Movie Review: मिसेज सीरियल किलर कलाकार: जैकलीन फर्नांडीस, मोहित रैना, जायन मैरी खान और मनोज बाजपेयी निर्देशक: शिरीष कुंदर निर्माता: फराह खान ओटीटी: नेटफ्लिक्स रेटिंग: ** कोरोना काल का तीसरा लॉकडाउन शुरू होने से ठीक पहले नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई हिंदी फिल्म मिसेज सीरियल किलर को कहानी, अभिनय, निर्देशन, तकनीकी पक्ष और संगीत की कसौटी पर कसें तो ये उतनी बुरी फिल्म नहीं है, जितना पिछले तीन दिन से इसे सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है। नेटफ्लिक्स की टीम का फोकस अभी भारत के मेट्रो शहर ही हैं और छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी तक पहुंचना उनकी योजना में शामिल नहीं है। और, मिसेज सीरियल किलर फॉल्ट इन अवर स्टार्स, ला ला लैंड या पैरासाइट देखकर तालियां बजाने वाले दर्शकों के लिए है नहीं। ये फिल्म है उन दर्शकों के लिए जिन्हें रामगोपाल वर्मा की कौन जैसी फिल्में देखने में मजा आता है।
हिंदी सिनेमा आमतौर पर अपने पहले से तय खांचों के हिसाब से ही बनता है। इसमें से कुछ अलग निकालना बहुत चुनौती भरा काम है। सिनेमाघरों के लिए फिल्में बनाने में पैसा बहुत लगता है और डिजिटल के लिए फिल्म बनाने में मेहनत बहुत लगती है। खासतौर से डिजिटल पर रिलीज होने वाली फिल्मों की कास्टिंग और इनका लुक बहुत मायने रखता है। शिरीष कुंदर अच्छे सेनापति हैं लेकिन उनकी फौज हर बार कमजोर निकलती है। उनको अपनी टीम में एक अच्छी हिंदी जानने वाला बंदा रखना चाहिए जो जैकलीन जैसी लड़कियों को हिंदी बोलना सिखा सके। और, उन्हें लगातार ये बताता रहे कि पोस्ट प्रोडक्शन में बहुत ज्यादा एक्सपेरीमेंट नहीं करने चाहिए और फिल्म को उसके ओरीजनल तेवर के साथ ही पेश करना चाहिए।
फिल्म मिसेज सीरियल किलर का प्लॉट अच्छा है। पटकथा उतनी अच्छी नहीं है। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ है जो कि पुरुष है। उसकी मानसिक ग्रंथियां विकसित नहीं हैं और वह अपनी पत्नी के मजाक की आदत तक से परिचित नहीं है। एक पत्नी है जिसका पूर्व प्रेमी उसी के शहर में पुलिस इंस्पेक्टर है। पुलिस इंस्पेक्टर ऐसा है कि उसे पांच गमले दिखते ही पांच लाशों के छिपे होने का ठिकाना पता चल जाता है। तीनों का ट्रायंगल है। फिल्म की शुरुआत जिस सिहरा देने वाले सीन से करने की कोशिश यहां होती है, वह देखने वाले को अपने साथ बांधने में कामयाब रहती है। धीरे धीरे फिल्म आगे बढ़ती है। दर्शक को समझ आने लगता है कि जो कुछ दिख रहा है उससे ज्यादा कुछ खतरनाक होना अभी बाकी है और ऐसा होता भी है। कहानी सीक्वेल का सिरा छोड़कर खत्म हो जाती है। शिरीष को इसकी सीक्वेल जरूर बनानी चाहिए और इस फिल्म को सबक की तरह इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर आपने राम गोपाल वर्मा की फिल्म कौन देखी है तो इसकी बुनावट के लिए इसके लेखक अनुराग कश्यप को दाद देने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। कौन की गिनती 20 साल पहले के हिंदी सिनेमा की फ्लॉप फिल्मों में होती है। और, आज इसे कल्ट फिल्म माना जाता है। अंग्रेजी में जिसे गोरी (gory) यानी रक्तरंजित फिल्में कहते हैं, वैसी वीभत्सता रचने की कोशिश शिरीष कुंदर ने भी की है। इत्तेफाक और कौन की तरह गाने यहां भी नहीं हैं। अभिनय के मामले में देखना हो तो ये मनोज बाजपेयी के कमाल के अभिनय वाली फिल्मों की सूची में ये एक फिल्म का इजाफा और करती है। बस, एक बात समझ नहीं आती और वो ये कि सलमान खान से उम्र में मनोज बाजपेयी तीन साल छोटे हैं। लेकिन, वह फिल्म में इतने बुजुर्ग से क्यों दिखते हैं?
