21 Day Challenge: घर में इन योगासन को सिर्फ 21 दिन करके बॉडी को टोन करें और चेहरे का ग्‍लो बढ़ाएं

ये जो 21 दिन का लॉकडाउन है, वह बहुत मायनों में हमारे लिए परीक्षा की घड़ी की तरह आया है। इस दौरान हमें अपनी फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की हेल्‍थ का ध्‍यान रखना है। ऐसा माना जाता है कि योग से हमें इन दोनों यानि तन और मन दोनों को दुरुस्‍त रखने में हेल्‍प मिलती है। इसके अलावा इसे रोजाना करने से आपकी सुंदरता को भी बढ़ाता है। अगर आपने भी यह सुना है और अगर आप इसे अपने रुटीन का हिस्‍सा बनाने के बारे में कई दिनों से सोच रहे हैं, लेकिन आपको कभी फुर्सत नहीं मिली तो यह समय आपके लिए सबसे ज्‍यादा उपयुक्‍त साबित हो सकता है। आज हम आपको 21 दिन के योग रुटीन के बारे में बता रहे हैं जिसमें हम आपको बताएंगे कि आप योग की शुरुआत कैसे करें, इसे अपने रुटीन में कैसे लाएं और कौन से योगासन रोजाना करें ताकि 21 दिन के बाद खुद में बदलाव महसूस कर सकें। इस बारे में हमें योग गुरू नेहा बता रही हैं। Karki Founder की योग गुरु नेहा, योगगुरु संस्थान की फाउंडर- महिला स्वास्थ्य अनुसंधान फाउंडेशन (ट्रस्ट) की संस्थापक है। प्रेग्‍नेंसी के लिए योग पर काफी किताबें लिख चुकी हैं और योगगुरु प्रकाशन कार्य क्षेत्र- क्यूसीआई (आयुष मंत्रालय) की परीक्षक, पतंजलि अनुसंधान संस्थान में सहायक वैज्ञानिक, अपोलो अस्पताल, फोर्टिस, स्टेम सेल और लाइफ सेल्‍स के साथ काम करती हैं।

योग गुरू नेहा का कहना हैं कि 'योग के साथ हमें अपने रूटीन में प्राणायाम भी शामिल करना चाहिए। यूं तो प्राणायम बहुत सारे होते हैं लेकिन योग की शुरुआत करने वालों को चुनिंदा प्राणायाम ही करने चाहिए। इसके अलावा कुछ आसन ऐसे होते हैं जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ते हैं उन योग आसनों के साथ कुछ आसनों को करना बेहद जरूरी होता है।''

पहला दिन
अगर आपने पहले योग कभी नहीं किया है तो आप योग की शुरुआत में सूक्ष्‍म व्‍यायाम से करें, जिसमें पैरों, हाथों, कंधों, कलाई, गर्दन और घुटनों को घूमाना शामिल है। यह हल्‍के वार्मअप की तरह होता है। फिर इसके बाद आप पहले दिन ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन और ॐ चैटिंग करें। ताड़ासन पूरी बॉडी को स्‍ट्रेच करने में हेल्‍प करता है। फिर हम तिर्यक ताड़ासन करेंगे, इससे साइड स्‍ट्रेच होता है। फिर हम सिंपल ओम (ॐ) चैटिंग करना है और इसे कम से कम 5 बार करना चाहिए।
ताड़ासनताड़ासन करने के लिए सीधे खड़े हो जायें, आपके पैर पास होने चाहिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को उठाइये। फिर हथेलियों को आसमान की तरफ कीजिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाकर इनको उंगलियों के जरिये लॉक कर दीजिए।
तिर्यक ताड़ासनइसे करने के लिए ताड़ासन की पॉजिशन में खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच थोड़ा गैप और पैर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। दोनों हाथों की उंगुलियों को आपस में मिला लें। इन्हें सिर के ऊपर उठाएं और हाथों को ऊपर की ओर स्‍ट्रेच करें। पैरों की उंगलियों पर खड़े होने का ट्राई करें। शरीर को ऊपर की तरफ तानें। अब शरीर को कमर से दाईं और फिर बाईं तरफ झुकाएं। इस पॉजिशन में थोड़ी देर रुकने की कोशिश करें। फिर वापस पहले की पॉजिशन में आ जाएं। इसे दोनों तरफ से करें।
दूसरा दिन
दूसरे दिन आपको ताड़ासन, कटिचक्रासन, तिर्यक ताड़ासन, ॐ चैटिंग और कपाल भाति करना है। कटिचक्रासन स्‍पाइनल कॉड और साइड के लिए होता है। तिर्यक ताड़ासन जैसा कि हम आपको पहले बता चुके है कि ये साइड और हाथों के लिए होता है, कपाल भाती sympathetic नर्वस सिस्टम पर काम करता हैं। हमें पहले ॐ चैटिंग 5 बार करना है और फिर कपाल भाती और लास्ट फिर से ॐ चैटिंग पर समाप्त करना है।
