आज 21 जून हैं जिसे पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं। वैसे तो इस दिन को बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सभी अपने घर पर योग कर इस दिन को मना रहे हैं। कोरोना के कहर के इस समय में योग जरूरी भी हो जाता हैं। योग में कई तरह के आसन होते है। आज इस कड़ी में हम आपके लिए शीर्षासन करने की विधि और फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
शीर्षासन करने की विधिशीर्षासन करने के लिए अपनी योगा मैट या ज़मीन पर कंबल या कोई मोटा तौलिया बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं। बाद में इस पर आपको अपना सिर टीकाना है, तो यह आपके सिर को एक नरम पैड देगा। अब आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में सख्ती से जोड़ लें। इनके बीच में आपको सिर रख कर उसे सहारा देना है। अब सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रखें। सांस सामान्य रखें। पैर की उंगलियों पर उपर आ जायें आपका शरीर त्रिकोण मुद्रा में होगा। धीरे से आयेज की तरफ पारों को लेकर आयें ताकि आपकी पीठ एकदम सीधी हो जाए, ज़मीन और आपकी पीठ में 90 डिग्री का ऐंगल होना चाहिए। जब पीठ एकदम सीधी हो जाए, धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन बाज़ुओं (फोरआरम) पर डालते हुए शरीर को ऊपर की उठाना शुरू करें। पहले टाँगों को सिर्फ़ "आधा" उठायें, ताकि आपके घुटने छाती को छू रहे हूँ और पैर मुड़े हों इस मुद्रा में 1-2 मिनिट रहना का अभ्यास करें और फिर ही अगला स्टेप करें (इस में आपको कुछ हफ्ते या महीने भी लग सकते हैं)। जब आप पिछले स्टेप में निपुण हो जायें, फिर दोनो टाँगों को सीधा उपर उठाने की कोशिश करें। कोशिश करें की कम से कम भार सिर पर लें। शरीर को सीधा कर लें। शुरुआत में कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 5 मिनिट से ज़्यादा ना करें। 30 सेकेंड से 5 मिनिट का सफ़र तय करने में आपको कुछ महीने या साल भी लग सकते हैं तो जल्दबाज़ी ना करें।
शीर्षासन करने के फायदे- दिमाग़ को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद से राहत देने में मदद करता है।- शीर्षासन पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है। - हाथों, टाँगों, और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है।- शीर्षासन फेफड़ों की कार्यकौशलता बढ़ाता है।- शीर्षासन से पाचन अंगों पर सकारात्मक असर होता है जिस से कब्ज़ में राहत मिलती है। - रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत देता है शीर्षासन। - अस्थमा, बांझपन, अनिद्रा और साइनसिटिस के लिए चिकित्सीय है।