क्लोरीन डाइऑक्साइड: वो खतरनाक केमिकल जिसे बताया जा रहा कोरोना वायरस का इलाज

कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी के चमत्कारिक इलाज के तौर पर कई लोग इन दिनों एक विवादास्पद रसायन क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने लगे हैं। इसे 'मिराकल मिनरल सप्लीमेंट' या 'चमत्कारिक खनिज पदार्थ' के नाम से भी जाना जाता है।एक जमाने से लोग मलेरिया, डायबिटीज, अस्थमा, ऑटिज्म और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के तौर पर इसका प्रचार करते रहे हैं। हालांकि किसी भी स्वास्थ्य संगठन ने क्लोरीन डाइऑक्साइड को एक दवा के तौर पर मान्यता नहीं दी है।और अब जब सारी दुनिया कोविड-19 की महामारी से जूझ रही है, इस केमिकल को एक बार फिर से लोग कोरोना वायरस की काट के तौर पर पेश करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं और क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल का तरीका बता रहे हैं।

क्लोरीन डाइऑक्साइड के खतरे लेकिन इस केमिकल से जुड़े खतरों की एक लंबी सूची है और कई संगठनों ने इसके इस्तेमाल को लेकर सख्त चेतावनी भी जारी की हैं। आखिरी चेतावनी अमरीका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) विभाग की तरफ से आई है।यूएसएफडीए ने आठ अप्रैल को जारी की गई चेतावनी में कहा है, "क्लोरीन डाइऑक्साइड के प्रभाव या सुरक्षा के बारे में कोई वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। इससे मरीज के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंचता है।"
क्या है क्लोरीन डाइऑक्साइड? इसे डिस्टिल वाटर (जब पानी को उबालकर भाप में और उसे वापस ठंडा कर पानी में बदल दिया जाता है) में सोडियम क्लोराइट मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल साफ-सफाई के काम में किया जाता है। नाम से ये ब्लीच या क्लोरीन के करीब लगता है।कंप्लूटेंस यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड में केमिस्ट्री के प्रोफेसर मिगेल एंजेल सिएरा रॉड्रिग्ज कहते हैं, "ये एक ऐसा कीटाणुनाशक है जिसका इस्तेमाल उद्योगों में किया जाता है। इसे कभी खाने या पीने के इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए।"यूएसएफडीए ने भी कहा है कि क्लोरीन डाइऑक्साइड पीने से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं और यहां तक कि जान भी जा सकती है। प्रोफेसर मिगेल ने बताया, "इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस पर क्लोरीन डाइऑक्साइड का कोई असर नहीं होता है।"
जानलेवा साइड इफेक्ट्स क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल के बाद मरीजों के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्परिणाम सामने आए हैं। अमरीका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग को मिली रिपोर्टों के मुताबिक, इस केमिकल से शरीर के श्वसन प्रणाली, लिवर (यकृत) जैसे अंग काम करना बंद कर देते हैं।कुछ मामलों में तो दिल की धड़कनें इस हद तक असामान्य हो गईं कि मरीज की जान जाने तक की नौबत आ जाती है। इसके अलावा लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान, उल्टी और डायरिया का गंभीर प्रकोप भी देखा गया है।यूएसएफडीए का कहना है कि क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल के बाद अगर मेडिकल हेल्प लेने में देरी हुई तो इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
कोविड-19 के खिलाफ मुश्किल तो तब और बढ़ जाती है जब फेसबुक और यूट्यूब पर ऐसे वीडियो की भरमार दिखती है जिनमें लोग क्लोरीन डाइऑक्साइड के औषधीय गुणों का बखान कर रहे होते हैं। इन वीडियो में लोगों को ये दावा करते देखा जा सकता है कि क्लोरीन डाइऑक्साइड में वायरस और बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता है।कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौर में अब लोग इसे कोविड-19 के खिलाफ चमत्कारिक इलाज के तौर पर बता रहे हैं। ऐसे ही एक वीडियो में इक्वाडोर के गुआयाक्वील शहर की एक महिला जो अस्थमा की मरीज भी हैं, उन्होंने क्लोरीन डाइऑक्साइड को लेकर अपने अनुभव बताएं।
एक महिला की 'आपबीती' "मैंने सचमुच कोई टेस्ट नहीं कराया था। मैं शॉपिंग के लिए बाहर गई थी। मैं सुपरमार्केट गई थी। मैं लोगों के संपर्क में आई थी। कुछ समय के बाद मुझे रुक-रुक कर बुखार आने लगा। मैं बेहद थका हुआ महसूस करती थी। सबकुछ असहज सा लगता था। आंखों के पीछे और सिर में दर्द रहने लगा था।""हफ्ते भर बाद तो न तो मैं किसी चीज का स्वाद ही महसूस कर पा रही थी और न ही उसकी गंध। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में ऐसे ही लक्षण देखे जा रहे थे। मैंने हफ्तों अपना पूरा खयाल रखा। लेकिन क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल के बाद ही मैंने सुधार महसूस किया।""मैंने पहले भी क्लोरीन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया था। लेकिन इसका स्वाद बहुत ही खराब था। अगली सुबह मेरे गले की तकलीफ और बुखार दोनों ही ग़ायब हो गए और मैं बहुत ही अच्छा महसूस कर रही थी।"
संक्रमण के लक्षण कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में ये देखा गया है कि इस विषाणु से शुरुआत में श्वसन अंग में इन्फेक्शन होता है फिर बुखार और सूखी खांसी और हफ्ते भर बाद सांस लेने की तकलीफ और इसके बाद निमोनिया की गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है।जिन संक्रमित लोगों में ये लक्षण दिखाई देते हैं, उनमें से बहुत से मरीजों को बीमारी रोकने के लिए फौरन डॉक्टरी मदद लेनी होती है। अगर हालात बिगड़ जाएं तो मरीज को इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती कराना पड़ता है, जहां उसे मेडिकल वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।अमेरिका में कोविड-19 के इलाज के नाम पर क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर 'जेनेसिस-II चर्च ऑफ हेल्थ एंड हीलिंग' नाम के एक संगठन को यूएसएफडीए ने चेतावनी भी दी है। स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है।

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