नेशनल दुनिया
वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) के वक्त दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज के कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौटे तबलीगी जमात के लोग एक ओर जहां क्वॉरेंटाइन सेंटर से चोरी-छिपे निकल भाग रहे हैं, डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों, अन्य व्यवस्थाकर्मियों पर थूंक रहे हैं, उनके साथ मारपीट कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ राजस्थान में सीकर जिले के पलसाना में क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे प्रवासी मजदूरों ने एक अलग ही उदाहरण पेश किया है। इन्होंने अपनी श्रम शक्ति से मानवता को जीवंत कर दिया है।
जिले में पलसाना कस्बे के शहीद सीताराम कुमावत और केएल तांबी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में ठहरे मजदूरों का कहना है कि वे लोग मजदूरी करके अपना पेट भरते हैं।
यहां पर उनके पास कोई काम नहीं था, तो उनको लगने लगा कि कहीं काम किए बिना वे बीमार नहीं पड़ जाएं, इसलिए उन्होंने गांव के सरपंच और गांव वालों से निवेदन कर स्कूलों की रंगाई पुताई का कार्य शुरू कर दिया।
इनका कहना है कि कि गांव के लोगों ने उनके रहने और खाने के लिए बेहतरीन व्यवस्था की है। कई दिन तक यहां ठहरने के बाद उनका काम पूरी तरह छूट गया है और ऐसा लगने लगा है कि कुछ दिनों बाद वे लोग अपना काम ही भूल जाएंगे, इसलिए उन्होंने गांव वालों की सेवा के प्रत्युत्तर में विद्यालयों का रंग-रोगन कर साफ-सफाई कर दी।
पलसाना के सरपंच रूपसिंह शेखावत का कहना है कि यहां पर प्रवासी मजदूर ठहरे हुए थे। ग्रामवासियों की तरफ से उनके रहने और खाने के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि स्कूल का रंग-रोगन कर साफ-सफाई करना चाहते हैं, तो उनके लिए रंग और अन्य सामान की व्यवस्था की गई है। उन्होंने स्कूल की रंगाई-पुताई और साफ-सफाई करके एक नया उदाहरण पेश किया है।
सीकर के जिला विधिक प्राधिकरण सचिव जगत सिंह ने बताया कि जब वह क्वॉरेंटाइन सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे तो पता चला कि मजदूरों ने विद्यालयों की रंग-रोगन कर सूरत ही बदल दी है। मजदूरों में इस तरह का जज्बा उन्होंने पहली बार देखा है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र मीणा ने बताया कि सभी शिक्षकों ने अपनी जेब स्व पैसे देने पर सहमति जता दी और रंगाई-पुताई के लिए मजदूरों को सामान की व्यवस्था कर दी गई। पिछले 9 साल से विद्यालय की पुताई का कार्य नहीं हुआ था। लेकिन कम करने के बाद भी इन श्रमवीर मजदूरों ने मजदूरी लेने से इनकार कर दिया।