रामगोपाल जाट। कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर अब पत्रकारों को भी अपनी जकड़ में लेता जा रहा है। आज मुंबई में 53 पत्रकार इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गए हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश के भी एक पत्रकार को पॉजिटिव पाया गया था।
अभी तक भारत सरकार, राजस्थान सरकार, दिल्ली सरकार, हरियाणा और पंजाब सरकार समेत कई सरकारों ने कोरोनावायरस (Coronavirus) के खिलाफ जंग में शामिल डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों को ही 50 लाख का बीमा कवर देने का ऐलान किया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बीते दिनों राज्य के विभिन्न समाचार पत्रों, इलेक्ट्रोनिक चैनल्स से पत्रकारों की सैलेरी नहीं काटने, उनकी छंटनी नहीं करने की अपील की थी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पत्रकार इसको बर्दास्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उनके घरों की हालत सरकारी कर्मचारियों से अलग है।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के लिए केवल बातें ही की थीं, किया अभी तक कुछ भी नहीं है।
हरियाणा सरकार ने जरुरी अपने राज्य में काम करने वाले पत्रकारों को सरकारी कर्मियों की भांति ही 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया है।
गौर करने वाले एक बात यह भी है कि पिछले दिनों कांग्रेस (Congress) की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने सभी मीडिया संस्थानों के दो साल तक के विज्ञापन बंद करने की मोदी सरकार से चिट्ठी लिखकर अपील की थी। इसके साथ ही यह भी कहा था कि कोई भी मंत्री और सांसद विदेश यात्रा पर न जाएं।
जिस तरह से कोरोनावायरस (Coronavirus) की इस महाजंग में चिकित्साकर्मी और अन्य सरकारी कर्मचारी जूझ रहे हैं, ठीक उसी तरह से फील्ड में काम करने वाले पत्रकार भी लड़ रहे हैं।
जनता से सूचनाएं, खबरें और सटीक जानकारी जुटाने के लिए पत्रकार जान की बाजी लगा रहे हैं, जबकि उनको सरकार बीमा कवर नहीं दे रही है।
उल्टा हो यह रहा है कि राज्य के एक बड़े समाचार पत्र समूह ने अपने सभी कर्मचारियों की मार्च की माह की तनख्वाह में जबरदस्त कटौती कर पत्रकारों पर कुठाराघात किया है।
इसी तरह से कुछ चैनल्स द्वारा वेतन कटौती करने, छंटनी करने और तनख्वाह को कम करने जैसे कदम भी उठाए हैं।
जिस जानलेवा बीमारी के समय भी अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए पत्रकार काम कर रहे हैं, और उसके बाद भी उनको नौकरी जाने, वेतन कम किये जाने और तनख्वाह काटे जाने का ड़र सता रहा है, वह बेहद डरावना है।
ऐसे समय में भी राज्य सरकार केवल बातें ही कर रही है, तो यह माना जाए कि सरकार का पत्रकारों के प्रति कोई धर्म नहीं है?