बर्तनों में खाना पकाने व खाने से भी शरीर पर उसका असर पड़ता, पढ़े

पुराने समय में घरों में सबसे अधिक चांदी, पीतल व लोहे के बर्तनों का प्रयोग होता था जिसमें उपस्थित माइक्रो एलीमेंट (सूक्ष्म तत्व) खाने के साथ शरीर के भीतर जाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करते थे.

ये बर्तन जिन तत्वों से बनते हैं वो जमीन के भीतर से निकालकर तैयार किए जाते हैं जिनमें सभी तरह के गुण होते हैं जो शरीर के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होते हैं.
बर्तनों में खाना-पकाने का असर पड़ता
बर्तनों में खाना पकाने व खाने से भी शरीर पर उसका असर पड़ता है. खास बात ये है कि इन धातुओं से बने बर्तनों में खाना पकने या खाना खाने से शरीर के भीतर जो भी दूषित तत्व होते हैं बाहर निकल जाते हैं. इन धातुओं से बने बर्तनों में जो तत्व होते हैं वे शरीर के भीतर माइक्रो न्यूट्रिएंटस के तौर पर शरीर के भीतर जाकर सकारात्मक प्रभाव करते हैं. जबकि मौजूदा समय में प्रयोग होने वाले स्टील व एलमुनियम के बर्तनों में खाना पकाने या खाने से वे घातु भी शरीर के भीतर जाते हैं जिससे शरीर का भीतरी संतुलन बेकार होता है. इसका प्रभाव शरीर पर लंबे समय बाद पड़ता है जिसके बाद आदमी कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है.
इसलिए राजा-महाराजा खाते थे सोने के बर्तन में
सोना खरा व शुद्ध होता है. पुराने समय के राजा-महाराजा व राजशाही परिवारों में खोने के लिए सोने से बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. सोने के बर्तन में खाना खाने से सोने में उपस्थित माइक्रो एलीमेंट (सूक्ष्म तत्व) शरीर में भीतर जाता है व शरीर को मजबूत बनाने के साथ उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. ये भी बोला जाता है कि सोने के बर्तन में खाने से मन मस्तिष्क तेज रहता है व आदमी के भीतर उर्जा होती है.

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