दुनिया भर में लगाए गए लॉकडाउन से भले ही देश को फायदा होगा लेकिन इसके कुछ बुरे नतीजे भी लोगों को देखने पड़ सकते हैं। इस लिए सयुंक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ( यूएनएफपीए) ने ये कहा है कि लॉकडाउन के चलते निम्न और मध्यम वर्ग वाले जितने भी देश है वहां करीब 5 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से वंचित रह सकती है।
70 लाख अनचाहे गर्भधारण के मामले संभव
महिलाओं को गर्भनिरोधक न मिलने की वजह से 70 लाख अनचाहे गर्भधारण के मामले सामने आ सकते है जिसके कारण जनसंख्या भी बड़ सकती है। यूएनएफपीए के अनुसार लॉकडाउन के कारण बहुत से देशों में आधुनिक गर्भनिरोधक की कमी हो गई है। जिसके कारण बड़ी संख्या में महिलाएं परिवार नियोजन के साधनों तक पहुंच नहीं बना पा रही है।
बढ़ सकते है हिंसा और शोषण के मामले
ये भी कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अन्य प्रकार के शोषण के मामले तेजी से बढ़ने का खतरा है। यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने कहा कि, ' इस लॉकडाउन के बुरे प्रभाव महिलाओं व लड़कियों पर पड़ सकते है। वहीं लाखों महिलाएं व लड़कियां परिवार नियोजन की अपनी योजनाओं को पूरा करने में और अपनी देह स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में नाकाम रह सकती है।
बढ़ सकते हैं बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के मामले
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक महामारी के इस समय में महिलाओं के साथ बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं सामने आ सकती है और अगले 10 साल में बाल विवाह के एक करोड़ 30 लाख मामले सामने आ सकते हैं।