कोरोना लॉकडाउन : शरीर और मन को कोरोना युद्ध को तैयार करेगा माइक्रोग्रीन्स

लॉक डाउन में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। ऐसे समय में शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने को शारीरिक और मानसिक पुष्टता जरूरी है।


गोरखपुर। लॉक डाउन में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। ऐसे समय में शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने को शारीरिक और मानसिक पुष्टता जरूरी है। प्रतिरोधी क्षमता मेंटेन रखने की चुनौती को माइक्रोग्रीन्स काफी हद तक पूरा कर सकते हैं। यह कहना है लखनऊ के राहमनखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन का। इनका मानना है कि लॉक डाउन के दौरान माइक्रोग्रीन्स शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं। इन्हें उगाना भी आसान है।
ऐसे करें तैयारी माइक्रोग्रीन्स उगाना आसान है। बुवाई से दो सप्ताह में तैयार होगा। यह अवधि लॉकडाउन की अवधि में ही पूरी हो जाएगी। माइक्रोग्रीन्स से भोजन स्वादिष्ट और पौष्टिक भी होगा। यह बच्चों के लिए न सिर्फ सीखने का विषय है बल्कि उनके लिए एक रोचक खेल भी है।
कम दिन में कई बार उगाएं इसे कम दिनों में कई बार उगाया जा सकता है। यह आपके किचन में भी पूरे साल उत्पादित किया जा सकता है। बशर्ते वहाँ सूर्य की रोशनी आती हो है। विटामिन, पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने के रूप मे जाना जाता है। माइक्रोग्रीन्स, सुपर फ़ूड में शामिल है। इसे तैयार करने के लिए 03 से 04 इंच मिट्टी की परत वाले डब्बे या ट्रे को लें। मिट्टी की सतह पर बीज को फैला दें। उसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत डालें और धीरे-धीरे थपथपा कर मिट्टी कंटेनर में अच्छी तरह से बैठा दें। मिट्टी के पर हल्का पानी डालकर नमी बनाएं। दो से तीन दिन में बीज अंकुरित होंगे। अंकुरित बीजों को 03 से 04 घंटे धूप में रखें। दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव करें। एक हफ्ते में माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाएगा। इन्हें 02 से 03 इंच से अधिक ऊंचाई तक बढ़ने दिया जा सकता है। कटाई के लिए कैंची का उपयोग किया जा सकता है। पोषक तत्वों के घोल का उपयोग करके अच्छे क्वालिटी के माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है।
ऐसे तैयार करे माइक्रोग्रीन्स भारतीय परिवेश में चना, मूंग, मसूर को अंकुरित करके खाना आम बात है। इनमें ज्यादातर दालों वाली फसल प्रयोग में लाई जाती है। अंकुरित बीज या स्प्राउट कहे जाने वाले इन चीजों को माइक्रोग्रीन्स में तब्दील कर तने, पत्तियों एवं बीज-पत्र का उपयोग करते हैं। जड़ों को नहीं खाया जाता है। माइक्रोग्रीन्स के विकास के लिए सूर्य के प्रकाश की जरूरत है। मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का उपयोग भी इसके लिए किया जा सकता है। माइक्रोग्रीन्स के पौधों में मेथी, मटर, मसूर दाल, मसूर, मूंग, चने की दाल को स्प्राउट्स की जगह माइक्रोग्रीन्स से रूप में उगाया जाता है।
बोले निदेशक केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन का कहना है कि अधिक मात्रा में उपलब्ध होने के पर माइक्रोग्रीन्स को फ्रिज में रखकर 10 दिन तक इसका उपयोग किया जा सकता है। इसे उगाना-खाना दोनों आनंददायक है। लॉक डाउन के समय मे हर किसी के पास समय की कमी नहीं है। सभी माइक्रोग्रीन्स तैयार कर अपना और परिवार के मानसिक-शारीरिक क्षमता को मेंटेन रख सकते हैं।

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