कोरोना के चलते रामायण सीरियल का प्रसारण दुबारा शुरू हो गया है. लोगों का बहुत प्यारा भी मिल रहा है. 'रामायण' सीरियल के ये एक एक्टर फेसबुक पर जमकर वायरल हो रहे हैं. रामायण में इनके बहुत सारे रोल होने की वजह से ये इतने पॉपुलर हो रहे है
साथ में असलम जी की कुछ तस्वीरें साझा की. दर्शकों को इन्हें पहचानना आसान हो गया. ये कभी ऋषि मुनि के वेश में दिखते हैं, कभी गुप्तचर के भेष में. कभी वानर बनकर राम की तरफ से लड़ते हैं, तो कभी राक्षस के रोल में गरजते हैं. इनका सबसे अहम रोल है समुद्र देव का.
असलम 1961 में झांसी में पैदा हुए. जब एक साल के थे, परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. क्योंकि पिताजी की रेलवे में नौकरी थी. मुंबई में ही पले-बढ़े. 19-20 साल के हुए, तो नौकरी ढूंढने लगे. रेलवे में नौकरी के लिए फॉर्म भरा. फिर प्राइवेट नौकरी देखने लगे.
एक्टिंग में इनकी कोई रुचि नहीं थी. लेकिन इनके एक दोस्त 'यात्री' थिएटर ग्रुप में काम करते थे. एक दिन इन्हें नाटक दिखाने ले गए. पहली बार इन्होने ऐसा कुछ देखा था. अच्छा लगा. उसके कुछ दिन बाद दोस्त ने कहा शूटिंग पर चलने को. वे 'विक्रम और बेताल' सीरियल में छोटे-मोटे रोल करते थे. इनको एक्टिंग का कुछ पता नहीं था. लेकिन दोस्त के साथ पहुंच गए 'सागर विला'.
असलम से कहा गया कि डायलॉग बोलकर दिखाओ. और इनके टीवी करियर की शुरुआत हुई. धीरे धीरे ऐसे ही दूसरे रोल करने लगे.
उस सीरियल पर असिस्टेंट थे विजय काविश. वही जो 'रामायण' में 'शिव' और 'वाल्मीकि' बने हैं 'रामायण' भी रामानंद सागर की पेशकश थी. समुद्र देवता के लिए एक एक्टर को चुना गया था. वह एक्टर शूटिंग पर पहुंचा नहीं. उसका इंतज़ार किया जाने लगा.
कैमरामैन थे अजीत नायक. उन्होंने 'पापा जी' को बोला कि सर, एक बार असलम से करवाकर देख लो. असलम पहले से तैयार थे. खट से डायलॉग सुनाया, और फट से रोल मिला. यह उनका अब तक का सबसे अहम रोल था. उसके बाद सब लोग उन्हें 'समुद्र देवता' ही बुलाने लगे. इस रोल में उनकी एक्टिंग देखिए -
फिर उन्होंने अरुण गोविल के सीरियल 'मशाल' में भी काम किया. 'अलिफ़ लैला' में नज़र आए. 'ये हवाएं' सीरियल में एक बाबा का रोल किया. संजय खान ने इनको 'महारथी कर्ण' में जयद्रथ का रोल दिया.
एक और महत्वपूर्ण रोल किया अधिरथ का. जिन्होंने कर्ण को पाला था. एक सीन था जिसमें अधिरथ कर्ण के बड़ा होने पर उसे सच्चाई बताते हैं. कि वह सूतपुत्र नहीं है. वह उनको नदी में एक टोकरी में मिला था.'जय माता की' सीरियल में उन्होंने दुर्वासा ऋषि का रोल किया.
2002 में असलम ने फिल्म लाइन छोड़ दी. मन भर गया था. अब वे झांसी में रहते हैं. किसी कंपनी में काम करते हैं.
उन पर बन रहे मीम्स को लेकर उत्साहित हैं. बोले कि काश, उस वक़्त अगर सोशल मीडिया होता, तो शायद तभी पॉपुलर हो जाता. कुछ और अच्छे रोल मिलते. लेकिन अब भी अच्छा लग रहा है.
रामायण का उनकी ज़िंदगी पर क्या प्रभाव पड़ा? कहते हैं कि चाहे रामायण हो, भागवदगीता या क़ुरान, सभी में अच्छी बातें बताई गई हैं. वैसे रामायण में एक चीज़ अहम है. कि राम और सीता में बहुत सब्र दिखता है. इंसान को भी हमेशा सब्र रखना चाहिए.