फिल्म मिसेज सीरियल किलर की कमजोर कड़ी हैं जैकलीन फर्नांडीज। मेहनत जैकलीन ने अपनी तरफ से पूरी की है, लेकिन ऐसे किरदार करने के लिए उन्हें दो तीन महीने हिंदी बोलने की अच्छी प्रैक्टिस करनी जरूरी थी। तकनीकी रूप से फिल्म में कैमरा वर्क अच्छा है। लाइटिंग सही है। बैकग्राउंड म्यूजिक कहीं कहीं ओवर हो जाता है लेकिन बुरा नहीं है। निर्देशक मंसूर खान (कयामत से कयामत तक बनाने वाले) की बेटी जायन ने भी ठीक काम किया है। एक्शन सीन्स में उनकी निपुणता पर अगर किसी ढंग के निर्देशक की नजर पड़ी तो उन्हें आने वाले समय में अलहदा किरदार मिल सकते हैं। फिल्म को लॉक डाउन के फ्रस्टेशन में न देखें, इत्मीनान से देखें। समय निकालकर देखेंगे तो समय काटने में ये मदद जरूर करती है। एवरेज फिल्म है, दो स्टार वाली। शिरीष कुंदर थोड़ी मेहनत और करते, कुछ बेहतर लोगों को साथ ले लेते, तो फिल्म अच्छी बन हो सकती थी।var embedId = {jw:[],yt:[],dm:[]};function pauseVideos(vid){var players=Object.keys(embedId); players.forEach(function (key){var ids=embedId[key]; switch (key){case "jw": ids.forEach(function (id){if (id !=vid){var player = jwplayer(id); if(player.getState() === "playing"){player.pause();}}}); break; case "yt": ids.forEach(function (id){if (id !=vid){id.pauseVideo();}}); break;case "dm": ids.forEach(function (id){if (id !=vid && !id.paused){id.pause();}}); break;}});}var YTevent;function autoPlayYtVideo(player) {if(typeof NHCommand != "undefined" && NHCommand.isAutoPlayAllowed && NHCommand.isAutoPlayAllowed()){player.playVideo();ytVideoAutoPlayed = true;}}var ytOnLoadFn=[];function onYouTubePlayerAPIReady(){ytOnLoadFn.forEach(function(name){window[name]();});}function onYTEmbedLoad(ytp){embedId.yt.push(ytp);ytp.addEventListener("onStateChange", function(event){if(event.data === YT.PlayerState.PLAYING)pauseVideos(ytp);});}function pause(){pauseVideos()}var p; function ytkwTNtpx13ZE(){p = new YT.Player("div_kwTNtpx13ZE", {height: document.getElementById("div_kwTNtpx13ZE").offsetWidth * (9/16),width: document.getElementById("div_kwTNtpx13ZE").offsetWidth,videoId: "kwTNtpx13ZE",playerVars:{'autoplay':1,'loop':1,'mute':1}});onYTEmbedLoad(p)}ytOnLoadFn.push("ytkwTNtpx13ZE");if(!window.ytVideoAutoPlayed)setTimeout(function () {autoPlayYtVideo(p);}, 2000);if(NHCommand && NHCommand.getMainVideoId){document.getElementById(NHCommand.getMainVideoId()).style.display="none";}