मुसीबत से बचना है तो इन लोगों की भूलकर भी न करें सहायता, आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य की नीतियां देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी खूब प्रसिद्ध हैं चाणक्य नीतियां व्यक्ति के जीवन में सुख शांति लेकर आती हैं वही सामाजिक प्राणी होने के कारण विकट समय में व्यक्ति एक दूसरे की सहायता करता हैं। मगर कई बार उसका मदद करना उसे ही भारी पड़ जाता हैं और उसे नुकसान का सामना करना पड़ता हैं चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र यानी चाणक्य नीति में एक श्लोक के द्वारा इस बारे में बताते हैं कि किस तरह के मनुष्य की मदद करनी चाहिए और किस तरह के व्यक्ति की सहायता कभी नहीं करनी चाहिए। वो बताते हैं कि कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी मदद करने से मददगार ही मुसीबत में पड़ सकता हैं तो आइए जानते हैं कि वो कौन लोग हैं जिनकी मदद नहीं करनी चाहिए।

मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।
आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक में तीन तरह के लोगो की बात करते हैं वो कहते हैं कि मूर्खों से दूर रहना चाहिए, उन्हें किसी तरह की मदद नहीं करनी चाहिए। मूर्ख को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता हैं क्योंकि वो आपकी बात को नहीं समझ पाता, हो सकता हैं कि आपकी बात को वो गलत तरीके से ले ले और इससे आपका ही नुकसान हो जाए। किसी भी व्यक्ति की समझदारी उसके चरित्र पर निर्भर करती हैं चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति का चरित्र ठीक न हो उसके करीब नहीं जाना चाहिए। कयोंकि चरित्रहीन लोगों की मदद करने पर खुद के नुकसान की अधिक संभावना होती हैं। वही आचार्य चाणक्य तीसरे व्यक्ति के रूप में असंतुष्ट व्यक्ति के बारे में बात करते हैं वो कहते हैं कि जो लोग खुद से संतुष्ट नहीं होते हैं हमेशा दुखी रहते हैं उनसे भी दूरी बनाकर ही रखना चाहिए।

अन्य समाचार