लॉक डाउन से मुक्ति आसान नहीं है। इससे भी ज्यादा मुश्किल यह है कि सरकार जब सारे प्रतिबंध हटा लेगी तब हो चुका नुकसान कवर करने के लिए क्या करेंगे। जो लोग नया बिजनेस स्टार्टअप शुरू करने वाले थे वह तो पूरी तरह बर्बाद हो गए। अब वह क्या करेंगे। लॉक डाउन के बाद कुछ ऐसे नियम बनेंगे जो नई बिजनेस और स्टार्टअप की लागत को महंगा कर देंगे लेकिन कुछ नए प्रकार के उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ जाएगी। व्यापार के लिए कुछ नए अवसर सामने आएंगे। आइए पढ़ते हैं कुछ न्यू बिजनेस / स्टार्टअप आइडिया:
1. कोरोनाओवन की बिक्री
बेंगलुरु के लॉग 9 मटेरियल्स स्टार्ट-अप ने कोरोनाओवन नाम का एक प्रॉडक्ट बनाया है, जो विभिन्न सतहों पर मौजूद बैक्टेरिया और वायरस को मार सकता है। इसके लिए यह अल्ट्रावायलेट सी-लाइट इस्तेमाल करता है। इसका डिज़ाइन एक चैम्बर की तरह है, जिसमे सामान रखकर सैनीटाइज किया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि इसमें वायरस 10 मिनट में ख़त्म हो सकते हैं। महामारी के दौर में इसकी मांग बढ़ सकती है।
2. हाईजीन हुक का उत्पादन या बिक्री
लंदन की डीडीबी कंपनी ने बिना हाथ लगाए दरवाजा खोलने के लिए बनाया है। जो इतना छोटा है कि आसानी से जेब में फिट हो जाता है। ऐसा ही एक हुक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने भी बनाया है। ये सभी ऐसे मटेरियल्स से बनाए जा रहे हैं, जिन्हें साफ करना आसान हो और जिनपर वायरस ज्यादा देर न टिक सकें।
3. वायरस मारने वाला मास्क
आमतौर पर मास्क वायरस को मुंह और नाक के अंदर जाने से रोकते हैं। लेकिन मास्क की बाहरी सतह पर वायरस बना रह सकता है। इसके समाधान के लिए लंदन की कंपनी वायरस्टैटिक ने ऐसा मास्क बनाया है, जो वायरस को अंदर जाने से रोकने के अलावा उसे मरता भी है। इस पर की गई एंटीवायरल कोटिंग 96 फीसदी वायरस मार सकती है।
4. एंटी बैक्टीरियल फैब्रिक
इजराइल के स्टार्ट-अप सोनोविआ ने ऐसा कपड़ा बनाया है, जो बैक्टेरिया और वायरस से बचाने के लिए है। माना जा रहा है कि यह कोरोना वायरस से भी बचाने में कारगर है, इसलिए इस स्टार्ट-अप ने इजराइल में इस फैब्रिक से बने 1.2 लाख मास्क बांटे हैं। इस फैब्रिक से डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के कपड़े भी बनाए जा सकते हैं। कंपनी का दावा है कि फैब्रिक की खूबी लंबे समय तक बनी रहेगी और इसे सौ बार तक धो सकते हैं।
5. कार के लिए कोरोना शील्ड
भारतीय स्टार्ट-अप ड्रूम ने गाड़ियों के लिए कोरोना शील्ड नाम की सर्विस लॉन्च की है। इसके तहत ऐसी एंटी-माइक्रोबियल कोटिंग की जाती है, जिसमे गाड़ी की सतह पर बैक्टेरिया, एल्गी आदि नहीं टिक पाते। इसमें माइक्रोब शील्ड टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जा रही है, जो कार को सेनिटाइज करती है और मिक्रोऑर्गेनिज़्म को पनपने से रोकती है। कंपनी का दवा है कि एक बार यह ट्रीटमेंट करवाने पर इसका असर 4 महीने तक रह सकता है। इस स्टार्ट-अप ने फिलहाल गुरुग्राम में पुलिस की गाड़ियों पर इसका इस्तेमाल करना शुरू किया है।