तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में उड़ जाती हैं कोरोना वायरस की धज्जियां

लंदन. वैश्विक महामारी (Epidemic) कोरोना (Corona virus) ने पूरी दुनिया में त्राहि-त्राहि के हालात पैदा कर दिए हैं. इस वायरस के प्रभावों और इसके असर को लेकर अलग-अलग सतहों पर जिंदा रहने को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने दावा किया था कि न्‍यू नोवल कोरोना (Corona virus) कांच, प्‍लास्टिक और स्‍टील पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है. वहीं, तांबे की सतह पर कुछ ही घंटों में खत्‍म हो जाता है. ये बात ब्रिटेन में माइक्रोबायोलॉजी के रिसर्चर कीविल को कुछ ठीक नहीं लगी. वह ये सोच रहे थे कि कोरोना (Corona virus) तांबे की सतह पर कई घंटे तक कैसे जिंदा रह सकता है.

कीविल दो दशक से ज्‍यादा समय से तांबे के एंटी-माइक्रोबियल प्रभावों का अध्‍ययन कर रहे हैं. उन्‍होंने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्‍ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) और स्‍वाइन फ्लू (एच1एन1) के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है. हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्‍म हो गया. वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं. कीविल ने 2015 में कोविड-19 (Kovid-19) वायरस के परिवार के ही कोरोना (Corona virus) 229ई पर ध्‍यान दिया. ये वायरस संक्रमित व्‍यक्ति में जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है.
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कीविल ने जब इस कोरोना (Corona virus) का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्‍म हो गया, जबकि ये स्‍टेनलेस स्‍टील और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा. उनके मुताबिक, ये दुर्भाग्‍य ही है कि हमने साफ दिखने के कारण सार्वजनिक और सबसे ज्‍यादा टच की जाने वाली जगह पर स्‍टेनलेस स्‍टील को ही तव्‍वजो दी. लेकिन, यहां सवाल ये है कि निश्चित तौर पर स्‍टील बाकी धातुओं के मुकाबले साफ दिखता है, लेकिन हम उसे कितनी बार स्‍वच्‍छ करते हैं. ऐसे में ये संक्रमण फैला सकता है. वहीं, तांबे की सतह को बार-बार साफ करने की जरूरत नहीं होती है. ये बिना साफ किए भी अपने संपर्क में आने वाले वायरस या बैक्टिरिया को खत्‍म कर देता है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्‍यूनोलॉली के प्रोफेसर माइकल जी. श्मिट कहते हैं कि कीविल का काम तांबे के जरिये प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक शोध की मुहर है. वह कहते हैं कि लोग जर्म्‍स या वायरस को जानने से बहुत ही तांबे की कई बीमारियों के इलाज करने की क्षमता को पहचान गए थे. वह कहते हैं कि तांबा मानव को प्रकृति का वरदान है.
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वह बताते हैं कि कीविल की टीम ने न्‍यूयॉर्क शहर के ग्रैंड सेंट्रल टर्मिनल की पुरानी रेलिंग का परीक्षण किया था. इस रेलिंग का कॉपर आज भी उसी तरह काम कर रहा है, जैसे 100 साल पहले करता था. तांबे का एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव कभी खत्‍म नहीं होता है. तांबे के बारे में प्राचीन काल के लोग जो कुछ जानते थे, आज के वैज्ञानिक और संस्‍थाएं सिर्फ उनकी पुष्टि कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने 400 कॉपर सरफेस को एंटी-माइक्रोबियल सतह के तौर पर रजिस्‍टर किया है.

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