वर्ल्ड अस्थमा डे पर बरते यह बड़ी सावधानियाँ

अस्थमा फेफड़ों का रोग है जो सांस की समस्याओं के कारण होता है. इससे दुनियाभर में करीब 1.5 से करोड़ लोग प्रभावित हैं. डब्लूएचओ की मानें तो अस्थमा से होने वाली 80 प्रतिशत मौतें कम आय वाले राष्ट्रों में होती है.

हिंदुस्तान में 10 में से एक आदमी अस्थमा से प्रभावित है. यह अनुवांशिक बीमारी है. इसमें बचाव ही अच्छा है. अवेयरनेस व ठीक समय पर उपचार के जरिए इससे बहुत ज्यादा हद तक बचा जा सकता है. 1998 में पहली बार वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया गया. इसके बाद हर वर्ष 5 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है.
अस्थमा के लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, खांसी, छाती में कड़ापन व बार-बार ऐसे होना शामिल हैं. अगर इसे समय रहते नियंत्रित न किया जाए तो इससे सांस लेने में समस्या हो सकती है. हालांकि अस्थमा को अच्छा नहीं किया जा सकता, लेकिन बचाव, दवाइयों व उपचार से इंसान सामान्य जिंदगी जी सकता है.
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अस्थमा अच्छा नहीं हो सकता, लेकिन दवाइयों से इसे नियंत्रित करके इसके अटैक को घटाया जा सकता है. इस बीमारी में एलोपैथ कोई खास परहेज नहीं बताता है लेकिन आयुर्वेद इस बीमरी में चिकनी चीजों को खाने से मना करता है. जैसे केला, दूध, दही, मक्खन व घी. इसका सेवन न किया जाए तो बहुत ज्यादा आराम मिलता है. प्रदूषण, अधिक बारिश वाले जगह, तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाले क्षेत्र व पालतू पशुओं से बचकर रहें तो यह बीमारी दूर रहती है. इससे संपर्क में आने से इस बीमार उभर जाने की संभावना रहती है. इसके अतिरिक्त अस्थमाकी दवा व कंट्रोलर इनहेलर हमेशा समय पर लें । सिगरेट, सिगार के धुएं से बचे व प्रमुख एलर्जी से बचें । फेफड़े को मजबूत बनाने के लिए सांस का व्यायाम करें । ठंड से खुद को बचाकर रखें.

अन्य समाचार