एक ही तरह से देर से भोजन करने पर रिएक्शन नहीं करता, पढ़े

हमारे खान-पान की आदतों का हमारे शरीर पर पडऩे वाले असर व जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से गहरा संबंध है. हम क्या खा रहे हैं, क्यों व कितना खा रहे हैं,

कब खा रहे हैं व सबसे महत्वपूर्ण कि कैसे खा रहे हैं, यह निर्धारित करते हैं कि हमारे शरीर में फैट, कैलोरी, कॉलेस्ट्रॉल, हाइ ब्लड शुगर व वजन बढ़ेगा या नहीं. बात करें आधुनिक शोधों की तो हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि देर रात का खाना खाने से वजन बढ़ सकता है व कैलोरी की परवाह किए बिना उच्च रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है. यानी खाने का समय व उसमें उपस्थित कैलोरी की मात्रा बहुत महत्त्वपूर्ण है. रात का खाना शाम 6 बजे के बजाय 10 बजे खाने से आपके ब्लड शुगर व फैट को बर्न करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि देर से खाने वालों का ब्लड शुगर लेवल लगभग 20 फीसदी अधिक था व रात का खाना जल्दी खाने वालों की तुलना में फैट बर्न की क्षमता भी 10 फीसदी कम हो गई. असल में वजन बढऩे की समस्या शरीर द्वारा खर्च की जा रही कैलोरी से अधिक कैलोरी खाने के कारण होता है. पोषण विशेषज्ञ कहते हैं कि कैलोरी नियंत्रण कर लेने से वजन बढऩे की समस्या पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन यह उतना आसान नहीं है. नए शोध से पता चलता है कि हम जिससमय भोजन करते हैं वह वजन के बढऩे या स्थिर बने रहने में जरूरी किरदार निभाता है.
देर से खाना खाने से बढ़ता है वजन एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रात में खाना वजन बढ़ाने व उच्च रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, भले ही यह रोज खाया जानेवालासामान्यभोजन ही क्यों न हो. अध्ययन के लेखक व जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर डाक्टर जोनाथन सी। जुन का बोलना है कि देर से खाना मोटापे से जुड़ा हुआ है. जुन ने बताया कि उनकी शोध टीम यह समझना चाहती थी कि क्या देर से खाना वास्तव में चयापचय को बदल देता है जो अंतत: मोटापे को बढ़ावा देता है.
वही भोजन, वही सोने का समय जून व उनकी टीम ने 20 स्वस्थ्य वॉलंटीयर्स (10 महिलाएं व 10 पुरुष शामिल) को अध्ययन में शामिल किया. ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने शाम 6बजे की बजाय रात 10 बजे भोजन किया तो उनके शरीर पर इसका क्या असर पड़ा. रात 10 बजे भोजन करने के बाद सभी प्रतिभागी एक ही समय 11 बजे सो गए. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला कि उनके रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक था व देर रात रोज का सामान्य खाना खाने पर भी शरीर में वसा की मात्रा कम हो जाती है. अन्य शोधकर्ताओं ने इसी तरह का कार्य सर्कैडियन लय व आहार को देखते हुए किया है. शोध मेंसामने आया है कि यदि आप अपने शरीर की सामान्य सर्कैडियन लय के बाहर खाते हैंए तो आप ग्लूकोज को उसी तरह से मेटाबोलाइज नहीं करते हैं. अध्ययन से जुड़े जॉनसन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के पीएचडी शोधकर्ता व अध्ययन के प्रमुख लेखक चेनजुआन गुए ने बोला कि स्वस्थ स्वयंसेवकों में हमने जो असर देखे हैं वे मोटापे या मधुमेह वाले लोगों में अधिक स्पष्ट हो सकते हैं.
वन साइज फिट्स ऑल गलत इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि हर कोई एक ही तरह से देर से भोजन करने पर रिएक्शन नहीं करता है. अध्ययन में शामिल जिन लोगों को जल्दी सोने की आदत थी उनमें देर से खाना खाने की आदत ने अलग रिएक्शन दिखाई. ऐसे लोगों को देर से खाना खिलाने पर शरीर पर उसके प्रतिकूल परिणाम नजर आए. वहीं जो लोगदेर रात 2 से 3बजे तक जगने व भूख लगने पर खा रहे थे उनके भोजन में बदलाव करने पर भी कोई ख़ास प्रभाव नजर नहीं आए. इससे यह स्पष्ट हो गया कि हर एक आदमी के चयापचय में ऐसे अंतर हैं जो या तो उन्हें देर से खाने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं या इसका उनपर कोई खास असर नहीं पड़ता है. जुन ने बताया कि यह अध्ययन इस विषय पर पिछले शोध की तुलना में बहुत अधिक विस्तृत था. प्रतिभागियों ने गतिविधि ट्रैकर्स पहनी थी, उनके रक्त का नमूना लिया भी लिया गया था, उनके नींद लेने के पैटर्न की भी स्टडी की गई थी. साथ ही शरीर में वसा को भी स्कैन किया गया था. यह अध्ययन बताता है कि यह कतई महत्वपूर्ण नहीं है कि आप जो खाते हैं वह वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है. हालांकि इससे यह जरूर स्पष्ट होता है कि समय पर भोजन करना आपके शरीर की कैलोरी को प्रभावित करता है. यह अध्ययन बताता है कि खाने की आदतों जैसे कि भोजन सामग्री व मात्रा ही नहीं बल्कि भोजन का समय भी मधुमेह व दिल रोग जैसे क्रॉनिकल रोगों के जोखिम को कम कर सकता है.
खाने की अलग आदतें शोधकर्ताओं का बोलना है कि रात का भोजन कैलोरी के लिहाज से अधिकतर वयस्कों के लिए दिनभर का सबसे महत्त्वपूर्ण भोजन है. शोध के अनुसार व्यस्त लोग आमतौर पर नाश्ते व दोपहर के भोजन समय पर या बिल्कुल नहीं कर पाते. जिसका अर्थ है कि उन्हें बाद में खाने की जरुरत पड़ती है. यही वजह है कि लोग रात को श्रारपेट भोजन करते हैं व यही गलती उनके लिए ग्लूकोज या वसा चयापचय के साथ कुछ कठिनाइयों का कारण बनता है, यहां तक कि स्वस्थ एवं स्थिर वजन वाले युवा व्यक्तियों में भी. इसके लिए कुछ तरीका कर सकते हें. जैसे अगर आप अक्सर कार्यालय से देर शाम या रात तक लौटते हें तो लंच में या शाम को स्नैक्स की बताय ग्रीक योगर्ट जैसे छोटे लेकिन उच्च प्रोटीन स्नैक लें. रात को भूख से कम खाएं. ताकि अगर रात को खाना पड़े तो यह नाश्ते के बराबर ही हो. इसके अतिरिक्त अन्य विकल्पों में ग्रिल्ड चिकन, आधा सैंडविच व फल या एक कप वेजीटेबल सूप व एक गिलास लो फैट मिल्क के साथ एक छोटा सलाद होने कि सम्भावना है.

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