चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में बढ़ता ही जा रहा है। इटली, अमेरिका, स्पेन, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में हर दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण मरने वालों का आंकड़ा भी हर दिन बढ़ता जा रहा है। इस बीच दुनिया भर के वैज्ञानिक इसके इलाज ढूंढने में लगे हैं। कोरोना की वैक्सीन का भी ट्रायल हो चुका है, हालांकि अबतक यह जनसाधारण के उपयोग के लिए तैयार नहीं हो सका है। वहीं, वैज्ञानिक इसके वैकल्पिक इलाज के तरीकों पर भी काम कर रहे हैं। वर्ल्ड इनोवेशन डे पर आइए जानते हैं कोरोना के इलाज में प्रयोग हो रहे सेल थेरेपी के बारे में, जिसका अमेरिका और इस्राइल में सकारात्मक परिणाम देखा गया है।
इस्राइल में छह मरीजों को दी गई थेरेपी इस्राइल की कंपनी प्लूरिस्तेम ने संक्रमण की वजह से गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बचाने की नई राह दिखाई है। कंपनी का दावा है कि उसने प्लेसेंटा आधारित सेल थेरेपी से छह लोगों की जान बचाई। यरूशलम पोस्ट के अनुसार इजराइल में तीन चिकित्सा केंद्रों पर छह मरीजों को प्लेसेंटा आधारित सेल थेरेपी दी गई। छह में से चार मरीजों में किडनी और हृदय से जुड़ी कई अंदरुनी प्रणाली प्रभावित हो चुकी थी।
अमेरिका में भी सकारात्मक परिणाम इसी तरह अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थित कंपनी के मेडिकल सेंटर पर जिस मरीज का इलाज किया गया, उसकी सांस लेने की प्रणाली विफल हो चुकी थी। उसे तीन हफ्ते से आईसीयू में रखा गया था। कंपनी के सीईओ याकी याने ने बताया कि बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। स्टेम सेल थेरेपी से कोरोना के मरीजों का पहली बार इलाज हुआ है।
किस तरह काम करती है यह तकनीक कंपनी ने इलाज में उपयोग किए सेल को पीएलएक्स नाम दिया। यह एलोजेनीक (अनुवांशिक रूप से भिन्न) मेसेनकिमी (भ्रूण के कनेक्टिव उतक) शैली के सेल हैं। इनमें हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करने की शक्ति होती है। वे प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने वाले टी-सेल और एम-2 मेक्रोफेज्स (श्वेत रक्त कण) को सक्रिय कर देते हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से ये निमोनिया और फेफड़े के उतकों में आई सूजन को कम करने लगते हैं। परिणाम, मरीजों की श्वसन प्रणाली सुधरती है और जान बच जाती है।