पूरे दुनिया में कोरोना का कहर फैला हुआ है। इस बीच विश्व मलेरिया दिवस का आना इस बात को याद दिलाता है कि दुनिया में कई सारी ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण हर साल लोग बीमार होते हैं और मौत के मुंह में समा जाते हैं। हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत साल 2007 से की गई थी। यूनिसेफ ने इस दिन को इसलिए शुरू किया था जिससे की लोगों का ध्यान इस खरतानाक बीमारी की ओर जाए क्योंकि हर साल लाखों लोग इससे मर रहे थे। इस साल विश्व मलेरिया दिवस की थीम Zero malaria starts with me है।
इस थीम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने RBM से हाथ मिलाया है। जिसकी मदद से मलेरिया को खत्म करने के उद्देश्य को जमीनी स्तर पर पूरा किया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2014 के बीच मलेरिया से होने वाली मौतों में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि इसके बाद के वर्षों में मलेरिया के संक्रमण को कम करने में कोई खास लाभ नजर नहीं आया।
क्यों हुई इसकी शुरूआत विश्व मलेरिया दिवस की शुरूआत सबसे पहले अफ्रीकी मलेरिया दिवस के रूप में की गई थी। क्योंकि इसका उद्देश्य अफ्रीका के देशों में होने वाली मौतों को कम करना था। लेकिन अफ्रीकी स्तर पर आयोजित होने वाले मलेरिया दिवस को 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक बैठक में विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
मलेरिया के कारण मलेरिया रोग के कारण मच्छरों की एक प्रजाति मादा एनीफिलीज के होती है। जो प्लाजमोडियम परजीवी के कारण होता है जिससे ये मच्छर संक्रमित होते हैं। हालांकि कई सारे प्लाजमोडियम परजीवियों में से केवल पांच तरह के परजीवी इंसानों में मलेरिया फैलाते हैं। जिनमें से प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम पूरी दुनिया भर में ज्यादातर होने वाली मौते के लिए जिम्मेदार होते हैं। अफ्रीका के देशों में सबसे ज्यादा इन्हीं मच्छरों के कारण मलेरिया होता है।
सुरक्षा के उपाय मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से 15 दिन के बाद दिखाई देने लगते हैं। जिसके शुरूआती लक्षण बुखार, सिरदर्द और शरीर में ठंड लगना है। मलेरिया को रोकने का सबसे बेहतर तरीका है मच्छरदानी का उपयोग और इनडोर अवशिष्ट छिड़काव का उपयोग।