कोविड-19 महामारी की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान और निदान व उपचार में देरी के कारण भारत में पांच साल में 95,000 अतिरिक्त तपेदिक (टीबी) मरीजों की मौतें हो सकती हैं. यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित नए अनुमानों में इस बात का खुलासा हुआ है. इंग्लैंड के 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' (एलएसएचटीएम) और लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अगले पांच वर्षों में चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका में अतिरिक्त टीबी मौतों और मामलों का अनुमान लगाया है.
उन्होंने कोविड-19 के कारण सामाजिक संपर्कों में कमी और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव की जांच की. शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि सामाजिक दूरी टीबी की घटना को कम कर सकती है क्योंकि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस, जीवाणु जो बीमारी का कारण बनता है, हवा में कोरोनावायरस के समान बूंदों के माध्यम से प्रेषित होता है.
हालांकि, इस संभावित टीबी संचरण को कम करने के बाद भी, सबसे संभावित परिदृश्य के परिणामस्वरूप भारत में 95,000 से अधिक अतिरिक्त टीबी मरीजों, चीन में 6,000 और दक्षिण अफ्रीका में 13,000 अतिरिक्त टीबी मरीजों की मौत होने का अनुमान है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर फिन मैकक्विड ने कहा, "यह चिंता की बात है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप टीबी क्लिनिकों में मरीजों के आने में कमी, निदान और उपचार में देरी हुई है."
उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है जहां स्वास्थ्य सेवाओं, या उन तक पहुंच काफी बाधित हो सकती है. चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका की प्रारंभिक वास्तविक जानकारी से पता चलता है कि टीबी के लिए निदान और उपचार करने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है. टीबी के वैश्विक मामलों में से करीब 40 प्रतिशत मामले चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं.
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 473105 हो गई है. वहीं, इस संक्रमण की चपेट में आने से अब तक 14894 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 271696 लोग ठीक हो गए हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं का टीबी मरीजों को लेकर ऐसा दावा करना परेशान करने वाला है.
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