मेनोपॉज में महिलाओं को होती हैं दांतों से जुड़ी ये समस्याएं

मेनोपॉज यानी किसी महिला कि जिंदगी की रिप्रोडक्टिव स्टेज का खत्म होना। ये वो स्टेज है जिससे हर महिला को गुजरना होता है। अगर कोई महिला मेनोपॉज से गुजर रही है तो उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आएंगे जिनसे शरीर में कई तरह के लक्षण पैदा होते हैं। कई बार इनसे परेशानी होती है तो कई बार ये चिंताजनक भी होते हैं। जो हार्मोन शरीर में मौजूद रहते हैं उनसे न सिर्फ हमारे शरीर की रिप्रोडक्टिव क्षमता को सही ढंग से चलाने के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन ये सिर्फ प्रजनन प्रक्रिया के लिए ही नहीं होते बल्कि इनसे कई अलग काम भी होते हैं जैसे शरीर की हड्डियों और दांतों से जुड़ी चीज़ों का ध्यान रखना। अगर किसी के शरीर में कम एस्ट्रोजन है तो उसे बोन लॉस हो सकता है ये न सिर्फ रीढ़ की हड्डी में होता है बल्कि हिप्स और जॉ बोन में भी होता है। इससे दांतों के गिरने की समस्या भी सामने आती है।

कैसे मेनोपॉज दांतों के स्वास्थ्य पर असर डालता है?
ओरल म्यूकोसा (मुंह के अंदर मौजूद दंतावली और उसके इर्द-गिर्द मौजूद परत) में एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स होते हैं। अगर शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को लेकर कोई गड़बड़ होती है तो सीधे तौर पर हमारी ओरल हेल्थ पर असर पड़ता है। इसीलिए जिन महिलाओं को मेनोपॉज होता है या वो उसके करीब होती हैं उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने दांतों का और मुंह के स्वास्थ्य का ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत होती है। ठीक वैसे ही जैसे शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं शरीर की कई क्रिया और प्रक्रिया बदल जाती हैं। जैसे प्रजनन प्रक्रिया, पाचन प्रक्रिया और ओरल टिशू से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं। सिर्फ ओरल म्यूकोसा ही नहीं लार ग्रंथियों पर भी इसका असर होता है। इसलिए मुंह के अंदर की सभी प्रक्रियां पर असर होता है और ये सीधे तौर पर मेनोपॉज से जुड़ा होता है।

दांतों से जुड़ी समस्याएं जो मेनोपॉज के समय होती हैं-
शरीर में कम एस्ट्रोजन लेवल का होना बोन स्ट्रक्चर पर असर डालता है और इसके कारण दांतों के ढीले होने की समस्या भी हो सकती है। periodontium (दांतों के इर्द-गिर्द मौजूद सपोर्ट स्ट्रक्चर जो उन्हें मजबूत बनाता है।) कई चीजों से मिलकर बना होता है इसमें gingiva, periodontal ligaments, cementum, and alveolar bone होते हैं। सेक्स स्टेरॉइड्स periodontium पर भी असर डालते हैं। मेनोपॉज आसानी से महिलाओं को इससे जुड़ी बीमारियां दे सकता है। ऐसी बीमारियों के लक्षण हैं- - atrophic gingivitis की वजह से दांतों के बीच में गैप आ जाना- मसूढ़ों का ढीला पड़ना- मसूढ़ों में जलन होना- मसूढ़ों से खून आना- पस बनना- चबाते समय दर्द होना- दांतों का ढीला होना- मुंह की बदबू- मसूढ़ों का लाल या बैंगनी रंग का दिखना- मुंह सूखना (Xerostomia)- बर्निंग माउथ सिंड्रोम- मुंह की कैविटी का बढ़ना- दांतों के चबाने या काटने से जुड़ी समस्याएं- टेस्ट का बदल जानाअगर ऊपर दी गई समस्याओं में से कोई भी होता है तो सबसे पहले उस व्यक्ति को डेंटिस्ट से संपर्क करना चाहिए और समय रहते ट्रीटमेंट करवा लेना चाहिए।
मेनोपॉज के समय सही डेंटल हेल्थ कैसे सुनिश्चित की जाए-
मेनोपॉज के समय सही डेंटल हेल्थ रखना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप मेनोपॉज में होने वाली कई समस्याओं का हल कर सकती हैं। सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप दिन में दो या तीन बार अपने दांतों को ब्रश करें। साथ ही साथ, फ्लॉस भी करें और डॉक्टर से नियमित रूप से मिलती रहें और दांतों की क्लीनिंग करवाती रहें। अगर आप हेवी स्मोकर हैं तो हो सकता है कि डेंटिस्ट आपसे कहे कि आप स्मोकिंग थोड़ी कम कर दें या फिर बंद ही कर दें। अगर आपको बहुत ज्यादा तकलीफ है और मसूढ़ों से जुड़ी बीमारी के लक्षण हैं तो हो सकता है आपका डेंटिस्ट आपको गम स्पेशलिस्ट के पास जाने को कहे। स्पेशलिस्ट उसके बाद आपसे कह सकता है कि आप इनमें से कोई भी ट्रीटमेंट अपनाएं-- एंटीमाइक्रोबियल ओरल रिंस- ओरल एंटीबायोटिक्स- स्केलिंग ट्रीटमेंट जिससे टाक खत्म हो जाए- अगर बहुत ज्यादा समस्या है तो टिशू या बोन ग्राफ्ट्स- फ्लैप सर्जरीडेंटल इम्प्लांट्स भी किए जा सकते हैं अगर दांत ज्यादा ढीले हो गए हैं तो। अगर मुंह सूख रहा है तो खाना निगलने में भी बहुत समस्या हो सकती है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना, कैफीन का सेवन न करना, शुगरलेस कैंडी आदि खाना मददगार साबित हो सकता है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से करीब 50% समस्याएं खत्म हो जाती हैं। कैल्शियम, alendronate और हार्मोन रिप्लेस्मेंट से बोन लॉस और कई ओरल समस्याएं खत्म हो जाती है। वैसे अधिकरत मेनोपॉजल महिलाओं को जो लक्षण समझ आते हैं वो बहुत गंभीर नहीं होते हैं। वो ऐसे नहीं होते कि सही ओरल केयर से ठीक न हो सकें। हालांकि, कुछ केस में सिम्पटम काफी ज्यादा होते हैं और डॉक्टर के एक्गामिनेशन की जरूरत पड़ सकती है। डॉक्टर प्रीती देशपांडे (M.S.(OBGY), FICOG, Endoscopy Training IRCAD (France)) को उनकी एक्सपर्ट एडवाइस के लिए धन्यवाद।

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