कटिचक्रासनयह आसन खड़े होकर किया जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे हो जाएं। इस तरह से खड़े हो कि दोनों पैरों के बीच थोड़ी सी दूरी हो। अब अपने कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लेकर आएं। सांस नॉर्मल करते हुए मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। अब इस पॉजिशन में कुछ समय तक खड़ी रहें और फिर दाईं तरफ से भी इस क्रिया को इसी तरफ से करें।
कपालभातिइस प्राणायाम को करने के लिए आराम की मुद्रा में बैठकर गहरी सांस लें। फिर सांस को बाहर निकालें। शुरू में तीन चक्र करें, हर चक्र में 10 बार सांस निकालें। धीरे-धीरे चक्रों को बढ़ाकर 5 या 6 कर दें। कुछ देर के लिए आराम करें। बाकी आसन को करने का तरीका पहले दिन में हमने आपको बताया है।
तीसरा दिन
तीसरे दिन आपको तिर्यक ताड़ासन, कटिचक्रासन, त्रिकोण आसन, मकरासन, ॐ चैटिंग, कपाल भाती, अनुलोम विलोम करना है। तिर्यक ताड़ासन - 5 स्टेप्स में होता है, हाथ के लिए, बैक के लिए, साइड के लिए। त्रिकोण आसन - लेग ओपन करके साइड में बैंड करके होता है, जो पूरी बॉडी को सिर से लेकर पैर तक कवर करता है। मकरासन, रिलैक्स करने का आसन है, इसे क्रोकोडाइल पोज़ भी कहते है। तीसरे दिन से हमारे रिलैक्‍स करने वाले पोज भी स्‍टार्ट होते हैं। फिर ब्रिदिग एक्‍सरसाइज में आपको ॐ चैटिंग 5 बार करना है, फिर कपाल भाती 3 से 4 मिनट करना चाहिए। फिर अनुलोम विलोम प्राणायाम करना चाहिए। अभी जैसे गर्मियां आ रही है तो सबसे पहले राइट नोज को बंद करके लेफ्ट नोज को एक्ससेल करना होता है। मतलब स्वर खाली करना होता है फिर शुरू होता है और अगर कपाल भाती 3 बार हुआ है तो अनुलोम विलोम आपको 4 बार करना चाहिए, और फिर आखिर में फिर से ॐ चैटिंग करें
त्रिकोण आसनइस योग को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों हाथों को कंधे की चौड़ाई में सीधा कर लें। अब दाई तरफ झुकते हुए हाथ को अंगुठे तक लाएं और थोड़ी देर उसी अवस्था में रहें। इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।
मकरासनइस योगासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बाल लेट जायें। सिर और कंधों को ऊपर उठाएं और ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों को जमीन पर टिका लें। रीढ़ की हड्डी में अधिक मोड़ लाने के लिए कोहनियों को एक साथ रखें। गर्दन पर एक्‍स्‍ट्रा प्रेशर हो तो कोहनियों को थोड़ा अलग करें। पूरे शरीर को शिथिल करें और आंखें बंद कर लें।
अनुलोम विलोमइसे करने के लिए सबसे पहले बैठ जाए। फिर अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दाएं नाक को बंद करें। फिर बाई तरफ की नाक से सांस को अंदर की ओर भरें। अब अंगूठे के साथ वाली उंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दें और दाई नाक से सांस को बाहर निकालिए। फिर दाई नाक से ही सांस को 4-5 गिनती तक अंदर को भरे और दाई नाक को बंद करके बाई नाक खोलकर सांस को 8-9 की गिनती में बाहर निकाल दें। बाकी आसन को करने का तरीका आपको दूसरे दिन में मिल जाएगा।
चौथा दिन
चौथे दिन आपको कटिचक्रासन, त्रिकोण आसन, भद्रासन, बालासन, ॐ चैटिंग - 5 बार, कपाल भाती 3 से 4 मिनट, अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम 3 बार करने के बाद फिर से ॐ की चैटिंग करनी हैं। भद्रासन को कुछ लोग बटर फ्लाई के नाम से भी जानते हैं हालांकि असल में यह आसन का नाम नहीं होता है। यह हमारे पेल्विक एरिया के लिए होता है। इसमें रिलैक्सेशन का आसन बालासन शामिल है।
