मंगलवार को म्हास्के ने नगरपालिका आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि 70 वर्षीय मरीज आनंद नगर के निवासी थे और उनके बेटे नगर निकाय के कर्मचारी हैं.
22 जून की शाम ठाणे नगर निगम ने पीड़ित के लिए एक अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए कहा और उसे बताया गया कि मुंब्रा इलाके में कालसेकर अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध है.
महापौर ने पत्र में कहा है कि अस्पताल से पुष्टि के बाद मरीज को सोमवार रात को वहां ले जाया गया, लेकिन अस्पताल ने उन्हें भर्ती नहीं किया और उनसे कई घंटों तक इंतजार कराया.
उन्होंने कहा कि बाद में उस अस्पताल ले जाने के दौरान मरीज की मौत हो गई, जहां उन्हें पहले भर्ती कराया गया था.
इस गलती को गंभीरता से लेते हुए महापौर ने कहा कि शहर प्रशासन को इस तरह की शिकायतें पहले भी मिली थीं.
उन्होंने कहा कि इसलिए निकाय प्रशासन को एक मजबूत कदम उठाना चाहिए और अस्पताल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए.
बता दें कि इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों से अस्पतालों द्वारा मरीजों को समय पर भर्ती न करने पर मौत होने की खबरें आईं हैं.
बीते 10 जून को ठाणे के लोकमान्य नगर निवासी 51 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी, उन्हें कोविड-19 के उपचार के लिए नामित चार निजी अस्पतालों के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज सरकारी अस्पताल ने कथित तौर पर भर्ती करने से इनकार कर दिया था.
बीते अप्रैल महीने में मुंबई में अस्पतालों द्वारा भर्ती से इनकार करने के बाद दो लोगों की मौत हो गई थी. मुंबई के वर्ली इलाके में हुई एक घटना में मृतक के परिवारवालों ने आरोप लगाया था कि आठ अस्पतालों ने बेड की कमी बताकर भर्ती करने से इनकार कर दिया था.
वहीं, नवी मुंबई में हुई दूसरी घटना में दो अस्पतालों द्वारा कथित तौर पर मना करने के बाद एक वकील का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
इसी महीने की शुरुआत में राजधानी दिल्ली में एक महिला ने आरोप लगाया था कि सरकारी अस्पताल द्वारा समय पर भर्ती न करने से कोरोना संक्रमित उनके पिता की मौत हो गई.
महिला ने यह भी दावा किया था कि परिवार ने कुछ दिनों से तीन-चार अन्य निजी और सरकारी अस्पतालों से संपर्क किया था, लेकिन उनमें से किसी भी अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला.