श्री सत्यनारायण व्रत कथा का महत्त्व; श्री सत्यनारायण भगवान् का व्रत कितना फलदाई होता है; इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलता है?
सत्यनारायण व्रत का महत्त्व
सत्य ही नारायण है इस व्रत का यही अर्थ है। हर व्यक्ति के जीवन में इस व्रत का यही उद्देश्य होना चाहिए की व्यक्ति अपने जीवन में सच के रास्ते को अपने। धर्म के रास्ते को अपनाय।
भगवान श्री हरी का यह व्रत कभी भी और किसी भी दिन किया जा सकता है। केवल ईश्वर के प्रति भक्ति भाव पूरे मन से होना है।
जब भी कोई शुभ कार्य होता है तब भगवान् की पूजा और कथा करने का महत्त्व होता है। श्री विष्णु के लिए पूर्णमासी को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। पूर्णमासी शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को कहा जाता है। पूर्णमासी के दिन इस कथा को करने का फल १०० यज्ञों के समान होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख और समृद्धि का विकास होता है।
पूजा की सामग्री
विष्णु जी की इस पूजा कथा में केले के पत्तों के अलावा पंचामृत, पान, सुपारी, रोली,मौली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता होती है। पूजा में फल, फूल, और आते का बना प्रसाद जिसे पंजीरी कहते है वह रखा जाता है।
व्रत रखने की विधि
जिस व्यक्ति को व्रत रखना हो उसे सबसे पहले संकल्प लेना चाहिए की वह दिन भर व्रत को पूरे श्रद्धा से रखेगा। उसके बाद घर के उत्तर दिशा में एक चौकी रखे। जिस पर लाल रंग का साफ़ कपडा बिछाए। फिर उसके ऊपर भगवान् की प्रतिमा को स्थापित करें। सबसे पहले श्री गणेश, की पूजा करें। उसके बाद सीताजी भगवान् श्री राम और लक्ष्मण, और फिर उसके बाद राधाकृष्ण की पूजा करे. इसके बाद माता लक्ष्मी और बाद में महादेव और ब्रम्हाजी की पूजा की जाती है।
पूजा कथा करने के बाद सभी देवों की आरती करें। पुरोहित जी को दान दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस व्रत को करने से भगवान् सभी दुःख और संकटों को है। और मोक्ष प्रदान करते हैं। जो भी यह व्रत करते है उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
सत्यनारायण व्रत साल की भर की तिथियां और दिन
माह तारीख दिन पौष10 जनवरीशुक्रवारमाह8 फरवरीशनिवारफाल्गुन9 मार्चसोमवारचैत्र7 अप्रैलमंगलवारवैशाख6 मईबुधवारज्येष्ठा5 जूनशुक्रवारआषाढ़4 जुलाईशनिवारश्रावण3 अगस्तसोमवारभाद्रपद1 सितम्बर मंगलवार आश्विन1 अक्टूबरगुरूवारआश्विन31 अक्टूबरशनिवारकार्तिक29 नवम्बररविवारमार्गशीर्ष29 दिसम्बरमंगलवार