सिर्फ टॉयलेट सीट से नहीं, जोर से हंसना और फार्ट जैसी इन 4 अजीब वजहों से भी फैल सकता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसे समझना वैज्ञानिकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। जब तक वो इसके बारे में कुछ समझ पाते हैं तब तक एक नई जानकारी आ चुकी होती है। अब एक नए अध्ययन में सामने आया है कि चीनी शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोनो वायरस मानव पाचन तंत्र में जीवित रह सकता है और मल के लिए जरिए निकल सकता है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, येंगझाउ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि टॉयलेट को फ्लश करने पर कोरोना के कण हवा में जा सकते हैं और संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए जब भी आप टॉयलेट यूज करें तो फ्लश करने से पहले उसका सीट कवर बंद करना ना भूलें। रिसर्च में पाया गया है कि कोरोना से संक्रमित मरीज के ठीक हो जाने के बाद भी उसके मल में वायरस पांच सप्ताह तक जिंदा रह सकता है।
ठहाके मारकर हंसने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के जोर-जोर से हंसने से भी सामने मौजूद लोगों को कोरोना वायरस अपनी चपेट में ले सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की एक एडवाइजरी में यह जानकारी दी गयी है।
आईसीएमआर ने एम्स के डॉक्टर के साथ मिलकर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए एक गाइडलाइन तैयार की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के जोर हंसने से भी कोरोना वायरस के फैलने का खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि यह गाइडलाइन मार्च में जारी हुई थी इसलिए संभव है कि संस्थान ने इसे बदला हो।
पाद मारने से भी फैल सकता है कोरोना
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात की संभावना बढ़ रही है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने के कई वाहक हो सकते हैं जिनमें फार्ट यानी पाद मारना भी शामिल है। एक ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर ने हाल ही में नागरिकों को पेट फूलना और कोरोनो वायरस संक्रमण के प्रसार के संभावित लिंक के बारे में बताया। डॉक्टर ने कहा कि कपड़े पहनने के बिना पादना, वास्तव में संक्रमण के प्रसार का कारण बन सकता है।
बोलने और सांस लेने से भी फैल सकता है कोरोना
फ्यूचर मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना वायरस को सांस लेने और बोलने के माध्यम से दूसरों तक पहुंचाया जा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार खांसी और छींकने के विपरीत, यरस वास्तव में तब भी फैल सकता है जब लोग सिर्फ बोलते हैं। अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि बड़ी बूंदों को छींकने और खाँसी द्वारा ले जाया जाता है, जबकि साँस छोड़ते हुए छोटी एयरोसोल बूंदें फैल सकती हैं, जिनमें पांच माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है।

भारत में एक दिन में कोविड-19 के 12,881 नए मामले, 334 और लोगों की मौत
भारत में एक दिन में कोविड-19 के रिकॉर्ड 12,881 मामले आने के साथ ही संक्रमितों की कुल संख्या 3,66,946 पर पहुंच गई है। साथ ही 334 और लोगों की मौत के साथ मृतकों की संख्या 12,237 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक जारी आंकड़ों के अनुसार फिलहाल 1,60,384 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि 1,94,324 लोग स्वस्थ हो गए हैं तथा एक मरीज देश छोड़कर चला गया है।
एक अधिकारी ने बताया, ''अभी तक करीब 52.95 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।'' कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। भारत में लगातार सातवें दिन संक्रमण के 10,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। जिन 334 लोगों की मौत हुई है उनमें से 114 की महाराष्ट्र, 67 की दिल्ली, 48 की तमिलनाडु, 27
की गुजरात, 18 की उत्तर प्रदेश, 12 की हरियाणा, 11 की पश्चिम बंगाल, आठ की कर्नाटक, छह-छह लोगों की पंजाब और मध्य प्रदेश, पांच की राजस्थान, तीन की बिहार, दो-दो लोगों की जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश में मौत हुई है। छत्तीसगढ़, झारखंड, पुडुचेरी, तेलंगाना और उत्तराखंड में कोविड-19 से एक-एक व्यक्ति की मौत हुई।

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