टीके 90 प्रतिशत तक बीमारियों से सुरक्षा देते हैं. टीकों से न केवल छोटे बच्चे बल्कि वयस्कों को भी सुरक्षा मिलती है. हिंदुस्तान में सरर्वाइकल कैंसर से सबसे अधिक मौत होती है. एचपीवी टीके (वैक्सीन) से इससे बचाव संभव है.
इस टीके के लिए आदर्श आयु 29 साल है लेकिन 10 से 45 साल की आयु स्त्रियों को लगवाया जा सकता है. गर्भावस्था में नहीं लगवाना चाहिए. टाइफॉइड, चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस-ए, स्वाइन फ्लू व मीजल्स, रुबेला व मम्प्स के भी टीके आ चुके हैं. इनमें से अधिकांश टीके बचपन में ही लगते हैं अगर नहीं लगें है तो बड़े होने पर भी लगवा सकते हैं. टीके लगने के 10 दिन के बाद से सुरक्षा देने लगते हैं. दुनिया टीकाकरण हफ्ते 24-30 अप्रेल को मनाते हैं. बच्चों के टीके कब लगते हैं जन्म के समय बीसीजी, ओपीवी (पोलियो ड्रॉप), हेपेटाइटिस बी. 6 हफ्ते बाद डीपीटी, इंजेक्शन पोलियो, एचआइवी, रोटावायरस, न्यूमोकॉकल (पीसीवी), हेपेटाइटिस बी. 10 हफ्ते पर डीपीटी, एचआइवी, ओरल पोलियो, रोटावायरस, न्यूमोकॉकल (पीसीवी). 14 हफ्ते पर डीपीटी, एचआइवी, हेपेटाइटिस बी, ओरल पोलियो, रोटावायरस, न्यूमोकॉकल (पीसीवी). 9 महीने में एमएमआर, टाइफॉइड, 1 साल पर हेपेटाइटिस ए, 15वें महीने में एमएमआर, 16वें महीने में चिकनपॉक्स, 18वें महीने में डीपीटी, इंजेक्शन पोलियो, ओरल पोलियो, पीसीवी बूस्टर, 2 वर्ष पर टाइफॉइड, 5 वर्ष पर टाइफॉइड, डीपीटी, चिकनपॉक्स व 10 वर्ष पर टिटनेस, टाइफॉइड का टीके लगते हैं. डाक्टर बी। एस। बाबेल, पूर्व निदेशक, स्वास्थ्य विभाग, जयपुर