महाराष्ट्र स्थित नांदेड राज्य का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। नांदेड सिख धर्म के एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी है। गोदावरी नदी के तट पर स्थित यह शहर महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थानों में भी गिना जाता है। माना जाता है कि प्राचीन समय में यहां नंद राजवंश का शासम चला करता था। तीसरी शताब्दी के दौरान नांदेड सम्राट अशोक के अंतर्गत मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बना। माना जाता है कि 1956 तक नांदेड हैदराबाद राज्य के अंतर्गत रहा, जिसके बाद यह बंबई प्रेसीडेंसी के अधीन आया और अंत में इसे महाराष्ट्र(1960) राज्य का एक स्वतंत्र जिला बनाया गया। पर्यटन के लिहाज से यह एक आदर्श स्थल है, जानिए अपने विभिन्न पर्यटन आकर्षणों के साथ यह ऐतिहासिक स्थल आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है। गुरुद्वारा हजूर साहिब गोदावरी नदी के पश्चिमी हिस्से में स्थित नांदेड़ सिखों का पवित्र स्थल भी माना जाता है, यहां तखत सचखंड तखत सचखंड श्री हजुर अबचल साहिब को समर्पित एक गुरुद्वार स्थित है, जहां देश भर से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। यह वही स्थान है जहां महाराजा रणजीत सिंह ने वर्ष 1830 में तखत साहिब का निर्माण करवाया था। तख्त साहिब काफी बड़े हिस्से में बनवाया गया है, परिसर में दो अन्य पवित्र स्थान मौजूद हैं। यह गुरुद्वारा उस स्थान पर बनाया गया है जहां सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आखरी सांस ली थी। यह गुरुद्वारा 1832-37 के मध्य बनवाया गया था। गुरुद्वारा हजूर साहिब के अलावा आप यहां के प्राचीन स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। आप यहां कंधार का किला देख सकते हैं, जो यहां के चुनिंदा खास पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह किला आज भी अपनी मजबूत दीवारों के साथ खड़ा है, हालांकि किले के बहुत से हिस्से समय की मार तले खंडित हो गए हैं। माना जाता है इस किले का निर्माण राष्ट्रकूट राजा कृष्ण तृतीय ने करवाया था। यहां फव्वारे के साथ एक जलाशय का निर्माण भी किया गया था। किले की संरचनाओं में अंबर खाना और शीशमहल देखने लायक है। किले की वास्तुकला देकने लायक है, इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक खास स्थल है। कंधार फॉल्स नांदेड स्थित पर्यटन स्थलों की श्रृंखला में आप कंधार फॉल्स की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह जलप्रपात जिले स्थित चंदोली ज़ू के मध्य घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस झरने की खास बात यह है कि यह ‘यू’ आकार की पहाड़ी से शुरु होता है। अपनी यात्रा को रिफ्रेशिंग बनाने के लिए आप यहां आ सकते हैं। खासकर मॉनसून के दौरान इस झरने की खूबसूरती देखने लायक होती है। आप यहां अपने दोस्तों या परिवार के साथ यहां आ सकते हैं। सफऱ के दौरान सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि चट्टानी रास्तों पर चलते समय चोट लगने का डर बना रहता है। बिलोली की मस्जिद यहां के प्राचीन स्थलों में आप बिलोली की मस्जिद देख सकते हैं। यह मस्जिद हजरत नवाब सरफराज खान साहिद के नाम से जानी जाती है, जिसका निर्माण 330 वर्ष पहले किया गया था। जानकारी के अनुसार सरफराज खान मुगल शासक औरंगजेब की सेना में एक अधिकारी थे। मस्जिद का निर्माण पत्थरों से किया गया है, जिसके दक्षिणी हिस्से में चार मीनारे थी जो कभी बिजली गिरने से ध्वस्त हो गईं थी। मस्जिद की वास्तुकला देखने लायक है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं। माहुर उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक माहुर आ सकते हैं। यह धार्मिक स्थल रेणुका देवी के मंदिर लिए जाना जाता है। यह मंदिर यहां की एक पहाड़ी पर बना हुआ है। माना जाता है इस मंदिर का निर्माण 800 साल पहले किया गया था। बता दें कि देवी रेणुका भगवान परशुराम की माता थी। यह मंदिर घने जंगलों के मध्य बना हुआ है, जहां जंगली जानवर भी देखे जा सकते हैं। रेणुका मंदिर के अलावा आप यहां से उनकेश्वर की सैर का प्लान बना सकते हैं, यह स्थल अपने गर्म पानी के कुंड के लिए जाना जाता है, जिसके पानी में औषधीय गुण मौजूद है, जिससे त्वचा संबंधी रोगों का उपचार किया जा सकता है।