फिजिकल इंटिमेसी के बारे में आमतौर पर चर्चा नहीं की जाती, इसीलिए महिलाएं रिलेशन्स बनाए जाने के दौरान होने वाली बीमारियों से भी अनजान होती हैं। Sexually transmitted diseases, जिन्हें आमतौर पर एसडीटी भी कहा जाता है, संक्रामक होती हैं। यह भी अहम बात है कि एसटीडी के 50 फीसदी मामलों में 19-24 की उम्र के युवा शिकार बनते हैं। टीनेज में एसटीडी होने की आशंका इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि इस उम्र में असुरक्षित संबंध बनाए जाने के मामले ज्यादा सामने आते हैं। साथ ही इस उम्र में इन्फेक्शन होने की आशंका भी ज्यादा होती है। टीनेजर्स स्वास्थ्य सेवाएं लेने के लिए बहुत ज्यादा अवेयर नहीं होते और ना ही उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी होती है। ऐसे में टीनेजर्स Sexually transmitted diseases से बचाव के तरीकों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखते। टीनेजर्स और युवा संक्रामक एसटीडी का शिकार होने के बजाय संबंध बनाने में संयम रख सकते हैं। साथ ही अगर फिजिकल इंटिमेसी के दौरान सावधानी बरती जाए तो भी इन बीमारियों से सुरक्षा संभव है। इन बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए जानें, आइए जानते हैं-
एसटीडी से संक्रमित व्यक्ति के घावों से रहें दूर
एसटीडी एक इंसान से दूसरे इंसान में तभी फैलती हैं, जब संक्रमित व्यक्ति के शरीर का द्रव्य दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आता है। खून, सीरम, mucosal secretion और saliva आदि के जरिए यह संक्रमण होने की आशंका होती है। अगर आपको चोट लगी हुई है तो आपके संक्रमित होने की आशंका और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आपको इस बात की जानकारी हो कि किसी व्यक्ति को एसटीडी है, तो आप उसके खुले थूक और घावों से खुद को पूरी तरह से दूर रखें।
फिजिकल इंटिमेसी में बरतें सावधानी
जब भी फिजिकल इंटिमेसी हो, तो सुरक्षित रहने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करना जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें कि कंडोम डैमेज्ड ना हो। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि पार्टनर को एसटीडी है या नहीं, कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए यह तरीका सुरक्षित रहता है। टीनेज में फिजिकल इंटिमेसी के लिहाज से बहुत ज्यादा समझ नहीं होती, इसीलिए इस उम्र में कंडोम का इस्तेमाल करने में समझदारी है।
इंजेक्शन और नुकीले पदार्थों से सुरक्षा
किसी से भी इंजेक्शन या नुकीले इंस्ट्रूमेंट ना लें, जो किसी और व्यक्ति के शरीर के संपर्क में आए हों। अस्पतालों में हमेशा डिस्पोजेबल सिरिंज का विकल्प चुनें। जब भी इलाज के दौरान किसी इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा हो, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह स्टर्लाइज्ड हो।
संयम में है समझदारी
टीनेज में बहुत से युवा एक से ज्यादा पार्टनर्स बनाते हैं। इससे उनके लिए कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। सीमित पार्टनर होने से ना सिर्फ एसटीडी से सुरक्षा मिलती है, बल्कि इससे हेल्दी लाइफ जीने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए एक से ज्यादा पार्टनर के साथ रिलेशन ना बनाने में ही समझदारी है।
सावधानी बरतना है जरूरी
कई एसटीडी में किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते। इस स्थिति में एसटीडी से बचाव के लिए टेस्ट कराना बेहतर रहता है। अगर आप किसी ऐसे पार्टनर के संपर्क में आए हैं, जिसके पहले से ही कई संबंध बने हों तो इससे भी इन्फेक्शन होने की आशंका हो सकती है। टेस्ट के जरिए आपको समय रहते एसटीडी के बारे में पता चल जाता है और शुरुआती चरणों में बेहतर इलाज होने की संभावना अधिक रहती है। अगर आप अपनी हेल्थ का ध्यान रखें तो एसटीडी के जरिए वायरस इन्फेक्शन फैलने से खुद को बचा सकते हैं।
यौन शिक्षा से रहें सुरक्षित
अगर आप यौन शिक्षा लें तो इससे भी आप तरह-तरह की एसटीडी से अपना बचाव करने में एहतियात बरत सकती हैं। सुरक्षित तरीके से फिजिकल इंटिमेसी से ही आप हेल्दी लाइफ जीने में सक्षम हो सकती हैं। प्रामाणिक स्रोतों से जानकारी लें, ताकि आप फिजिकल रिलेशन्स के दौरान पूरी सावधानी बरतें।
फिजिकल रिलेशन के दौरान संक्रामक एसटीडी होने की आशंका रहती ही है। ऐसे में बीमारी के शिकार होने से बेहतर है कि आप इससे अपना बचाव करें। अगर आप फिजिकल रिलेशन्स में सावधानी बरतें और सजग रहें तो निश्चित रूप से इसके कारण होने वाली संक्रामक बीमारियों से अपनी सुरक्षा कर सकती हैं। असंक्रमित पार्टनर के साथ रिलेशनशिप और contraceptives का इस्तेमाल करने से आप एसटीडी से सुरक्षित रह सकती हैं।