कोई भी महिला जब प्रेग्नेंट होती है तो कई तरह से शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजरती है. हार्मोन में परिवर्तन के कारण तनाव महसूस करना सामान्य है लेकिन अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान डिप्रेशन की शिकार हो जाती है तो इसका सीधा प्रभाव बच्चे पर पड़ता है.
हाल ही में हुए शोध के मुताबिक मां के मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी से है. प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला का मानसिक स्वास्थ्य बच्चे के इम्युनिटी सिस्टम के विकास को सीधा प्रभावित करता है. शोधकर्ताओं ने 1,043 मां व शिशु के हेल्थ रिकॉर्ड की जाँच की. यह नयी स्टडी अल्बर्टा यूनिवर्सिटी में बाल रोग विशेषज्ञों ने की थी. शोध के लिए मांओं से प्रेग्नेंसी के दौरान व उसके बाद में उनके मूड के बारे में सवाल पूछे गए.
जिन स्त्रियों ने प्रेग्नेंसी की पहले तीन महीनों में या बच्चे के जन्म के पहले या बाद में डिप्रेशन का मुद्दा दर्ज किया, उनके बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन बच्चों की तुलना में आधी थी, जिनकी मांओं की मानसिक स्थिति प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य थी. खास बात यह है कि इन स्त्रियों में डिप्रेशन के लक्षण इतने ज्यादा भी नहीं थे कि किसी तरह का उपचार करवाया जाए. शोध से यह साबित होता है कि सामान्य तनाव, डिप्रेशन या चिंता का असर गलत ढंग से शिशु पर पड़ सकता है.
शोधकर्ताओं ने बोला कि इम्युनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होने से शिशुओं को सांस संबंधी या गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन के साथ-साथ अस्थमा व एलर्जी का खतरा होता है व इससे अवसाद, फैट की चर्बी और मधुमेह जैसे ऑटोइम्यून रोगों का खतरा बढ़ सकता है.
से जुड़े डाक्टर गगन अग्रवाल का बोलना है कि बच्चे अक्सर बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स जैसे जीवाणुओं के सम्पर्क में आते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बीमार हो जाएंगे. मजबूत इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता उन्हें प्राकृतिक रूप से रोगों से बचाने में मदद करती है. इसलिए अगर बच्चा अक्सर सर्दी-जुकाम, कान के इंफेक्शन, पेट की गड़बड़ी व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त है तो इसका मतलब है कि बच्चे की इम्युनिटी मजबूत नहीं है.
बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सबसे पहले तो स्तनपान एक शानदार उपाय है. इसमें सभी प्रकार का प्रोटीन, वसा उपस्थित होते हैं जो स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण होता है. स्तनपान से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं. www.myupchar.com से जुड़े डाक्टर लक्ष्मीदत्ता शुक्ला का बोलना है कि हरी सब्जियों में विटामिन ए, बी, सी, आयरन, कैल्शियम व फाइबर जैसे तत्व भरपूर होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं. बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उनके खानपान पर अच्छी तरह नजर रखें. फल व सब्जी जैसे सेब, गाजर, ब्रोकली, कीवी, खरबूजे, शकरकंद, नारंगी व स्ट्रॉबेरी को आहार में शामिल करें. नींद भी इम्युन सिस्टम पर गहरा प्रभाव डालती है. नवजात शिशु के लिए 18 घंटे की नींद महत्वपूर्ण है. फिर आयु के आधार पर एक दिन में 10 से 14 घंटे की नींद बच्चे के लिए आवश्यक है. विटामिन डी भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इसलिए बच्चों को धूप में बैठाना महत्वपूर्ण है ताकि पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सके. बेहतर होगा कि एंटीबायोटिक ज्यादा न दें. इन दवाओं का अधिक प्रयोग इम्यून सिस्टम को निर्बल बनाता है व अच्छे और बेकार बैक्टीरिया दोनों को मार देता है.