माना जाता है कि महाराणा प्रताप ने वनों में भटकते हुए जिस घास की रोटियां खाई थीं वह भी दूब घास से ही निर्मित थी। दूब या दुर्वा वर्ष भर पाई जाने वाली घास है। और आम तौर पर दूब घास को लोग सिर्फ पूजा के लिए प्रयोग किए जाने वाला ही मानते हैं
डेस्क। माना जाता है कि महाराणा प्रताप ने वनों में भटकते हुए जिस घास की रोटियां खाई थीं, वह भी दूब घास से ही निर्मित थी। दूब या 'दुर्वा' वर्ष भर पाई जाने वाली घास है। और आम तौर पर दूब घास को लोग सिर्फ पूजा के लिए प्रयोग किए जाने वाला ही मानते हैं, लेकिन वास्वत में यह कई कार्यों में काम आती है। यही नहीं दूब कई ऐसी बीमारियों में भी कारगर साबित हुई है। जो ज़मीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढती है। हिन्दू धर्म में इस घास को बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
औषधीय गुणों से भरपूर दूब घास
-गर्मियों में नकसीर आने की समस्या कई लोगो को होती हैं, नकसीर में इसका रस नाक में डालने से लाभ होता है।
-दूब को लगभग 30 मिली पानी में पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से पथरी में शीघ्र ही लाभ होता है।
-दूब के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में दो-तीन बार चटाने से मलेरिया में लाभ होता है।
-दूब घास पर सुबह के समय नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है और अनेक विकार शांत हो जाते है।
-इस घास का अर्क मिर्गी का इलाज करने में सहायक हो सकता है। चंदन और चूर्ण को रस में मिलाकर रोगी को दें।
-दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है, इसे पीने से एनीमिया ठीक हो जाता है।
- इस घास के काढ़े से कुल्ला करने से मुँह के छाले मिट जाते है। - दूब का रस पीने से पित्त जन्य वमन ठीक हो जाता है।
-इस घास से प्राप्त रस दस्त में लाभकारी है। - यह रक्त स्त्राव, गर्भपात को रोकती है और गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है।
- दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है। - इसके रस को तेल में पका कर लगाने से दाद, खुजली मिट जाती है।
-इसके रस में बारीक पिसा नाग केशर और छोटी इलायची मिलाकर सूर्योदय के पहले छोटे बच्चों को नस्य दिलाने से वे तंदुरुस्त होते है। - दूब पर पड़ी हुई ओस जले हुए स्थान पर लगाने से पूरा लाभ मिलता है।
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