एक छोटी सी म्यूजिक कैसेट कंपनी से बिजनेस की शुरुआत करने वाले गुलशन कुमार ने म्यूजिक की दुनिया में तहलका मचा दिया था। कैसेट किंग के नाम से मशहूर गुलशन कुमार का आज जन्मदिन है। 5 मई 1956 को गुलशन कुमार का जनम दिल्ली में हुआ था। गुलशन कुमार भले हमारे बीच ना हो लेकिन आज भी उनको अलग अलग तरीकों से याद किया जाता है। आइए जानते हैं कैसे गुलशान कुमार बने म्यूजिक इंडस्ट्री के बादशाह।
गुलशन का बचपन
गुलशन कुमार का जन्म दिल्ली के पंजाबी परिवार में हुआ था। कहते हैं गुलशन कुमार छोटी उम्र से ही बड़े सपने देखते थे। जब वह छोटे थे तो परिवार की मदद के लिए जूस की दुकान लगाया करते थे जिससे उन्होंने पैसे कमाना शुरू किया था। लेकिन गुलशन को बचपन से ही संगीत का शौक था, इसलिए वे ओरिजनल गानों को खुद की आवाज में रिकॉर्ड करके उन्हें कम दाम में बेचते थे। जब दिल्ली में असली मुकाम नहीं मिला तो मुंबई का रुख किया।
गुलशन की सफलता
मुंबई आने के बाद उन्होंने गाने के साथ फिल्म बनाने का भी काम किया। फिल्म निर्माण में उन्होंने पहला कदम वर्ष 1989 में 'लाल दुपट्टा मलमल का' नामक फिल्म बनाकर किया, इस फिल्म को दर्शकों से जमकर प्यार मिला।इसके बाद 1990 में प्रदर्शित फिल्म 'आशिकी' ने सफलता के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए| वहीं, साल 1991 में आमिर खान और पूजा भट्ट अभिनीत 'दिल है की मानता नहीं' में उनके संगीत ने एक बार फिर से कमाल किया। इसके बाद एक के बाद एक कामयाबी की सीढ़ी वह चढ़ते गए।
कामयाबी के शिखर के दौरान हुई हत्या
मुंबई आने के बाद वह धीरे धीरे कामयाबियों के बादशाह हो गए। ऐसे में एक दिन 12 अगस्त 1997 का दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ। गुलशन की हत्या करने के लिए शार्प शूटर्स लाए गए थे। 12 अगस्त को मुंबई के अंधेरी पश्चिम उपनगर जीत नगर में जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन पर बदमाशों ने ताबतोड़ गोलियां चलाईं।ब्रिटेन जाने से पहले नदीम सैफी ने हमेशा खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने यही कहा कि गुलशन कुमार हत्याकांड से उनका कोई कनेक्शन नहीं है। गुलशन कुमार को मंदिर के बाहर तीन हमलावरों ने 16 गोलियों से छलनी कर उनकी हत्या कर दी थी इस हत्या के पीछे दाउद का हाथ बताया जाता है।
गुलशन का परिवार
गुलशन कुमार की हत्या जब हुई तो उनके बच्चे छोटे थे। ऐसे में इस हादसे के बाद उनका पूरा परिवार बुरी तरह बिखर गया था। वहीं, छोटी उम्र नें पिता के जाने के बाद सारी जिम्मेदारी बेटे भूषण कुमार पर आ गई। भूषण ने बखूबी पिता के मेहनत से खड़े किए हुए कारोबार को संभाला और आज टी-सीरीज भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में से एक है।
वैष्णो देवी में भंडारा
आज वह भले किसी के बीच ना हों लेकिन गुलशन के नाम से वैष्णो देवी में भंडारा भी कराया जाता है जहां लाखों लोग हर रोज मुफ्त में खाना खाते हैं। कहते हैं गुलशन माता के भक्त थे और उनके बेटे इस काम को बड़ी ही सादिगी के साथ निभा रहे हैं।