भद्रासनइसे करने के लिए अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें और अपने हाथों से दोनों पैरों को पकड़ लें। घुटनों का जमीन से स्पर्श होना चाहिए। टखनों को हाथों से पकड़ आप अपने घुटनों को ऊपर नीचे करें। ऊपर नीचे करने से एक चक्र हुआ। इस तरह आप पहले पहले 100 बार करना है। फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाएं। आपके सिर, गर्दन एवं पीठ सीधी होनी चाहिए। इस क्रिया में आपकी सांस साधारण होनी चाहिए।
बालासनइस आसन को करने के लिए अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं। कूल्हों पर एडी को रखें। अपनी हथेलियों को जमीन पर रखें। आगे की ओर झुककर माथे को जमीन पर लगाएं। हाथों को या तो शरीर के दोनों तरफ रखें या हथेली को आगे की ओर फैला दें। स्थिति को बनाए रखें। धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे-धीरे सीधा करें और रिलैक्‍स करें। बाकी आसन को करने का तरीका आपको ऊपर हमने आपको बताया है।

5वां दिन
आपको पांचवे दिन में ताड़ासन, त्रिकोण आसन, भद्रासन के अलावा फिर इस दिन आपको एक और आसन शामिल करना है, जिसका नाम उत्थान पाद आसन है। लेकिन ये 1 पैर से करने वाला शामिल होना चाहिए, 1-1 पैर के साथ ही उत्थान पाद आसन करें। प्राणायाम जैसे ऊपर किए है वैसे ही आपको इस दिन भी करना होगा।
उत्थान पाद आसनइसे करने के लिए जमीन पर आराम से लेट जाएं और पैरों को फैला लें। पैरों की बीच दुरी नहीं होनी चाहिए। हाथ शरीर के निकट रखे रहने दें। सांस लेते हुए पैरों को मोड़े बिना धीरे-धीरे 30 डिग्री पर उठाएं। धीरे धीरे सांस लें और फिर धीरे धीरे सांस छोड़े और इसी मुद्रा में रहें। लंबा सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को नीचे लाएं।
ताड़ासनताड़ासन करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़ी हो जायें, आपके पैर पास होने चाहिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को उठाइये। फिर हथेलियों को आसमान की तरफ कीजिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाकर इनको उंगलियों के जरिये लॉक कर दीजिए। फिर पैरों के पंजों पर खड़ी हो जायें, ध्‍यान रहे आपका बैलेंस सही होना चाहिए। फिर सामने किसी एक बिंदु पर फोकस कीजिए। कुछ समय तक इसी स्थ्‍िाति में रहें। फिर सांस बाहर निकालते हुए सामान्‍य स्थिति में वापस आ जाएं। बाकी आसन को करने का तरीका आपको ऊपर हमने आपको बताया है।
6वां दिन
भद्रासन, त्रिकोण आसन, उत्थान पाद आसन 1 पैर वाला और एक चक्रीय आसन भी आएगा, जो पैर घुमाने वाला आसन है। इसमें रिलैक्स का आसान शशक आसन है। फिर छठे दिन प्राणायाम आपको भी आपको चौथे दिन की तरह ही करने हैं। प्राणायाम में आगे जाकर थोड़े बदलाव आएंगे, लेकिन अभी आपको ऐसे ही करने होगे।
एक चक्रीय आसनइस आसन को करने के लिए आपको एक पैर को सांस भरते हुए गोल-गोल जितना हो सके उतना बड़ा ज़ीरो बनाना है, 5 बार क्लॉक वाइज़ और 5 बार एंटी क्लॉक वाइज़, एक पैर को गोल-गोल घुमाना है। इसी क्रम को दोहराएं। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
7वां दिन
सातवे दिन आपके योगासन में त्रिकोण आसन, भद्रासन, उत्थान पाद आसन, एक चक्रीय आसन के साथ एक हार्ड आसन करना होगा। इसका नाम हलासन है। हलासन करने में कुछ लोगों को कठिनाई हो सकती है, लेकिन जो थोड़े से फ्लैक्सीबल है वह इसे आसानी से कर सकते हैं। अगर आप हलासन नहीं करना चाहते हैं तो आप शशक आसन कर सकते है। दोनों में से कोई भी आप कोई भी एक कर सकते है। प्राणायाम जैसे आपको ऊपर छठे दिन की तरह ही करना होगा।
हलासनइसके लिए सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर कमर के बल सीधा लेट जाएं। अब दोनों हाथों को थाई के पास जमीन पर रख लें। फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को सीधा ऊपर की ओर उठाएं। फिर हाथों को नीचे की ओर दबाएं और कमर को मोड़ते हुए पैरों को सिर के पीछे हल की तरह लगा दें। फिर बिना सिर उठाए 2-3 मिनट बाद धीरे-धीरे वापस नॉर्मल पॉजिशन में आ जाएं।
शशक आसन
