कोरोना से मचे कोहराम के बीच देश भर के ओपीडी में मरीजों के आने की प्रतिशत एकदम घट गई है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब मरीज़ों को तुंरत मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत थी, लेकिन कोरोना वायरस के डर से अस्पताल जाने में वे कतराते रहे, लेकिन हेल्थ एमर्जेंसी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता और अगर आप ऐसा कर रहे हैं, तो यह बड़ी भूल है एमर्जेंसी को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है- क्रॉनिक यानी पुरानी बीमारी और एक्यूट यानी घातक बीमारी। पुरानी यानी क्रॉनिक बीमारी में डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, किडनी और थैलासीसीमिया आते हैं। वहीं, घातक यानी एक्यूट बीमारियों में, लकवा, थकावट, सीने में दर्द, खून बहना, बेहोशी और एक्सीडेंट आते हैं। इस तरह की सभी परिस्थिति में फौरन मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत होती है, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर : अगर किसी को मधुमेह है और उसका स्तर लगातार ऊपर-नीचे जा रहा है, तो उस इंसान को तुरंत इलाज की ज़रूरत है। ऐसे ही अगर ब्लड प्रेशर की समस्या है, और बीपी बढ़ रहा है, तो ऐसे में मरीज़ को फौरन डॉक्टर की सलाह की ज़रूरत होती है। हाई बीपी से कई तरह की गंभीर बीमारियां जुड़ी होती हैं। इसे किसी भी कारण से नजरअंदाज न करें। कीमोथेरेपी और डायलिसिस : किडनी फेलियर की वजह से जिस व्यक्ति का डायलसिस चल रहा था, उसे हर हाल में चालू रखा जाना चाहिए। अगर डायलसिस नहीं किया गया तो किडनी के मरीज़ की हालत काफी गंभीर हो सकती है। ऐसा ही कैंसर और थैलासीसीमिया के मरीज़ों के साथ भी है, जिनकी पहले से कीमोथेरेपी चल रही थी, वह अब भी चलना ज़रूरी है। लकवा : अगर किसी व्यक्ति को शरीर के एक हिस्से या चेहरे पर पैरालिसिस अटैक पड़ता है, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की ज़रूरत है।सीने में दर्द : सीने में तेज़ दर्द दिल के दौरे का भी लक्षण है, जिसमें अगर मेडिकल ट्रीटमेंट समय पर नहीं हुआ तो जान जा सकती है।