वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से आज एक बड़ी आबादी पीड़ित है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में रोग प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आरोग्य भारती की ओर से रविवार को एक ऑनलाइन सेमिनार (वेबिनार) का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञों ने रसायन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विषय पर अपने विचार रखे।
जिले से प्रोफेसर जीएस तोमर इस वेबिनार में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि नैमित्तिक रसायन एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदीय उपादान है, जिसका प्रयोग न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करना है बल्कि जीर्ण एवं गंभीर रोगों की प्रभावी चिकित्सा भी है। मधुमेह, हृदय रोग, कुष्ठ, गठिया एवं कैंसर जैसे रोगों में हुए शोध से ये प्रमाणित हैं। पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति में असाध्य रोग भी आयुर्वेदीय नैमित्तिक रसायन के प्रयोग से साध्य हो जाते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी ने गुडुच (गिलोय) के रसायन महत्व पर चर्चा की। बताया कि गिलोय में सभी रोगों से शरीर की सुरक्षा करने के गुण मौजूद हैं। इसके सेवन से हम विभिन्न संक्रमण से बच सकते हैं। नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के डॉ. रमाकांत यादव ने कहा कि आजकल के भौतिक युग में मानसिक तनाव एक प्रमुख समस्या है। इस कारण से अनेक रोगों जैसे चिंता, अवसाद, अनिद्रा, मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप मनुष्य जाति को बहुत प्रभावित कर रहे हैं।
पुणे महाराष्ट्र के प्रोफेसर विष्णु दत्त अग्रवाल ने बताया कि शरीर नामक हार्डवेयर के मदरबोर्ड के विभिन्न अवयवों की क्षति प्रति दस वर्ष में होती है। जन्म से प्रति दस वर्ष के अनंतर बाल्यावस्था, शारीरिक लंबाई, छवि, मेधा, दृष्टि, बुद्धि आदि भावों में कमी आती है। रसायन औषधियों के नियमित प्रयोग से शरीर में हो रहे इस क्षय को कम किया जा सकता है। जयपुर से डॉ. पवन गोदत्वार ने पाचक अग्नि के प्रभाव एवं आहार पाचन प्रक्रिया से शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने पर विचार रखे। मुजफ्फरनगर से प्रोफेसर एसएस बेदार ने बुद्धि वर्धक रसायन औषधियों के विषय में बताया। डॉ. अवनीश पाण्डेय ने वर्तमान माहौल को देखते लोगों को स्वस्थ रहने के उपाय बताए। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन डा. नवीन जोशी एवं दूसरे सत्र का संचालन डॉ. अवनीश पाण्डेय ने किया।
आयुर्वेदाचार्यों ने इन पर अमल की दी सलाह - 1- पूरे दिन गुनगुना पानी पीते रहें 2- प्रतिदिन 30 मिनट तक योगासन एवं प्राणायाम करें 3- हल्दी, जीरा, लहसुन, धनिया जैसे मसालों का प्रयोग अपने भोजन में करें 4- सुबह और शाम नाक में घी या तेल लगाएं 5- खांसी या गले में खरास होने पर लौंग के चूर्ण में गुड़ या शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लें 6- तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ से बनी हर्बल चाय या काढ़ा एक से दो बार पीयें 7- 150 मिलीलीटर गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी चूर्ण दिन में एक बार अवश्य लें
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