हमारी भागदौड़ भरी जीवनशैली में गैस बनने से लेकर पेट फूलने और कब्ज होने की समस्या बेहद आम हो गई है। ये एक ऐसी समस्या हो गई है, जिससे कोई भी अछूता नहीं रहा है। इस परेशानी का सबसे मुख्य कारण यह है कि व्यस्तता भरी जिंदगी में लोग इस बात का ध्यान ही नहीं रख पाते कि वे क्या खा रहे हैं और कब खा रहे हैं। भोजन में इस अनियमितता के कारण ही पेट की समस्या हो जाती है। हालांकि योग एक ऐसा माध्यम है, जिससे इस परेशानी से राहत पाई जा सकती है। आज हम आपको पवनमुक्तासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पेट की समस्या में बहुत लाभदायी होता है।
पवनमुक्तासन एक योग क्रिया है। पवन का अर्थ है वायु और मुक्त का अर्थ है छोड़ना या मुक्त करना। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ये आसन आपकी आंतों से वायु या वात निकालने में उपयोगी है। इस आसन के करने से कभी कब्ज की समस्या नहीं होती और पाचन में सुधार होता है। यह आसन गहरा आंतरिक दबाव डालकर आपके कुल्हे और कमर के हिस्से की मांसपेशियों, लिंगामेंट और स्नायु की जटिल समस्याओं का निदान कर उनमें कसावट लाता है।
पवनमुक्तासन करने की विधि पवनमुक्तासन योग को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। सुनिश्चित करें कि आपकी दोनों हथेलियों का मुख आसमान की तरफ हो। ऐसा करने के बाग आप जिस आसन में आते हैं उसे शवासन कहा जाता है। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए घुटने को दोनों हाथों से पकड़कर छाती की ओर लाएं। इसके बाद सिर को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करते हुए अपनी नाक से घुटने का स्पर्श करें।
आप इस स्थिति में जब तक हो सके बने रहे। थोड़ी देर बाद वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं। इसी क्रिया को दूसरे पैर से भी करें। इसके बाद इसे दोनों पैरों से एक साथ करें। पवनमुक्तासन योग दिन में 5 से 10 बार रोजाना करने से पेट की समस्या से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाती है।
सावधानी यदि आपको पीठ दर्द हो या कमर में चोट आई हो तो कृपया इस आसन को न करें। इसके अलावा हार्निया और सायटिका के रोगियों को ये आसन नहीं करना चाहिए। महिलाओं को गर्भावस्था में इस आसन को नहीं करना चाहिए।नोट: यह खबर एक जानकारी मात्र है। किसी भी तरह के योगासन के अभ्यास से पहले विशेषज्ञ से उचित सलाह जरूर लें।