Ganesh Puja: बुधवार का दिन भगवान गणेश जी का दिन माना गया है. यह दिन गणेश जी को समर्पित है. मान्यता है कि बुधवार के दिन गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन के कई कष्टों बचाव होता है और सुख समृद्धि बनी रहती है. पंचांग के अनुसार बुधवार को अमृत काल में 8 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 37 मिनट तक पूजा के लिए उत्तम समय है.
०८:१२ - ०९:३७
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा गणेश जी भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं. गणेश जी की सवारी डिंक नामक मूषक है. इन्हें गणों का स्वामी माना गया है इसीलिए इन्हें गणपति नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में गणेश जी को केतु का देवता माना गया है. किसी भी कार्य का आरंभ करने से पहले गणेश जी की स्तुति की जाती है. वे सभी देवताओं में प्रथम माने गए हैं.
गणेश जी का स्वरूप गणेश जी की चार भुजाएं हैं. उन्हें लंबोदर कहा गया है. गणेश जी के कान बड़े हैं. जो सर्तक रहने ग्रहण शक्ति तीक्ष्ण होने का संकेत करती है. छोटे नेत्र तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक है. हाथी के समान उनकी नाकमहाबुद्धित्व का प्रतीक मानी गई है.
ऐसे बने प्रथम पूज्य देवताओं के सामने जब ये प्रश्न आया कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी तो भगवान शिव ने कहा जो सबसे पहले संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा लगा लेगा वही इस सम्मान को प्राप्त करेगा. भगवान शिव का आदेश मिलते ही सभी देवता अपने अपने वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े. बात जब गणेश जी की आई तो देवताओं के मन में शंका उत्पन्न हुई कि गणेश जी कैसे परिक्रमा लगा सकेगें. वे तो स्थूल शरीर के हैं और उनका वाहन भी मूषक है.
लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धि और चतुराई से अपने पिता भगवान शिवऔर माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. इस पर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी से कहा कि तुमसे बड़ा बुद्धिमान इस संसार में और कोई नहीं है. गणेश जी ने माता और पिता की तीन परिक्रमा की जिसे तीनों लोकों की परिक्रमा के बराबर माना गया. तब भगवान शिव ने कहा कि जो मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले गणेश जी की स्तुति करेगा उसे किसी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस कारण से ही गणेश जी देवगणों में अग्रज माने जाने लगे.
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