इस आसन को सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को सांस भरते हुए ऊपर उठा लें। कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें। फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, सांस बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें। फिर माथा भी भूमि पर टिका दें। कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर पुनः वज्रासन की स्थिति में आ जाइए। बाकी आसन को करने का तरीका आपको ऊपर हमने आपको बताया है।
8वां दिन
8वें दिन आपको वीरभद्रासन इसको चेस्ट ओपनिंग आसन भी कहते है, के साथ त्रिकोण आसन, द्वि चक्रीय आसन, इसे दोनों पैरों से करना शामिल है। फिर हलासन, हलासन के ऑप्शन के तौर पर जैसा हमने आपको पहले बताया कि आप शशक आसन भी कर सकते है। दोनों में से आप कोई भी एक कर सकते है। जो हलासन करेंगे उनको शवासन बहुत जरुरी है। एक नया प्राणायाम भी 8 वें दिन शामिल है इसका नाम उज्जायी प्राणायाम है। सभी प्राणायाम के साथ आपको इस दिन उज्जायी प्राणायाम भी करना है। जैसे मौसम बदलते मौसम के साथ हार्मोनल बदलाव बहुत ज्‍यादा होता है जो हमारा थायरॉयड ग्लैंड कराता है जिनको थायरॉयड की प्रॉब्लम है उनके लिए उज्जायी बहुत अच्छा होता है।
द्वि चक्रीय आसनइसे करने के लिए आपको दोनों पैर को सांस भरते हुए गोल-गोल जितना हो सके उतना बड़ा जीरो बनाना है, 5 बार क्लॉक वाइज़ और 5 बार एंटी क्लॉक वाइज।
उज्जायी प्राणायामइसे करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। मुंह बंद रखें। अब आप दोनों नासिकाओँ से धीरे-धीरे एक लय के साथ तब तक सांस लें जब तक सांस पूरी तरह फेपड़े में ना भर जाए। जब दोनों नासिका से सांस लें तो गर्दन के थायरॉयड वाले हिस्से को कंपन कराके ऊं की ध्वनि उत्पन्न करने की कोशिश करें। ये ध्वनि हल्की और समान होनी चाहिए।
वीरभद्रासनइस आसन को करने के लिए सबसे पहले ताड़ासन में खड़े हो जाएं। फिर दाएं पैर को 3 से 4 फीट तक फैला दें और बाएं पैर को मोड़ें। सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की तरफ सीधा करें। दाएं घुटने की जांघ जमीन से समानांतर रखें। इस पोजीशन में करीब 5 से 7 सेकंड तक रहें। ये क्रिया दूसरी तरफ से भी करें। सांस छोड़ते हुए नॉर्मल पोजीशन में आएं। बाकी आसन को करने का तरीका आपको ऊपर हमने आपको बताया है।

9वां दिन
इस दिन आपको सिंहासन, वीरभद्रासन, द्वि चक्रीय आसन, इसमें आपको दोनों पैरों से करना है। फिर हलासन, हलासन के ऑप्शन में शशक आसन कर सकते है दोनों में से एक कर सकते है। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है। फिर जो हलासन करेंगे उनको शवासन बहुत जरुरी है, उज्जायी प्राणायाम गर्मी भी बढ़ाता है, इसके ऑप्शन में चलेगा अनुलोम विलोम प्राणायाम। सिंहासन का अहम काम है डर को दूर फेंकना यानि बॉडी से डर और तनाव को दूर करना। यह लोगों में कोरोना वायरस के कारण बैठे डर को दूर करने में आपकी हेल्‍प करेगा।
सिंहासनइसे करने के लिए पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं। हाथों को भी जमीन पर रखें। मुंह खुला रखे और जितना संभव हो सके जीभ को बाहर निकालिये। आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिये। नाक से सांस लीजिये। सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिये।
शवासनसबसे पहले अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं और ध्यान रखे की इस अवस्था में आपके पैर ज़मीन पर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। अपने दोनों हाथों को शरीर से कम से कम 5 इंच की दूरी पर रखें। हाथों को इस तरह रखे की दोनों हाथ की हथेलियां आसमान की दिशा में हो। अब शरीर के हर अंग को आपको ढीला छोड़ना है, और आंखों को भी बंद करना है। हल्की-हल्की सांसे लें। इस समय आपका पूरा ध्‍यान सांसों पर होना चाहिए। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
