'डर' फिल्म को भला किसे ने एक बार देख लिया और भूल गया हो ऐसा शायद मुमकिन नहीं है। यह एक ऐसी फिल्म थी जिसने दर्शकों को हिला कर रख दिया था। एक्टिंग का दमदार लोहा दर्शाने वाली यह फिल्म की चर्चा आजतक होती है। विलेन का किरदार निभाने वाले किंग खान शाहरुख ने तो इस चांस पर चौके-छक्के मार कर सबको अपना दीवाना बना लिया। वहीं पॉजिटिव रोल निभाने वाले सनी देओल कुछ खफा-खफा थे। यहां तक कि उन्होंने गुस्से में अपनी ही पैंट की दोनों जेबें भी फाड़ ली थी।
हुआ यह था कि एक सीन के दौरान शाहरुख को सनी पर चाकू मारना था। तब सनी बेहद गुस्से में आ गए। उन्होंने कहा कि किरदार कमांडो जनता है और यह विलेन एक आम-सा लड़का उसे मरेगा यह कोई लॉजिक नहीं है। मगर डायरेक्टर ने जोर दिया कि सीन यही है। फिर क्या सनी गुस्से में आ गए और उन्होंने अपनी पैंट की दोनों जेबें फाड़ दी।
दरअसल, यश राज तले सनी देओल की यह शायद पहली फिल्म थी। वो एक बड़े हीरो थे। उनकी मांग उस वक्त टॉप फिल्मों के लिए हुआ करती थी। इसलिए उन्हें रोल चुनने का अवसर दिया गया। उनसे पूछा गया कि आप राहुल मेहरा और सुनील मल्होत्रा में से कौन-सा रोल करना चाहेंगे ? उन्होंने सोचा कि हमेशा हीरो पॉजिटिव रोल कर के ही लोगों के दिल में जगह बनाता है। तो उन्होंने पॉजिटिव रोल चुन लिया।
जहां सनी को चॉइस मिली थी वहीं शाहरुख को यह विलेन का रोल मिलना शायद मजबूरी थी। क्योंकि कोई और यह रोल करना नहीं चाहता था।मगर पासे उलटे पड़ गए। फिल्म के बाद शाहरूख शायद सनी से ज्यादा छा गए। एक इंटरव्यू में सनी ने कहा कि 'जब फिल्म 'डर' बनाई गई तो मुझे इस बारे में नहीं बताया गया था कि इस फिल्म में विलेन को हीरो से ज्यादा दमदार तरीके से पेश किया जाएगा। मैं अपनी फिल्मों के बारे में पहले ही निर्देशक से सारी बातें जान लेता हूं। लेकिन जब मुझे पता चला कि इस फिल्म का अंत कुछ ऐसा होना है तो मैं हैरान रह गया था। मुझसे झूठ कहा गया था। यही वजह है कि मैं पिछले 25 सालों में कभी भी यशराज के साथ काम नहीं किया।'
उन्होंने यह भी कहा कि 'फिल्म में लोगों ने मुझे भी पसंद किया था। शाहरुख को भी पसंद किया गया। फिल्म के साथ मुझे बस इतनी समस्या थी कि मुझे नहीं पता था कि वे विलेन को इतनी अहमियत देंगे। मैं फिल्मों में हमेशा खुले दिल से और लोगों पर भरोसा करके काम करता हूं। दुर्भाग्यवश ऐसे कई लोग और एक्टर्स हैं जो ऐसे काम नहीं करते। शायद वे ऐसे ही स्टारडम चाहते हैं।'
परदे के पीछे की यह नौक-झोंक शायद परदे पर चल रही फिल्म के लिए बहुत उम्दा साबित हुई। हीरो और विलेन की यह तीखी केमिस्ट्री और हीरोइन यानी अवार्ड को पाने की चाहत ने इस फिल्म को ब्लॉकबस्टर बना दिया।