नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। देश में 3 महीने के बाद भी कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों, घरेलू सहायकों और मजदूरों की मदद देश के अलग- अलग हिस्सों में लोगों ने। ऐसे ही एक मददगार हैं दिल्ली की रहने वाली आंचल शर्मा, जो कैंसर पीड़िता होने के बावजूद पिछले 3 महीने से दिल्ली और 7 अलग-अलग राज्यों में जरूरतमंदों की मदद कर रही हैं। आंचल पके हुए खाने के अब तक 6 लाख पैकेट, 40 हजार लोगों को कच्चा राशन, जरूरतमंदों को दवाइयां और 5 बसों की मदद से प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचा चुकी हैं। जहां एक तरफ लोगों को घर से निकलने में भी डर लग रहा है, वहीं वह कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद रोजाना 10 से 12 घंटे सड़कों पर उतरकर जरूरतमंदों की मदद कर रही हैं। वह मील ऑफ हैप्पीनेस नामक एनजीओ चलाती हैं।
लॉकडाउन की शुरुआत में कई हजार प्रवासी मजदूर परेशान हुए। दिल्ली के 4 हंगर रिलीफ सेंटर के लिए भी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर से भी इन प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों के लिए आंचल शर्मा से मदद मांगी गई।
आंचल शर्मा ने आईएएनएस को बताया, लॉकडाउन के एक हफ्ते बाद ही मेरे पास दिल्ली के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ऑफिस से फोन आया और एक पत्र भी आया, जिसमें दिल्ली के 4 हंगर रिलीफ सेंटरों में लोगों के भोजन के लिए मदद मांगी। हमने शुरुआत में 5000 मील पैकेट रोजाना बांटने शुरू किए। ये पैकट दिल्ली के 4 स्कूलों में बांटे गए।
उन्होंने कहा, उसके बाद हमारी एनजीओ ने एक वीडियो के जरिए लोगों से अपील की और फंड इकट्ठा किया, जिससे हमें काफी मदद मिली। उसके बाद हमने दिल्ली में रुके हुए लोगों की मदद की और दिल्ली के अलावा 7 अलग-अलग राज्यों में अपने वालेंटियर्स द्वारा लोगों को मदद पहुंचाई। हमने फसे हुए प्रवासी श्रमिकों को उनके घर भी पहुंचवाया।
आंचल बोलीं, मुझे थर्ड स्टेज कैंसर है, जिसका इलाज अभी भी जारी है। ऐसे में मेरे लिए बाहर जाना खतरे से खाली नहीं था, लेकिन मुझे लोगों की मदद करनी थी। हिम्मत जुटाकर मैंने काम किया। सभी लोग परेशान थे और अब तीन महीने हो गए हैं, हमारा काम अभी भी चालू है।
आंचल शर्मा अभी भी लोगों की मदद करने में जुटी हुई हैं। उन्होंने बताया, मुझे शुरुआत में कई लोगों ने ताने मारे, मुझपर आरोप भी लगाया कि तुम बस एक समुदाय को खाना बाटने आती हो लेकिन मुझे पता था कि मदद आप इंसान की करते हैं, किसी धर्म की नहीं।
-आईएएनएस