10वां दिन
गोमुखासन, ये आसान चेस्ट और शोल्‍डर के लिए बहुत अच्छा होता है, जिन लोगों को बैठे-बैठे मसल्‍स पुल होता है, फ्रोजन शोल्‍डर की प्रॉब्‍लम होती है या कंप्‍यूटर पर लगातार काम करते-करते सर्वाइकल स्पांडलाइटिस की शिकायत होती है, उनके लिए ये आसन बहुत अच्छा होता है। फिर आपको सिंहासन, हलासन और पश्चिमोत्तानासन करना है लेकिन यह आसन दण्डासन के साथ बैठ कर होता है, जिन लोगों को कमर दर्द के दर्द की शिकायत होती है उन लोगों पैरों को खोल कर इस आसन को करना चाहिए। फिर आपको शवासन करना चाहिए और फिर आपको प्राणायाम करना है, जिनको ज्यादा गर्मी लग रही है तो वह भ्रामरी के साथ शीतली प्राणायाम आप ऑप्शन के तौर पर कर सकते है।
गोमुखासनइस आसन जमीन पर बैठें और अपनी कमर सीधी रखें। फिर अपने एक पैर को दूसरे पैर पर रखें, लेकिन ध्‍यान रखें कि ऐसा करते समय आपकी एक थाई दूसरी के ऊपर हो। इसके बाद बाएं हाथ को उठाकर कोहनी की तरफ से मोड़ें और पीछे की ओर कंधों से नीचे ले जाएं। उसके बाद दाएं हाथ को कोहनी से मोड़ें और ऊपर की ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को पीठ के पीछे इस तरह से रखें कि एक दूसरे को आपस में इंटरलॉक हो जाए। अब सिर को कोहनी पर टिकाकर पीछे की ओर करने की कोशिश करें। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
11वां दिन
चक्रासन, पश्चिमोत्तानासन जो 10वें दिन बताया था वैसे ही करना है। इसके बाद हलासन, सिंहासन, शवासन इसमें एक नया प्राणायाम शीतली ऑप्शन में आप शीतकारी प्राणायाम भी कर सकते हैं ये भी गर्मी कम करता है।
पश्चिमोत्तानासनसबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं। अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं। सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। अब अपने हाथों से पैरों की उंगलियों को पकड़ने और नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करें। धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़े।
चक्रासनइसे करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। घुटने मोड़ें और एड़ियों को हिप्‍स से छूते हुए पैरों को 10-12 इंच की दूरी पर रखें। बांहों को उठाएं और कोहनियां मोड़ लें हथेलियों को कंधों के ऊपर सिर के निकट जमीन पर रख लें। सांस लें तथा धीरे-धीरे सिर को उठाते हुए पीठ को मोड़ें। धीरे से सिर को लटकता छोड़ दें एवं बाहों और पैरों को तान लें। धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े। जब तक संभव हो सके इस मुद्रा बनाए रखें। उसके बाद शरीर को इस तरह नीचे करते हुए आरंभिक अवस्था में लौटें कि सिर जमीन पर ही टिका रहे। बाकी आसन को करने का तरीका आपको ऊपर हमने बताया है।
12वां दिन
12वें दिन आपको शलभासन, ये एक पैर वाला करना है। साथ ही आपको उत्थान पाद आसन जिसे आपको दोनों पैर के साथ होगा है, इसके बाद आपको चक्रासन, पद्मासन, शवासन, प्राणायाम शीतली के ऑप्शन में रखकर शीतकारी प्राणायाम करना होगा।
शलभासनइस योगासन को करने के लिए सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाएं। अपनी हथेलियों को जांघों के नीचे रखें। सांस अंदर लेते हुए अपना बाया पैर उठाएं। पैर को सीधा रखें। सांस छोड़ें और अपने बाएं पैर को नीचे लेकर आएं। यही प्रक्रिया अपने दाएं पैर से भी दोहराएं। फिर सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों को जितना हो सके उतना ऊपर ले जाएं। आखिर में सांस छोड़ते हुए पांव नीचे लाएं।
पद्मासनइस आसन को करने के लिए जमीन पर बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाई थाई पर रखते हुए एड़ी नाभि के पास आ जाएं। इसके बाद दाएं पांव को उठाकर बाई थाई पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।
