लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादातर प्रभाव प्रतिरोधक क्षमता कम वाले व्यक्तियों पर पड़ता है. यह प्रतिरोध क्षमता कम करने में इस रोग की बड़ी भूमिका होती है, ऐसे में जिसे भी इस तरह की दिक्कत हो, वह इस संक्रमण काल में बेहद सतर्क रहे. यह कहना है राजकीय आयुर्वेद संस्थान एवं अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ़ मंदीप जायसवाल का. उन्होंने कहा कि मधुमेह के मरीजों के लिए मॉर्निंग वॉक रामबाण है, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं हो पा रहा है. दिनचर्या बिगड़ जाने से खानपान पर नियंत्रित नहीं रह गया है. Lockdown: तेलंगाना में फंसे 1200 प्रवासी श्रमिकों को लेकर झारखंड रवाना हुई पहली स्पेशल ट्रेन
डॉ़ मंदीप ने बताया कि मधुमेह से पीड़ित रोगियों को इस समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इस रोग से ग्रसित लोगों को हल्का व आधा पेट भोजन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि सुबह का नाश्ता भरपूर करना चाहिए. रात का खाना आठ बजे से पहले तथा आधा पेट करना चाहिए तथा रात के खाने के दो घंटे बाद ही सोना चाहिए. अखिलेश यादव की मांग पर योगी आदित्यनाथ ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को दी राहत, कहा- अपने राशन कार्ड का...
ड़ॉ. जायसवाल ने कहा कि मधुमेह रोगियों को दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए. आज के समय में बाहर टहलने की मनाही है इसलिए घर पर ही टहलें. कब्ज न हो, इसका विशेष ध्यान रखना है. इसके लिए खाना खाने के एक घंटे बाद गुनगुने पानी का सेवन करें. यदि दवा की जरूरत है तो भोजन करने से पहले हिंगवाष्टक चूर्ण तथा भोजन करने के एक घंटे बाद त्रिफला चूर्ण क्वाथ का सेवन अवश्य करें. ऑटो इंडस्ट्री को चुकानी पड़ी लॉकडाउन की कीमत, अप्रैल में मारुति की नहीं बिकी एक भी कार
उन्होंने बताया कि भोजन से एक घंटे पहले हरिद्रा, आमलकी, दालचीनी, गिलोय, मेथी, चिरायता को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर लगातार सेवन करने से मधुमेह नियंत्रित रहती है. यदि शुगर बढ़ी है तो भोजन करने के एक घंटे बाद निशाकथाकादि कशाय फलाकत्रादि कशाय का सेवन इसमें फायदा मिलता है.
डॉ. जायसवाल के अनुसार डायबिटीज में विशेष रूप से दूध तथा दूध के अन्य विकार (पनीर इत्यादि) तथा दही आदि भी कम मात्रा में और जहां तक संभव हो दोपहर से पहले लेने चाहिए. फिर भी डायबिटीज नियंत्रित नहीं हो रहा है तो डक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि हम एलोपैथिक दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो निगरानी जरूरी होती है क्योंकि शरीर में प्रतिक्रियाएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में हमें एलोपैथिक दवाओं की डोज कम करने की आवश्यकता होती है.