतम ₹1000000 का जुर्माना भी किया जा सकता है।
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