हरा धनिया का प्रयोग एलर्जी, मूत्राशय की जलन (मूत्राशय गुजरते समय जलन होती है) और त्वचा से संबंधीत एलर्जी की सूजन का इलाज करने के लिए किया जाता है। इससे जीवन शक्ति में सुधार होता है और दर्द घट जाता है। लोहतत्व और विटामिन ए, बी और सी से भरपूर, इसका भोजन में इस्तेमाल होने पर यह पौष्टिक मूल्य बढ़ाता है। भोजन की पाचनशक्ति बढ़ जाती है।
अतिसार और एलर्जी : 1 चम्मच धनिया रात भर पानी में भिगोएँ। उबालें, छाने और पी लें।
सिरदर्द : कोमल धनिये के पत्तों के रस को माथे पर लगाए ।
माहवारी में अतिरिक्त खून बह रहा है : दूध के साथ धनिया के बीज का सघन काढ़ा लें।
आंख आना : धनिया के पत्तों के रस के साथ आंखें नियमित रूप से धोएं। धनिया के बीज का काढ़ा लाल और सूखी आँखों को आराम देता है।
मुँहासे और काले मस्से : कोमल धनिये के पत्तों के रस में एक चुटकी हल्दी डालकर चेहरे पर लगाएँ और सूखने के बाद धो लें।
मुंह के अल्सर: धनिया के बीज काढ़ा पीएं और इसके साथ कुल्ला करें।
मुंह से दुर्गंध (बुरा सांस) : निश्चित समयांतर पर धनिये के बीज का चूर्ण ले।
त्वचा के फफोले: बीज के काढ़े को पी लें। पानी में 1 चम्मच धनिये के बीज को उबालें और इसके पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
मुंह का सूखापन, पेट में दर्द, बवासीर : धनिया के बीज का काढ़ा पीएं।
नकसीर : धनिये के पत्ते का रस नाक में लगाएँ।