प्राणायाम शीतलीसबसे पहले आप पद्मासन में बैठें। आंखों को बंद करें। अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखें। दोनों किनारों से जीभ को मोड़कर नली की शेप में बना लें।नली के आकार की जीभ से सांस अंदर खींचकर फेफड़ों को अपनी पूरी क्षमता के साथ भर लें और मुंह बंद कर लें। जालंधरबंध को रोककर रखें। जालंधरबंध के साथ जब तक सांस अपने स्‍वेच्‍छानुसार अंदर रोककर रखें। जालंधरबंध को छोड़ दें और धीरे-धीरे नाक से सांस छोड़े। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।

13वां दिन
मलासन, धनुरासन, सेतुबंध आसन, उत्थान पाद आसन, जिसे आपको 12वें दिन की तरह दोनों पैरों के साथ करना होगा है, फिर आपको शवासन करना है। इसमें सारे प्राणायाम। लेकिन शीतली को ऑप्शन में रखकर शीतकारी करना होगा। इस दिन आपको भ्रामरी को हटाकर महाप्राण ध्वनि करना होगा।
मलासनपांव को कूल्हे जितनी दूरी पर रखकर खड़े रहें और हाथ जोड़ लें। सांस छोड़ते हुए पिंडली तक नीचे जाएं। वहां थोड़ी देर साधारण रूप से सांस लेने के बाद मुद्रा से बाहर आ जाएं। यह जांघों को मज़बूत और लचीला बनाने के लिए बहुत अच्छा आसन है। भारी जांघों को मज़बूत और सुडौल बनाने के लिए ये आसन करते रहें और उन्हें सही आकार में लाएं।
धनुरासनधनुरासन करने के लिए पेट के बल लेट जायें। दोनों और मिलाकर पैरों को घुटनों से मोड़ें। दोनों हाथों को पीछे ले जाकर दोनों पैरों को टखनों से पकड़ें और सांस बाहर छोड़ते हुए पैरों को खींचें। साथ-साथ सिर को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करें। शरीर का सारा वेट नाभि पर पड़ने दें। सांस खींचते हुये पकड़ ढीली करें। यह क्रिया, कई बार करें।
सेतुबंध आसनइसे करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लट जाएं। अपने पैरों को थोड़ी दूरी पर कूल्हों की सीध में फैला दें। आपके पैर मजबूती से जमीन पर टिके होने चाहिए। अपने कूल्हों को मैट से ऊपर उठाएं। अपने हाथों को एक दूसरे में बांधिए और अपने सीने को चौड़ा कीजिए। इसी पोजिशन में 8 से 10 बार सांस लीजिए। धीरे-धीरे कूल्हों को नीचे लाइए। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
14वां दिन
14वें दिन आपको उत्कटासन करना है यह आसन आपके घुटनों, थाई, लोअर बैक के लिए बहुत फायदेमंद है, फिर वृक्षासन करना है ये एक पैर से करना है, ये ताड़ासन की तरह होता है, फिर पवनमुक्तासन करना है, इस दिन आपको ये दोनों पैरों के साथ करना होगा। इसके अलावा सेतुबंध आसन और शवासन करना है। इसमें प्राणायाम पहले दिनों की तरह ही करना है।
उत्कटासन उत्कटासन के लिए पांव जोड़कर खड़े हो जाएं और हाथों को सामने की ओर ज़मीन से समानांतर सीधा कर दें, हथेली ज़मीन की ओर। सांस छोड़ते हुए और घुटनों को मोड़ते हुए नीचे आएं जैसे आप काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हों। साधारण रूप से सांस लें और इस मुद्रा से बाहर आ जाएं।
पवनमुक्तासनइस आसन को करने के लिए पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इस घुटने को दोनों हाथों से पकड़कर चेस्‍ट की ओर लाएं। इसके बाद सिर को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें कि नाक घुटने को स्‍पर्श करें। लेकिन ध्‍यान रहें कि जबरदस्‍ती ना करें। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुककर वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
15वां दिन
15वें दिन भी आपके 14 वें दिन की तरह आपको भी वृक्षासन दोनों पैरों से करना होगा। फिर आपको पवनमुक्तासन करना है इसे भी आपको दोनों पैरों के साथ करना होगा। सेतुबंध आसन, शवासन, इसमें प्राणायाम पहले दिनों की तरह ही करना है।
