'बाहुबली' के निर्माता शोभू यार्लागड्डा ने प्रभात चौधरी को कहा धन्यवाद!

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एसएस राजामौली (S S Rajamouli) की महाकाव्य फिल्म श्रृंखला 'बाहुबली' (Bahubali) ने इस साल 28 अप्रैल को तीन शानदार साल पूरे कर लिए हैं लेकिन दुनियाभर के सिनेमा प्रेमियों के बीच यह आज भी उतनी ही ताजगी और उमंग से भरपूर है।

यह फिल्म सभी पहलुओं में सबसे आगे रही है, शानदार कहानी से लेकर निर्देशन, शानदार प्रदर्शन, आकर्षित कॉस्ट्यूम, दमदार युद्ध दृश्य और अद्भुत पृष्ठभूमि स्कोर तक सब कुछ परफेक्ट था और सबसे महत्वपूर्ण बात इसने जिज्ञासु सवाल के साथ विश्व स्तर पर सभी सिनेमा प्रेमियों का ध्यान सफलतापूर्वक आकर्षित कर लिया था- 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?'
इन्होंने संभाला था फिल्म के प्रचार का जिम्मा जिस आदमी ने फिल्म के प्रचार के लिए न केवल एक बड़ी चुनौती से हाथ मिलाया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि यह एक अखिल भारतीय फिल्म बन जाए, वह कोई और नहीं बल्कि एक प्रमुख मनोरंजन विपणन संचार एजेंसी 'स्पाइस पीआर' के मालिक और संस्थापक प्रभात चौधरी हैं जिनकी एजेंसी ने बाहुबली फिल्म श्रृंखला को राष्ट्रीय स्तर पर संभाला है।
फिल्म निर्माता ने किया धन्यवाद! बाहुबली के तीसरे साल की सालगिरह के अवसर पर प्रभात को धन्यवाद देते हुए, फिल्म निर्माता शोबू यार्लागड्डा (Shobu Yarlagadda) ने शानदार रणनीतिकार को बाहुबली का एक प्रभावशाली हिस्सा बनने और इसे एक वैश्विक हिट बनाने के लिए बधाई दी है! उन्होंने ट्विटर पर साझा किया-
"I'm happy I was part of Baahubali - the film that redefined Indian cinema" Thanks Prabhat @spicesocial1 for all the good work! https://t.co/8x9YGI4cDl via @dailyo_
चला 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?' का जादू 'बाहुबली' के लिए यह प्रभात की मार्केटिंग विशेषज्ञता की दृष्टि का नतीजा था, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित गैर-तेलुगु भाषी राज्यों में भी इस तेलुगु फिल्म ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इतना ही नहीं, उनका आईडिया 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?'- एक राष्ट्रीय पहेली बन गई और उन लोगों के बीच भी जिज्ञासा और प्रत्याशा पैदा कर दी जिन्होंने श्रृंखला का पहला भाग भी नहीं देखा था और इस सवाल का जवाब पाने के लिए दुनियाभर के सिनेमा हॉल में दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।
उत्तर प्रदेश के चुनाव में पीएम मोदी ने किया एक संदर्भ के रूप में इस्तेमाल इस मिलियन-डॉलर प्रश्न का प्रभाव इतना ज्यादा था कि इसे भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक संदर्भ के रूप में उपयोग किया गया था।

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