गेब्रेयासेस ने बोला- "दुनिया स्वास्थ्य संगठन को मिली दवा के परीक्षणों"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एदोनहोम गेब्रेयासेस ने कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन व एक संभावित अच्छा उपचार

की खोज की आसार पर हाल ही में उम्मीद भरा बयान दिया है. उन्होंने बोला कि कोराना संक्रमण के उपचार में अहम दवाई बताई जा रही डेक्सामेथासोन एक आम स्टेरॉयड है जिसने गंभीर रूप से बीमार लोगों में लाभदायक असर दिखाए हैं. यानी भविष्य में यह कोरोना के रोगियों को अच्छा करने में प्रभावी किरदार निभा सकती है. गेब्रेयासेस ने बोला कि दुनिया स्वास्थ्य संगठन को मिली दवा के परीक्षणों की शुरुआती जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन की जिन मरीज़ों को ज़रूरत है उनमें इसके प्रयोग से पांचवें हिस्से के बराबर मरने का जोखिम कम हो जाता है.
गौरतलब है कि हाल ही गेब्रेयासेस ने कोविड-१९ के नैदानिक परीक्षण के लिए मलेरिया की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर चल रहे शोध की शाखा को निलंबित करने के बाद फिर से इसे प्रारम्भ करने की बात कही थी. टेड्रोस ने बोला कि डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने सुरक्षा डेटा की समीक्षा करने के बाद फिर से योजना को जारी रखने की सिफारिश की है. यहां सिफारिश का मतलब है कि चिकित्सक जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के अध्ययन में नामांकित रोगियों को दवा देना फिर से प्रारम्भ कर सकेंगे. महानिदेशक टेड्रोस ने बोला कि अब तक 35 राष्ट्रों में 3500 से अधिक लोगों को ट्रायल में शामिल किया जा चुका है.
चार अन्य संभावित दवाओं पर भी परीक्षण जारी वहीं डब्ल्यूएचओ ने चार संभावित दवाओं के वैश्विक परीक्षण के मेगाट्रायल की अनुमति दी है. इनमें से एक दवा का एचआइवी वायरस, दूसरी का द्वितीय दुनिया युद्ध के दौरान पहली बार मलेरिया के उपचार में व तीसरी एंटीवायरल दवा का उपयोग बीते वर्ष इबोला वायरस पर किया जा चुका है. इस प्रोजेक्ट को 'सोलिडेरिटी' नाम दिया गया है. इन दवाओं में कोरोना वायरस का उपचार देखा जा रहा है. वहीं शोधकर्ताओं व सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां इस वायरस का उपचार ढूंढने की दिशा में सार्स व मर्स से संक्रमित पशुओं के उपचार में अच्छा प्रदर्शन करने वाली एक अन्य दवा को भी देख रहे हैं. इसका मक़सद यह पता लगाना है कि इनमें से कौन सी दवा कोरोना वायरस के उपचार में अच्छा साबित हो सकती है. डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण को धीरे या पूरी तरह से समाप्त कर देने की क्षमता रखने वाली इन दवाओं को सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 कह रहे हैं. यह दवा संक्रमित रोगी व देखभाल में लगे चिकित्साकर्मियों को भी सुरक्षित रखेगी जिन्हें संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है. इसके अतिरिक्त इन दवाओं के उपचार से रोगी के वेंटिलेटर तक जाने की गंभीर स्थिति को भी रोका जा सकेगा.
वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन तैयार करने के लिए भिन्न-भिन्न कम्पांउन्ड्स का सुझाव दे रहे हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिक सिर्फ चार बेहद खास यौगिकों (ड्रग्स) पर ही भरोसा कर रहे हैं. इनमें से एक है एंटीवायरल कंपाउंड रेमडेसिवियर, मलेरिया की दवा क्लोरोक्वाइन व हाइड्रोऑक्सीक्लोरोक््रवाइन, दो एचआईवी दवाओं लोपिनाविर और रीटोनेविर व इंटरफेरोन बीटा लो कि एक इम्यून सिस्टम कंपाउंड है. डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि इनमें से कोई न कोई दवा कोरोना वायरस को रोकने या समाप्त करने में पास रहेगी.

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