Meghnad: राम- रावण के बीच चल रहे युद्ध में जब रावण की सेना कमजोर होनी लगी तो उसने अपने भइयों और पुत्रों को रणभूमि में उतार दिया. अतिकाय और कुंभकर्ण की मौत के बाद रावण अधिक क्रोधित हो उठा तब उसने अपने पुत्र मेघनाद को रणभूमि में राम से युद्ध करने के लिए भेज दिया.
मेघनाद को अमर बनाने के लिए रावण ने जन्म के समय बदल थी ग्रहों की चाल मेघनाद रावण और मंदोदरी का सबसे ज्येष्ठ पुत्र था. रावण प्रकांड विद्वान होने के साथ-साथ ज्योतिष विषय का भी ज्ञाता था. वह एक पुत्र की कामना करता था जो अमर होने के साथ अजेय भी हो. इसके लिए उसने तप और बल से ग्रहों की चाल को ही बदल दिया. रावण ने अपने पुत्र की जन्म कुंडली के 11 वां भाव जिसे ज्योतिष में लाभ का स्थान माना जाता है. इसी में सभी ग्रहों को रख दिया. शनिदेव रावण की इस मंशा को समझ गए और वे मेघनाथ की जन्म कुंडली के 12 भाव जो कि हानि और व्यय का होता है, इसमें विराजमान हो गए. ऐसा होने से रावण की मनोकामना पूर्ण न हो सकी. यह बात रावण को पसंद नहीं और उसने क्रोध में शनि के पैरों पर प्रहार कर दिया.
मेघनाद के खतरनाक हथियार, जो शत्रुओं पर कहर बनकर टूटते थे
नागपाश: मेघनाद तपस्या कर नागपाश अस्त्र को प्राप्त किया था. यह एक प्रकार का रासायिनक अस्त्र था. इस शस्त्र का प्रयोग करके शत्रु के शरीर में जहरीलें सर्पों के विष का प्रवेश कराया जाता था. यह एक प्राचीनकाल अस्त्र था. मेघनाद इस अस्त्र का प्रयोग लक्ष्मण पर किया था. लेकिन भगवान गरुड़ की समय रहते मदद मिलने से लक्ष्मण की जान बच गई. इस रासायनिक हथियार का प्रयोग सबसे पहले राम- रावण के युद्ध में ही मिलता है.
ब्रह्मशिरा अस्त्र: युद्ध में जब मेघनाद कमजोर पड़ने लगा तो उसने स्वयं और अपनी सेना को बचाने के लिए कई ऐसे अस्त्रों का प्रयोग किया जिनका वर्णन राम- रावण युद्ध के दौरान ही मिलता है. ब्रह्मशिरा अस्त्र भी ऐसा ही हथियार था. श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के अनुसार ब्रह्मशिरा अस्त्र के प्रयोग से लगभग 67 करोड़ वानर सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए, जो कि लगभग पूरा का पूरा वानर वंश था.
वैष्णव अस्त्र: वानर वंश को समाप्त करने के लिए जब मेघनाथ ने ब्रह्मशिरा अस्त्र का प्रयोग किया तो वानर तेजी से वीरगति को प्राप्त होने लगे यह देखकर हनुमान जी वानरों को बचाने के लिए दौड़ पड़े, यह देखकर मेघनाद ने हनुमान जी पर वैष्णव अस्त्र का प्रयोग किया लेकिन ब्रह्मा जी का वरदान के कारण हनुमान पर इस अस्त्र का कोई प्रभाव नहीं हुआ.
शक्ति अस्त्र: इस अस्त्र से मेघनाद ने लक्ष्मण जी पर हमला किया था जिससे व मूर्छित हो गए थे. इस अस्त्र का असर खत्म करने के लिए संजीवनी बूटी का प्रयोग किया गया था.
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