Pradosh Vrat 2020: सूर्य ग्रहण से पहले प्रदोष व्रत संकटों से दिलाएगा मुक्ति, ऐसे करें पूजा

Pradosh Vrat 2020: प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला व्रत है. इस व्रत की महिमा अपार है. गुरुवार को मंगल का राशि परिवर्तन हो रहा है. आज रात मंगल कुंभ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश में करेंगे. मंगल का यह गोचर ठीक प्रदोष पूजा के मुहूर्त के मध्य हो रहा है. वहीं इसके ठीक दो दिन बाद सूर्य ग्रहण का सूतक काल आरंभ होगा. इन सभी को देखते हुए प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

मंगल की अशुभता होगी दूर मंगल के गोचर से जिन राशियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने जा रहा है उसे इस व्रत से काफी हद कम करने में मदद मिल सकती है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है या फिर गोचर में खराब स्थिति को जन्म दे रहे हैं तो आज के दिन भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करें और व्रत रखें. 18 जून को मंगल रात्रि 08 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेगा.
सूर्य ग्रहण 21 जून को सूर्य ग्रहण लग रहा है. इस ग्रहण में सूतक काल मान्य है जो 20 जून से आरंभ होगा. ग्रहण की अशुभता से दूर रहने के लिए प्रदोष व्रत उत्तम है. इससे मन और मस्तिष्क को शांति मिलेगी. जिससे ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा प्रभावित नहीं करेगी. सूतक काल 20 जून को शनिवार रात 21:52 बजे से आरंभ होगा.
प्रदोष काल की मान्यता प्रदोष काल को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. प्रदोष व्रत से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त होता है.
प्रदोष पूजा का समय 18 जून 2020: 19 बजकर 17 मिनट से 21 बजकर 19 मिनट तक
प्रदोष व्रत की पूजा विधि सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान को शुद्ध करें और पूजा प्रारंभ करें. भगवान शिव को पुष्प और उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं. शाम को विशेष पूजा करें. सूर्य अस्त होने के बाद पुन: स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें.
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