वृक्षासनइस योग को करने पेड़ की तरह तनकर खड़े हो जाइए। फिर शरीर का भार अपने पैरों पर डाल दीजिए और दाएं पैर को मोड़िये। दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर से लगाइये। दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लाइये। अपने दाएं पैर के तलवे से बाएं पैर को दबाइए और बाएं पैर के तलवे को जमीन की ओर दबाइए। सांस लेते हुए अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाइये। सिर को सीधा रखिए और सामने की ओर देखिये। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।

16वां दिन
जो लोग रोजाना अभ्‍यास करते हैं वह फ्लैक्सिबल हो जाते हैं। उनकी बैलेंस करने वाले आसन भी 16वें दिन करने शुरू कर देने चाहिए। इस‍ दिन नटराजासन, एक पैर से ताड़ासन, एक पैर से पवनमुक्तासन के साथ सर्वांगासन और शवासन करना चाहिए। इस दिन भी प्राणायाम में कुछ बदलाव नहीं है, पहले के दिनों की तरह ही करना चाहिए।
ताड़ासनताड़ासन करने के लिए सीधे खड़ी हो जायें, आपके पैर पास होने चाहिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को उठाइये। फिर हथेलियों को आसमान की तरफ कीजिए, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाकर इनको उंगलियों के जरिये लॉक कर दीजिए। फिर पैरों के पंजों पर खड़ी हो जायें, ध्‍यान रहे आपका बैलेंस सही होना चाहिए। फिर सामने किसी एक बिंदु पर अपना ध्‍यान फोकस कीजिए। कुछ समय तक इसी स्थ्‍ति में रहें।
सर्वांगासनजमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर के साइड में रखें। दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाइए। पूरा शरीर गर्दन से समकोण बनाते हुए सीधा लगाएं और ठोड़ी को सीने से लगाएं। इस पोजीशन में 10 बार गहरी सांस लें और फिर धीरे-धीरे नीचे आएं। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
17वां दिन
महा अंगुष्ठासन खड़े होकर पैर को पकड़ना है, कमर दर्द की शिकायत वाले लोग पैरों में थोड़ी दूर होनी चाहिए, गोमुखासन, राजकपोतासन, ये सबसे बढ़िया आसान है। इससे साइड फैट दूर होता है, बॉडी शेप में आती है और चेहरे पर ग्लो के लिए सबसे अच्छा आसन है, धनुरासन और शवासन भी करना है। इस दिन भी आपको प्राणायाम पहले दिनों की तरह ही करने हैं।
राजकपोतासनइस आसन को करने के लिए सबसे पहले दण्‍डासन में बैठ जाएं। दाएं घुटने को मोड़ें और तलवे को हिप्‍स के पास जमीन पर रखें। अब अपना पूरा वजन दाई ओर डालें और बाएं पैर को उठाकर पीछे ले जाएं। बाएं पैर को पीछे सीधा कर लें। बाएं घुटने को मोड़ें और दोनों पैरों पर वेट बैलेंस कर लें। अब आप बाएं घुटने और दाएं पंजे के बल आ गई हैं। गहरी सांस लेते हुए सीधे हाथ को ऊपर उठाएं, कोहनी मोड़ें, सांस छोड़ें और बाएं पैर को पकड़ें। बाएं हाथ से भी इसी तरह पैर को पकड़ें। पैर को मजबूती से पकड़ते हुए चेस्‍ट को उठाने की कोशिश करें और गर्दन को पीछे मोड़ें। इस पोजिशन में नॉर्मल तरीके से सांस लेते हुए 15-20 सेकंड रुकें।
धनुरासनधनुरासन करने के लिए पेट के बल लेट जायें। दोनों और मिलाकर पैरों को घुटनों से मोड़ें। दोनों हाथों को पीछे ले जाकर दोनों पैरों को टखनों से पकड़ें और सांस बाहर छोड़ते हुए पैरों को खींचें। साथ-साथ सिर को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करें। शरीर का सारा वेट नाभि पर पड़ने दें। सांस खींचते हुये पकड़ ढीली करें। यह क्रिया, कई बार करें। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
18वां दिन
मत्स्येंद्र आसन में अपोजिट साइड पर जाकर अपोजिट हाथ से अपोजिट पैर को दंड करके पकड़ते हैं। जो लोग नीचे अपने एंकल को नहीं पकड़ पाते हैं वह स्विच करके, अपनी कोहनी को घुटने के ऊपर रख देंगे तो भी ये आसन हो जायेगा। जरुरी नहीं है इसे करते समय आपको नीचे पैर को पकड़ना है। इस दिन आपको उत्कटासन, भद्रासन, शवासन, भू नमन आसन करना है। और भद्रासन जो हम बार- बार कर रहे है इसे आपको कम से कम 100 से 200 बार चाहिए, क्‍योंकि इसे कम करने को कोई फायदा नहीं है। प्राणायाम इस दिन भी ऊपर के दिनों की तरह ही करना है।

