बड़े-बुजुर्ग अक्सर हरी घास पर नंगे पांव चलने की सलाह देते हैं. इससे आंखों की लाइट बढ़ती है, मस्तिष्क सक्रिय होता है व मन को शांति मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके अतिरिक्त भी नंगे पांव चलने के कई फायदा हैं जिनके बारे में अधिकांश लोगों को मालूम ही नहीं है.
हाल के अनुसंधान बताते हैं कि सुबह-सुबह जमीन पर नंगे पांव चलने से शरीर पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हमारी बहुत सी शारीरिक क्रियाओं को यह सुचारु रूप से फंक्शन करने में मदद करता है. आइए जानते हैं इस खास चहलकदमी के बारे में.
क्या है स्वास्थ्य का अर्थिंग फॉर्मूला शोधकर्ताओं का बोलना है कि नंगे पांव जमीन पर चलने का फायदा बहुत अलग तरह से शरीर को मिलता है. यह अच्छा वैसे ही कार्य करता है जैसे टेलीविजन केबल कंपनियां इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को स्थिर रखने के लिए जमीन की 'अर्थिंग' का इस्तेमाल करती हैं. हमारे शरीर की प्रकृति 'बायो-इलेक्ट्रिकल' है. यानी हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं और तंत्रिका तंत्र एक प्रकार से भीतरी विद्युत शक्ति या ऊर्जा के स्पंदन से संचालित होते हैं. भूमि अपने आप में ऊर्जा का भंडार है. वैज्ञानिकों के मुताबिक भूमि का ऊर्जा चक्र शरीर के विद्युत तंत्र पर भी अनुकूल-प्रतिकूल असर डालता है.
पूरे शरीर पर पड़ता असर सुबह-सुबह ठंडी पड़ी जमीन पर नंगे पांव चलने से पैरों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है. इससे रक्तसंचार बेहतर होकर थकान कम होती है. साथ ही सभी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं. पैर का निचला भाग भूमि के सम्पर्क में आने से भूमि की ऊर्जा सारे शरीर में संचारित होती है. इससे जोड़ों में दर्द, अनिद्रा और दिल संबंधी समस्याओं पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. शोध के अनुसार बगीचे या पेड़-पौधों की देखभाल में आधा घंटा बिताने से तनाव और अवसाद भी दूर होते हैं.
"विटामिन नेचर" मिला है नाम शोधकर्ताओं ने प्रकृति के जुड़ाव से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को विटामिन नेचर या 'एन' नाम दिया है. लंदन की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में हैल्थ लेक्चरर गिलियन मेंडिच के अनुसार शहरों की तुलना में प्रकृति के सम्पर्क में पैदल चलने वालों में रक्तचाप व तनाव को नियंत्रित करने वाले हार्मोन ज्यादा संतुलित रहते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक मिट्टी में पाए जाने वाले कई लाभदायी बैक्टीरिया तनाव और अवसाद कम करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं.