नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। कोरोना रोगियों का उपचार और उन्हें आइसोलेशन में रखने के लिए अब आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के परिसर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन संस्थानों में अधिकांश हॉस्टल खाली हैं। हॉस्टल के कमरों को जरूरत पड़ने पर आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने की योजना बनाई जा रही है। फिलहाल इंदौर में यह योजना बनाई जा रही है। यहां आईआईटी और आईआईएम दोनों ही उच्च शिक्षण संस्थान मौजूद हैं। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने आईएएनएस से कहा, एम्स के विशेषज्ञों ने इंदौर में 13,000 कोरोना बैड तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ऐसी स्थिति में आइसोलेशन के लिए और अधिक बेड की आवश्यकता हो सकती है। आपात स्थित में आईआईटी और आईआईएम दोनों ही संस्थानों के परिसर का इस्तेमाल कोरोना आइसोलेशन वार्ड के लिए किया जा सकता है।
सांसद ने कहा, आईआईटी और आईआईएम कैंपस बहुत बड़ा है। यहां फिलहाल कक्षाएं नहीं चल रही हैं। छात्र अपने घर जा चुके हैं और हॉस्टल खाली हैं। ऐसे में आपात स्थिति में इन परिसरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
वहीं दिल्ली सरकार भी कोरोना रोगियों के उपचार हेतु अतिरिक्त बेड की जरूरत पूरी करने के लिए दिल्ली के 242 स्कूलों का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। दिल्ली के 39 सरकारी स्कूलों को पहले ही शेल्टर होम, 10 स्कूलों को ट्रांजिट माइग्रेंट कैंप और 10 स्कूलों को क्वारंटान सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
देशभर के अलग-अलग स्थानों पर करीब 100 केंद्रीय विद्यालयों को आइसोलेशन अथवा क्वॉरंटाइन सेंटर में तब्दील किया जा चुका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित केंद्रीय विद्यालय को आइटीबीपी ने अपने आधीन लेकर इसे कोरोना संदिग्धों के लिए क्वारंटाइन सेंटर के रूप में तब्दील किया है। ग्वालियर में केंद्रीय विद्यालय को कुमाऊं रेजिमेंट ने क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया है।
पंजाब में बीएसएफ और रुड़की में केंद्रीय विद्यालय को भारतीय सेना की बंगाल इंजीनियरिंग विंग ने आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया है।
-आईएएनएस