19वां दिन
मत्यासन ये उन लोगों के लिए अच्छा है जिनको सर्वाइकल और माइग्रेन की शिकायत होती है, शोल्डर से जुड़ी समस्‍याओं वालों के लिए ये बहुत अच्‍छा होता है। फिर इस दिन आपको उत्कटासन, भद्रासन, नमन आसन, शवासन करना है। इस दिन भी आपको प्राणायाम पहले दिनों की तरह ही करना है।
मत्यासनमत्स्यासन करने के लिए सबसे पहले एक समतल जमीन पर दोनों पैरों को मोड़ कर बैठ जाएं। इसके बाद पीछे की ओर झुक कर लेट जाएं। इतना करने के बाद अपने पैरों के दोनों अंगूठों को अपने हाथों से पकड़े और पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
20वां दिन
20वें दिन आपको वकासन करना है यह आसन हाथों, शोल्डर और पेट के लिए बहुत अच्छा है, इसके साथ ही पर्वतासन, भुजंगासन, शशक आसन, शवासन, प्राणायाम इस‍ दिन भी पहले दिनों की तरह ही करना है।
पर्वतासन इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में जोड़ें और सांस लेते हुए उन्हें सिर के ऊपर ले जाएं। शरीर को ऊपर की तरफ खींचें। इसमें फेफड़े फैल जाते हैं। चार-पांच बार गहरी सांस लेने के बाद मुद्रा बदलें।
भुजंगासनइसके लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब दोनों हाथ के सहारे शरीर के कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन कोहनी मुड़़ी होनी चाहिए। हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। अब शरीर के बाकी हिस्सों को बिना हिलाए-डुलाए चेहरे को बिल्कुल ऊपर की ओर कीजिए, कुछ समय के लिए इस स्थिति में रहें। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
21वां दिन
इस दिन आपको कपोतासन करना है जो पीठ के लिए बहुत अच्‍छा होता है फिर आपको मार्जरी आसन करना है। सांस भरते समय कमर को ऊपर उठाना है और छोड़ते समय नीचे करना है। इसे 10 बार करना है ये कमर के लिए बहुत अच्छा है, तिर्यक भुजंगासन ये आंखों के लिए बहुत अच्छा है, जब हम दूसरी साइड में आंखों को घूमाते हैं तो यह रेटीना के लिए बहुत अच्‍छा होता है। फिर इस दिन आपको मत्स्येंद्र और शवासन करना है। प्राणायाम सारे पहले दिनों जैसा ही करना है।
मार्जरी आसनइसे करने के लिए सबसे अपने दोनों घुटनों को टेक कर बैठें। अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें। अपने दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने हिप्स को ऊपर उठायें। इस पॉजिशन में आपकी चेस्ट फर्श के समान्तर होगी और आप एक बिल्ली के समान दिखाई देगें। अब आप एक लंबी सांस लें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं। इस क्रिया को आप 10-12 बार करे। आप फोटो के हेल्प से भी मार्जरासन कर सकते हैं।
तिर्यक भुजंगासनइसे करने के लिए पेट के बल लेटें और हाथों को कंधों के पीछे फर्श पर रखें। टांगें थोड़ी और पंजे फर्श पर मुड़े होने चाहिए। पूरक करते हुए हिप्‍स को फर्श की तरफ दबायें। सिर को बाजुओं की मदद से उठाएं और ऊपर की ओर देखें। धीरे-धीरे सिर को दाईं ओर घुमायें और दायें कंधे पर से बाईं एडी को देखें। बाकी आसन को करने का तरीका ऊपर हमने आपको बताया है।
इन योगासन को 21 दिन करने से इर्रिटेशन दूर होगी, वर्किंग टाइम बढ़ेगा, एनर्जेटिक फील करेंगे, और रिलैक्स हो जाएंगे, कमर दर्द ठीक होगा, हार्मोंस कंट्रोल में रहेगा। पीरियड्स को नार्मल करेगा, आप मेन्टेन रहेंगी, वजन काम होगा, चेहरे पर ग्लो आएगा, फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी, स्किन टाइट होगी, डिप्रेशन नहीं होगा। अगर आपने डाइट के माध्‍यम से वेट लॉस किया है तो स्किन लटकने लगती है, लेकिन इन योगासन को रोजाना करने से टाइनिंग और टोनिंग होगी। हैप्‍पी हार्मोन रिलीज होने से स्‍ट्रेस फ्री हो जाएंगे।

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