कोरोना वायरस के चलते बचाव के लिए लगाए गए मास्क को कितने समय में बदले, जानिए

ऐसे लोग जो कोरोना से संक्रमित हैं लेकिन उनमे लक्षण नहीं दिख रहे है, उनसे दूसरों में संक्रमण फैलने की सम्भावना अधिक है. सर गंगाराम हॉस्पिटल, नयी दिल्ली की विशेषज्ञ डाक्टर माला श्रीवास्तव के मुताबिक,

ऐसे लोग दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं. कोरोनावायरस से बचने के लिए मास्क भी समय-समय पर बदलते रहें व आर्थराइटिस के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है. कोरोना संक्रमण से जुड़े कई सवालों के जवाब डाक्टर माला श्रीवास्तवने ऑल इंडियो रेडियो के एक प्रोग्राम में दिए, जानिए उनके बारे में
#1)एक मास्क कितनी देर तक लगाना अच्छा है? जो लोग सर्जिकल मास्क लगाते हैं वे 6 से 8 घंटे तक इसे लगा सकते हैं. इसके बाद बदलना होता है. जो एन-95 मास्क का प्रयोग कर रहे हैं वो इसे 24 घंटे पहन सकते हैं. इसके अतिरिक्त जो घर का बना मास्क पहन रहे हैं वो धोकर दोबारा प्रयोग कर सकते हैं. ध्यान रखें जो घर का बना मास्क है वो कॉटन का हो व उसकी तीन लेयर होनी चाहिए.
#2)कोरोनावायरस के कुछ मामलों में लक्षण नहीं दिखे, क्या यह गंभीर स्थिति है? ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के कारण संक्रमण तो होता है लेकिन लक्षण नहीं दिखते. भले ही इन्हें कठिनाई न हो लेकिन इनसे संक्रमण फैलने की पूरी सम्भावना रहती है. ऐसे लोग संक्रमित होने के बाद सोचते हैं अच्छा है व घूमते रहते हैं. इस दौरान ये दूसरों को भी संक्रमित कर देते हैं. यही कारण है कि नए मुद्दे सामने आने पर मरीज के परिजनों के साथ आसपास के लोगों की भी जाँच की जा रही है.
#3) संक्रमण से बचने के लिए आंखों को कैसे ढ़के इससे कितना खतरा है? मुंह व नाक को मास्क से ढककर रखें. आंखों पर चश्मा लगा सकते हैं. अगर कोई स्वास्थ्य कर्मचारी है व संक्रमित मरीज की देखभाल करनी है तो उन्हें फेस शील्ड, चश्मा व आईकवर दिया जाता है. वैसे संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिसटेंसिंग व मास्क बहुत ज्यादा है. चूंकि चिकित्सक मरीजों को पास से देखते हैं इसलिए उन्हें आंख को कवर करना महत्वपूर्ण है.
#4) जिन लोगों को आर्थराइटिस है वे क्या सावधानी बरतें? आर्थराइटिस में जो दवा दी जाती है उससे इम्युनिटी थोड़ी कम हो जाती है व संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखें. सभी महत्वपूर्ण सावधानी बरतें.
#5) कोरोना की वैक्सीन बनने में कितना वक्त लग सकता है?
इस समय हिंदुस्तान समेत पूरी संसार में शोध व तमाम काम चल रहे हैं. अभी ये लेबोरेट्री व रिसर्च लेवल पर है. वैक्सीन बनने व लोगों तक पहुंचने में 6-7 महीने लग जाएंगे.

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