दुर्लभ बूटी विषनाग से सफेद दाग (ल्यूकोडमार्) को समाप्त करने में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. करीब 1० हजार फुट की ऊंचाई पर मिलने वाली विषनाग व अन्य बूटियों के मिलावट से तैयार डीआरडीओ की ल्यूकोस्किन के अब पास परिणाम सामने आ रहे हैं.
जानकारी के अनुसार देश में करीब 4 से 5 प्रतिशत लोगों में सफेद दाग की कठिनाई देखने को मिलती है. जबकि दुनिया स्तर पर यह आंकड़ा करीब 1 से दो प्रतिशत है.
रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन के बाद ल्यूकोस्किन दवा को तैयार किया. विषनाग औषधि सूरज की किरणों की मदद से सफेद दाग को बढ़ने से रोकने में प्रभावी है साथ ही इसे पूरी तरह से समाप्त भी कर रही है. विषनाग के अतिरिक्त कौंच, बाकुची, मंडूकपणीर्, एलोवेरा, तुलसी इत्यादि जड़ी बूटियां भी मिलकर सफेद दाग को रोकती हैं.
विश्व विटिलिगो दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय वैज्ञानिकों की इस सफलता के बारे में एमिल फॉमार्स्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शमार् ने बोला कि विषनाग बहुत ज्यादा दुर्लभ बूटी है. इससे तैयार ल्यूकोस्किन को लगाने के बाद प्रातः काल व शाम 1०-1० मिनट धूप की किरणों में बैठने की सलाह दी जाती है, क्योंकि प्रातः काल की धूप से स्कीन को नुकसान भी कम होता है. साथ ही विटामिन भी शरीर को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ लाख मरीज दर्ज़ हो चुके हैं जिनमें से 7० से 75 प्रतिशत तक मरीजों में इसके पास परिणाम मिले हैं.
जानकारी के अनुसार देश में करीब 4 से 5 प्रतिशत लोगों में सफेद दाग की कठिनाई देखने को मिलती है. जबकि दुनिया स्तर पर यह आंकड़ा करीब 1 से दो प्रतिशत है. राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार व यूपी में ज्यादात्तर मरीज हैं. दक्षिणी राज्यों में भी मरीजों की संख्या ज्यादा बताई जाती है. चूंकि सफेद दाग को लेकर देश में सामाजिक भ्रांतियां व मानसिक वेदना भी बहुत है. ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों का अध्ययन लाखों लोगों के लिए संजीवनी के रूप में सामने आया है. इसका प्रयोग सरल बनाने के लिए पीने व लगाने (ओरल और क्रीम) दो स्वरूप दिए हैं.
दिल्ली की आयुवेर्द विशेषज्ञ डाक्टर नितिका कोहली बताती हैं कि सफेद दाग की कठिनाई से ग्रस्त मरीज खासतौर पर महिलाएं मानिसक रूप से भी पीड़ित रहती हैं. समाज व उनके घर-परिवार में इस कठिनाई को छुआछूत से जोड़कर देखते हैं जोकि एकदम गलत है. ल्यूकोस्किन के बेहतर परिणाम लगातार देखने को मिल रहे हैं. इसकी ओरल (पीने की खुराक) का प्रभाव इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाने में भी मिला है.