जयपुर हेल्थ। कटेरी, जिसे कंटकारी और भटकटैया भी कहते हैं। हिंदी में इसके कई नाम है जैसे- छोटी कटाई, भटकटैया, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली आदि। यह कांटेदार एक पौधा है जो जमीन पर उगता है।
कटेरी अक्सर जंगलों और झाड़ियों में बहुतायत रूप से पाया जाता है। आमतौर पर कटेरी की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी और श्वेत कंटकारी। जिनका प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है। कटेरी का प्रयोग पथरी, लिवर का बढ़ना और माइग्रेन जैसे गंभीर रोगों में किया जाता है।
इसके और भी कई लाभ हैं। माइग्रेन, और सिरदर्द में कंटकरी का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इसके अलावा अस्थमा में छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में 500 मिग्रा हींग और 2 ग्राम शहद मिलाकर, सेवन करने से लाभ मिलता है। गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्ट जोड़ों पर लगाया जाता है।
जड़ और बीज अस्थमा, खांसी और सीने में दर्द होने पर कटेरी को एक एक्पेक्टोरेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। खांसी का इलाज करने के लिए कटेरी की जड़ का काढ़ा शहद के साथ दिया जाता है। कटेरी की जड़ का पेस्ट सांप और बिच्छू के काटने के इलाज में नींबू के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।
इसके तने, फूल और फल, कड़वे होने के कारण, पैरों में होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। कंटकारी के फल वीर्य स्खलन को रोकते हैं। इससे सेक्स लाइफ बेहतर होती है। फल पुरुषों में कामोत्तेजक के रूप में काम करता है। महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म और दर्द के इलाज के लिए इसके बीज मददगार हैं।